उत्तर प्रदेशराज्य

10 लाख की कार के लिए सवा लाख में खरीदा 1111 नंबर, ये है वीआईपी नंबरों की लिस्ट और कीमत

लखनऊ  

नंबर चाहे गाड़ी का हो या मोबाइल का.. नंबर के लिए लोगों की दीवानगी किसी से छुपी नहीं है। इस बार गाड़ी नंबर 1111 को खरीदने के लिए लोगों में खासा क्रेज दिखा। इसके लिए बोली यहां तक पहुंच गई कि इतने में तो एक शानदार बाइक खरीदी जा सकती है। शहर में गाड़ियों के वीआईपी नंबर की मांग का क्रेज तेजी से बढ़ा है। लोग मनपसंद नंबर के लिए 10,000 से 1.50 लाख तक की बोली लगा रहे हैं।ये नंबर स्टेटस और रॉयलिटी का सिंबल बन चुके हैं। आरटीओ विभाग की रिपोर्ट की बात करें तो वीआईपी नंबर 1111 के लिए 1.17 लाख की बोली लगायी गयी। इस गाड़ी की कीमत मात्र 10 लाख बतायी गई है। स्टेट्स की बात करें तो इसने 1 करोड़ 47 लाख की गाड़ी की बोली को पीछे छोड़ दिया।

सड़कों पर लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं फैंसी नंबर
शहर में सर्वाधिक 120 वीआईपी नंबरों की नीलामी हुई है। जिसमें आई 20 के लिए चार लोगों ने बोली लगायी। इसमें बेस प्राइस 10,000 के लिए सर्वाधिक 1,17,500 की बोली लगायी। फैंसी नंबर 1111 के लिए दो उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया। ये बोली सर्वाधिक रही। वहीं, 0001 के लिए आठ लोगों ने बोली लगायी। इसकी कीमत सर्वाधिक 1,10,500 रही। कुल 24 नंबर में चार नंबर एक लाख से ज्यादा के बिके। जबकि, पांच नंबरों के लिए 50 हजार से ज्यादा की बोली लगी।
 
0001 से 0009 तक के नंबर कितने में बिके
0001 के लिए 1,10,500 रुपये, 0002 के लिए 35 हजार रुपये, 0003 के लिए 25 हजार रुपये, 0004 के लिए 26 हजार रुपये, 0005 के लिए 25 हजार रुपये की बोली लगी। स्पेशल नंबर माना जाने वाला 0007 के लिए एक लाख 9 हजार रुपये की बोली लगी। 0008 नंबर के लिए 40 हजार रुपये दांव पर लगाए गए। 0009 के लिए 63 हजार रुपये की बोली लगाई गई। आरटीओ, अरुण कुमार ने कहा कि वीआईपी नंबर एक के लिए अधिकतम बोली 1,17,500 रुपये लगाई गई। पहले ऑनलाइन नीलामी की व्यवस्था नहीं होने पर वीआईपी नंबरों के आवंटन को लेकर कार्यशैली पर सवाल उठते थे, लेकिन ऑनलाइन व्यवस्था लागू की गई है, माहौल बदल गया है।

ऑनलाइन लगती है वाहन के नंबरों की बोली
0001, 0007, 0004, 9999, 8888, 7000 सहित अन्य नंबरों को वीआईपी नंबर कहा जाता है। कार या बाइक के लिए मनचाहा नंबर पाने के लिए parivahan.gov.in पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके बाद वीआईपी नंबर्स की बोली लगती है। अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग नंबर के विकल्प दिए जाते हैं। नंबर के अनुसार परिवहन विभाग को पैसा चुकाना होता है। कार या बाइक का नंबर जितना वीआईपी होता है, उसकी कीमत उतनी ज्यादा होती है। यदि एक नंबर के लिए ज्यादा लोग आवेदन करते हैं तो फिर ऑनलाइन बोली लगती है।

 

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