उत्तर प्रदेशराज्य

खाने-पीने और घूमने-फिरने पर खूब खर्च कर रहे यूपी वाले; IT रिटर्न के मामले में देश में दूसरे नंबर पर; आया बड़ा बदलाव

 लखनऊ
यूपी के लोगों की खरीद क्षमता खासकर कर से जुड़ी सेवाओं के उपभोग में तेज वृद्धि उभरकर सामने आई है। सेवाओं के उपभोग के एवज में कर देने में यूपी के लोग देश के बड़े राज्यों से तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। खाने-पीने, संपत्ति बनाने, घूमने-फिरने, लग्जरी जीवनशैली में अधिक बिजली के उपभोग पर यहां लोग भी अब खुलकर खर्च करने लगे हैं। इनकम टैक्‍स रिटर्न भरने वालों की संख्‍या के मामले में भी यूपी देश में दूसरा सबसे बड़ा राज्य बन गया है।

विधानमंडल में रखे गए बजट की रूपरेखा पुस्तक में रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के हवाले से यूपी में प्रति व्यक्ति कर भार के आंकड़े यही बता रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि यूपी के लोगों ने 2021-22 के मुकाबले 2022-23 में करीब 5000 रुपये अधिक कर सरकार को दिए हैं। यूपी के लोग जीएसटी से जुड़े उत्पादों व सेवाओं, वैट (पेट्रोल-डीजल), आबकारी (बियर, शराब), स्टांप (संपत्तियों की खरीद), मनोरंजन सेवाओं का खुलकर उपयोग करने लगे हैं।

राजस्व में भारी वृद्धि
यूपी आज रेवेन्यू सरप्लस राज्य हो गया है। वर्ष 2016-17 में राज्य का कर राजस्व लगभग 86 हजार करोड़ था जो वर्ष 2021-22 में 01 लाख 47 हजार करोड़ से अधिक पहुंच गया।

सीएम की कोशिशें रंग लाने लगी हैं
यूपी को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का राज्य बनाने को लेकर मुख्यमंत्री योगी की कोशिशें रंग लाने लगी हैं। तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद प्रदेश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ता के साथ अपनी ग्रोथ को बनाये रखने में सफल रही। वित्तीय वर्ष 2020-21 में जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) 16,45,317 करोड़ थी, जो 2021-22 में लगभग 20 की बढ़ोतरी के साथ 19,74,532 करोड़ हो गई है। वहीं, 2022-23 के लिए तैयार अग्रिम अनुमानों के आधार पर राज्य आय 21.91 लाख करोड़ से आंकलित हुई है।

नीति आयोग की रिपोर्ट राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार 2015-16 और 2019-21 के बीच जहां भारत मे रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश में गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे व्यापक गिरावट उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई है। बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्यों का नंबर अब यूपी के बाद आता है।

2020-21 के मुकाबले डेढ़ गुना बढ़ी क्षमता
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार को कर व शुल्क राजस्व के रूप में कुल 2 लाख 38 हजार 430 करोड़ रुपये ही मिले थे, जिसमें प्रति व्यक्ति की हिस्सेदारी 11945 रुपये थी। इस हिसाब से दो साल के अंदर करीब डेढ़ गुने की वृद्धि दर्ज की गई है।

रिटर्न भरने वाले नौ साल में सात गुना बढ़े
आयकर रिटर्न फाइल करने की संख्या के पैमाने पर यूपी देश में दूसरा सबसे बड़ा राज्य बन गया है। आयकर रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। जून 2014 में जहां 1.65 लाख आयकर रिटर्न यूपी से होते थे भरे जाते थे, अब जून 2023 में इसकी संख्या बढ़कर 11.92 लाख हो गई

यूपी की आर्थिक तरक्की में कई नए आयाम जुड़ रहे हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अगस्त 2023 के मुताबिक अनुसार, बैंक व अन्य वित्तीय संस्थाओं से फंड आकर्षित करने के लिहाज से 16.2 निवेश में हिस्सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश देश में शीर्ष स्थान पर है। आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि वित्तीय वर्ष 2013-14 के 1.1 के मुकाबले 15 गुना बढ़कर 2022-23 में यूपी ने बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं से फंड जुटाने में 16.2 की वृद्धि दर्ज की है।

राज्य 2021-22 2022-23 कुल वृद्धि (रुपये में)
उत्तर प्रदेश 14568 19567 4999
बिहार 11112 13363 2251
उत्तराखंड 26386 29724 3338
झारखंड 17318 19885 2567
महाराष्ट्र 26050 29826 3776
गुजरात 24190 27494 3304

वित्‍त विभाग की बात
सचिव वित्‍त सैय्यद अब्बास रिजवी ने कहा कि कर सीधे-सीधे सेवाओं से जुड़ा हुआ विषय है। प्रति व्यक्ति कर देने का ग्राफ बढ़ने का मतलब है कि लोगों की कमाई बढ़ रही है और लोग सेवाओं का उपभोग खुलकर कर रहे हैं। इससे राज्य का विकास तेजी से हो सकेगा।

 

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