राजनीतिक

तमाम कोशिशों के बावजूद NDA में क्यों नहीं हो पा रही है TDP की एंट्री?

नई दिल्ली  
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और इंडिया गठबंधन के बाहर रह गए दलों में आंध्र प्रदेश में टीडीपी की भूमिका लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में अहम है। लेकिन वह लाख कोशिशों के बावजूद एनडीए में अभी तक जगह नहीं पा सकी है। गौरतलब है कि करीब ढाई दशक पहले जब एनडीए बना था जो उसमें टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने भी अहम भूमिका निभाई थी।

सूत्रों की मानें तो चंद्रबाबू नायडू की एंट्री एनडीए में नहीं हो पाने की असल वजह आंध्र प्रदेश की सत्तारुढ़ वाईएसआर कांग्रेस है जिसके केंद्र की भाजपा सरकार के साथ अच्छे रिश्ते हैं। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हालांकि वाईएसआर कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया था और टीडीपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था लेकिन इसके बावजूद उसने करीब 39 फीसदी मत हासिल किए थे। इसलिए जमीन पर पार्टी अभी भी ज्यादा कमजोर नहीं हुई है। इन चुनावों में उसके सामने अपने प्रदर्शन को सुधारने का अवसर है।

दरअसल, राज्यसभा में भाजपा जब संकट में होती है तो वाईएसआर कांग्रेस और बीजद से उसे सहारा मिलता है। हाल में दिल्ली अध्यादेश से जुड़े विधेयक के मामले में भी वाईएसआर कांग्रेस की मदद कारगर साबित हुई। उसके राज्यसभा में नौ सदस्य हैं। लोकसभा में भाजपा को हालांकि किसी की मदद की जरूरत नहीं है लेकिन वाईएसआर कांग्रेस की वहां भी 22 सीटों के साथ मजबूत उपस्थिति है।

सूत्रों की मानें तो वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी नहीं चाहते हैं कि चंद्रबाबू नायडू एनडीए का हिस्सा बनें। डर यह है कि भाजपा की मदद से चंद्रबाबू राज्य में अपनी स्थिति को सुधार सकते हैं। आंध्र प्रदेश में हालांकि भाजपा का वोट प्रतिशत एक-दो फीसदी के करीब ही है लेकिन इसमें सुधार की गुंजाइश है और कुछ सीटों पर इस वोट प्रतिशत से भी टीडीपी को फायदा हो सकता है। भाजपा ने 2014 में राज्य में लोकसभा की दो सीटें भी जीती थीं। दूसरे, यदि नायडू एनडीए का हिस्सा बनते हैं तो वाईएसआर कांग्रेस के लिए एनडीए को परोक्ष समर्थन करने से राजनीतिक मुश्किल पैदा हो सकती है।

सूत्र मानते हैं कि टीडीपी से चुनावी गठबंधन भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है। भाजपा को वहां अपने को मजबूत करने का मौका मिल सकता है। आंध्र प्रदेश में प्रदर्शन को लेकर भाजपा की खासी आलोचना भी होती रही है कि जितने वोट वहां नोटा को मिलते हैं, उससे कम भाजपा को मिल पाते हैं। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि मौजूदा समय में भाजपा जगन मोहन रेड्डी को नाराज नहीं करना चाहती है। पार्टी को लगता कि अगले चुनाव में भी रेड्डी मजूबती से आएंगे और जरूरत पड़ने पर वह संसद में भाजपा के साथ आएंगे।

हाल में नायडू से एनडीए में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वक्त आने पर वह इस पर टिप्पणी करेंगे। हालांकि बातें कि जून में ही नायडू की अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकातें हुई थी। चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के भी पक्षधर रहे हैं। लेकिन इस दिशा में कुछ भी होने के आसार नहीं हैं। ऐसे में उनके समक्ष यह भी एक यक्ष प्रश्न है कि क्या एनडीए में शामिल होकर वह अपनी इस मांग को छोड़ देंगे ? पूर्व में वाईएसआर कांग्रेस के भी एनडीए में शामिल होने की अटकलें लगी थी लेकिन वह सही नहीं निकली। इसलिए आगे भी इस दिशा में कोई उम्मीद नहीं है।

इसी प्रकार चर्चा इस बात को लेकर भी हो रही है कि यदि नायडू की एनडीए में वापसी नहीं होती है कि क्या वह इंडिया में जा सकते हैं ? इंडिया गठबंधन भी अपने दलों की संख्या बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।

 

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