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रूस-चीन के कारण से सऊदी अरब झेल रहा राजस्व में भारी नुकसान!

नईदिल्ली

तेल उत्पादन देशों के संगठन ओपेक के सबसे अहम देश सऊदी अरब और रूस ने मिलकर इस महीने तेल उत्पादन में कटौती को सितंबर तक फिर से बढ़ा दिया है. सऊदी अरब तेल उत्पादन में कमी कर लगातार यह कोशिश कर रहा है कि तेल की कीमतों को ऊंचा रखा जाए लेकिन वो इसमें सफल नहीं हो पा रहा जो उसके आर्थिक विकास के लक्ष्यों पर असर डाल रहा है.

दरअसल, रूस एशियाई देशों भारत और चीन को तेल बेचकर सऊदी के राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा रहा है. इस वजह से तेल की बढ़ती मांग के बावजूद सऊदी अरब का तेल राजस्व कम हो रहा है.

सऊदी सरकार के स्वामित्व वाली सऊदी प्रेस एजेंसी (SPA) के अनुसार, सितंबर 2023 में सऊदी अरब का उत्पादन लगभग 90 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) होगा. अप्रैल के महीने में ओपेक प्लस के देशों ने मिलकर तय किया था कि वो तेल उत्पादन में 16 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती करेंगे. सऊदी के सितंबर महीने के तेल उत्पादन में यह कटौती भी शामिल है.

राज्य के ऊर्जा मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, 'इच्छा से की गई इस अतिरिक्त कटौती का उद्देश्य तेल बाजारों की स्थिरता और संतुलन है. इसके जरिए ओपेक प्लस के देशों की तरफ से किए जा रहे प्रयासों को मजबूती मिलेगी.'

तेल की मांग में तेजी लेकिन सऊदी को नहीं हो रहा फायदा

ब्लूमबर्ग ने गुरुवार को अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि एक साल से भी अधिक समय के बाद ऐसा हो रहा है कि तेल की मांग में लगातार सात सप्ताह तक तेजी रही. जून के अंत से कच्चे तेल में लगभग 20% की बढ़ोतरी हुई है.

इसके अलावा, शुक्रवार को जारी अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की अगस्त 2023 के लिए तेल बाजार रिपोर्ट के अनुसार, इस साल तेल की मांग 22 लाख बैरल प्रतिदिन से बढ़कर 10.22 करोड़ बैरल के रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंचने की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया कि मांग में 70% बढ़ोतरी का कारण चीन है क्योंकि उसने अपनी पेट्रोकेमिकल गतिविधियों को बढ़ा दिया है.

कच्चे तेल की मांग का बढ़ना सऊदी अरब के लिए काफी अच्छी खबर है लेकिन विशेषज्ञों का मानना ​​है कि खाड़ी देश को लगातार मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

बाजार में कच्चे तेल की अधिकता

अमेरिका स्थित रिस्क असिस्टेंस नेटवर्क + एक्सचेंज के एक वरिष्ठ विश्लेषक मैथ्यू बे ने कहा कि सऊदी अरब तेल की कीमतों को बढ़ाना चाहता है लेकिन उसके सामने बहुत सी मुश्किलें हैं.

 

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