इंदौरमध्य प्रदेश

महाकाल मंदिर में VIP दर्शन पर लगेगी लाइव निगरानी, अब पता चलेगा कौन लाया खास मेहमान और कितने पहुंचे दर्शन

उज्जैन 
उज्जैन के प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में अब प्रोटोकॉल दर्शन व्यवस्था को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जा रहा है। मंदिर में वीआईपी श्रद्धालुओं के दर्शन के दौरान रियल टाइम में उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। यह व्यवस्था मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक के निर्देशन में लागू की गई है, जिसका उद्देश्य श्रद्धालुओं के अनुभव को और बेहतर बनाना है।

इस नई व्यवस्था में जनप्रतिनिधियों, न्यायिक अधिकारियों, नेताओं, अभिनेताओं और मीडिया से जुड़े व्यक्तियों के लिए विशेष प्रोटोकॉल दर्शन की प्रणाली को तकनीकी रूप से सुदृढ़ किया गया है। जब वीआईपी श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं, तो मंदिर के शंख द्वार पर तैनात कर्मचारी उनकी जानकारी को गूगल डॉक्स पर दर्ज करते हैं। यह जानकारी सीधे मंदिर के प्रशासक और सहायक प्रशासक के मोबाइल पर लाइव अपडेट होती है, जिससे सभी गतिविधियों पर तुरंत नजर रखी जा सके।

मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक के निर्देशन में यह नई व्यवस्था लागू की गई है। इसमें जनप्रतिनिधियों, न्यायिक अधिकारियों, नेताओं, अभिनेताओं और मीडिया से जुड़े उन लोगों के लिए विशेष प्रोटोकॉल दर्शन व्यवस्था को तकनीकी रूप से मजबूत किया गया है, जो पूर्व सूचना या अनुशंसा के आधार पर दर्शन के लिए आते हैं।

जब कोई वीआईपी श्रद्धालु दर्शन के लिए आता है, तो मंदिर के शंख द्वार पर तैनात दो कर्मचारी कंप्यूटर पर उसकी जानकारी गूगल डॉक्स में एंटर करते हैं। ये जानकारी सीधे मंदिर के प्रशासक प्रथम कौशिक और सहायक प्रशासक आशीष पलवड़िया के मोबाइल पर लाइव होती है।

कौन आया, कब आया सब कुछ रिकॉर्ड में

    श्रद्धालु कब मंदिर पहुंचे
    किस गेट से एंट्री की
    कितने समय में दर्शन किए
    कितने लोग साथ आए
    किसने प्रोटोकॉल दर्शन के लिए अनुरोध किया
    सभी नामित व्यक्तियों ने दर्शन किया या अतिरिक्त लोग शामिल थे

इसके साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि वीआईपी को रिसीव किसने किया और उनके प्रोटोकॉल दर्शन की प्रक्रिया में कौन-कौन कर्मचारी शामिल रहा।

तीन स्तर पर चेकिंग और मोबाइल पर फीड

प्रोटोकॉल पॉइंट्स की जानकारी तीन स्थानों पर चेक की जा रही है और इन तीनों जगह की लाइव फीड अधिकारियों के मोबाइल पर उपलब्ध हो रही है।

सहायक प्रशासक आशीष पलवड़िया के अनुसार, दिनभर में प्रोटोकॉल दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या, उन्हें नंदी हॉल व जलद्वार तक दर्शन की व्यवस्था और पूरी गतिविधि की लाइव मॉनिटरिंग की जा रही है। यह तकनीकी व्यवस्था अक्टूबर के पहले हफ्ते में शुरू की गई है और इसके प्रभावी नतीजे भी सामने आ रहे हैं।

जानिए इस नई व्यवस्था की जरूरत क्यों पड़ी?

महाकालेश्वर मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इनमें से कई श्रद्धालु प्रोटोकॉल व्यवस्था के तहत दर्शन करते हैं। इस व्यवस्था के तहत जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, पुलिस, न्यायिक अधिकारियों आदि को विशेष अनुमति दी जाती है। इसके लिए प्रति व्यक्ति 250 रुपए मंदिर में दान स्वरूप जमा करना अनिवार्य है।

हालांकि, बीते साल में इस व्यवस्था में कई बार गड़बड़ियां सामने आईं हैं। मंदिर समिति द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि कई बार अधिक संख्या में श्रद्धालु दर्शाए गए और उनके माध्यम से अवैध रूप से एंट्री कराई गई। साथ ही, रुपयों के लेन-देन के आरोप भी मंदिर कर्मचारियों पर लगे हैं।

इन्हीं अनियमितताओं पर लगाम लगाने के लिए अब मंदिर समिति ने प्रोटोकॉल दर्शन व्यवस्था को पूरी तरह ऑनलाइन करने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और अवैध वसूली पर रोक लगाना है।

10 माह पहले पकड़ा गया था अवैध वसूली का रैकेट

करीब 10 महीने पहले महाकाल मंदिर में वीआईपी और प्रोटोकॉल दर्शन के नाम पर अवैध वसूली का बड़ा मामला सामने आया था। इसमें उत्तर प्रदेश, गुजरात सहित अन्य राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं से 1100 से 2000 रुपए तक वसूले जा रहे थे।

जांच में सामने आया कि इस ठगी में मंदिर के कुछ कर्मचारी, पुरोहित और सुरक्षा गार्ड शामिल थे। मंदिर समिति ने इस मामले में करीब 13 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें से 6 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया था।

ऐसे होता था घोटाला

    महाकाल मंदिर में प्रोटोकॉल दर्शन के तहत न्यायिक अधिकारियों, मीडिया कर्मियों, जनप्रतिनिधियों और अन्य वीआईपी श्रद्धालुओं को नंदी हॉल तक जाने की अनुमति दी जाती है। आम श्रद्धालु भी 250 रुपए की रसीद के माध्यम से बिना लंबी कतार के दर्शन कर सकते हैं।
    इसी व्यवस्था का दुरुपयोग करते हुए कुछ कर्मचारी श्रद्धालुओं को विशेष दर्शन और जल अर्पण का झांसा देकर पुजारियों और पुरोहितों से मिलवाते थे। इसके बाद प्रत्येक श्रद्धालु से 1100 से 2000 रुपए तक की अवैध वसूली की जाती थी।
    यह राशि मंदिर समिति के खाते में जानी चाहिए थी, उसे कर्मचारियों ने खुद हड़प लिया। इस पूरे मामले के उजागर होने के बाद मंदिर समिति ने सख्त कदम उठाते हुए अब संपूर्ण प्रोटोकॉल व्यवस्था को डिजिटल और ऑनलाइन करने का निर्णय लिया है।

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