
नई दिल्ली
Ban on Luxury Petrol-Diesel Cars: दिल्ली की हवा जब नवंबर आते-आते धुएँ की चादर ओढ़ लेती है, तब सिर्फ इंसान नहीं, नीतियों की भी सांस फूलने लगती है. ऐसे वक्त में सुप्रीम कोर्ट का एक सुझाव ने देश के लग्जरी कार के मालिकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. अदालत का कहना है अब समय आ गया है कि लग्ज़री पेट्रोल-डीजल लग्जरी कारें धीरे-धीरे सड़क से हटाई जाएं.
सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव देते हुए कहा है कि, पेट्रोल और डीजल से चलने वाली लग्जरी कारों पर चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध लगाने पर विचार होना चाहिए. यह सुझाव उस समय आया है जब देश इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की दिशा में तेज़ी से बढ़ तो रहा है, लेकिन लग्ज़री सेगमेंट में अब भी ज़्यादातर लोग पारंपरिक इंजन वाली (पेट्रोल-डीजल) कारों को ही प्राथमिकता देते हैं.
यह सुझाव सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसका प्रतिनिधित्व वकील प्रशांत भूषण कर रहे थे. याचिका में मांग की गई है कि सरकार की मौजूदा ईवी नीतियों को ज़मीन पर सख्ती से लागू किया जाए, ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों को वास्तव में बढ़ावा मिल सके.
क्या है कोर्ट का सुझाव?
13 नवंबर 2025 को हुई सुनवाई में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की बेंच ने कहा कि, शुरुआत लग्ज़री इंटरनल कंबशन इंजन (ICE) यानी पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों पर पाबंदी से हो सकती है. अदालत के मुताबिक, बड़ी इलेक्ट्रिक कारें अब आसानी से उपलब्ध हैं और उन्हीं सुविधाओं के साथ आती हैं जिन्हें VIP और बड़े कॉरपोरेट घराने अपने वाहन चुनते समय देखते हैं. ऐसे में इन लग्जरी मॉडलों को चरणबद्ध तरीके से हटाने से आम जनता प्रभावित नहीं होगी.
बेंच ने यह भी सुझाव दिया कि बड़े महानगरों में पायलट प्रोजेक्ट चलाकर लोगों को पेट्रोल-डीजल वाहनों के बजाय EV की ओर प्रोत्साहित किया जा सकता है. बेंच का कहना है कि जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ेगी वैसे ही चार्जिंग स्टेशनों की मांग भी बढ़ेगी. साथ ही चार्जिंग इंफ्रा को बेहतर होनी शुरू हो जाएगी.
क्या समीक्षा लायक हो चुकी है EV पॉलिसी
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन नीतियों पर केंद्र सरकार के 13 मंत्रालय काम कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सभी नीतियों, नोटिफिकेशन और डेवलपमेंट की एक विस्तृत रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है. अदालत ने यह भी पूछा कि क्या मौजूदा EV पॉलिसी, जो 5 साल से अधिक पुरानी हैं, अब समीक्षा लायक हो चुकी हैं. अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी, जिसमें विस्तृत रिपोर्ट पेश की जानी है.
लग्जरी इलेक्ट्रिक कारों की मांग
भारत में लग्जरी सेगमेंट में इलेक्ट्रिक (EV) की हिस्सेदारी लगभग 12 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है, जबकि आम बाजार में यह सिर्फ 2–3 प्रतिशत है. यही वजह है कि इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में BMW और Mercedes-Benz जैसी कंपनियों ने जबरदस्त इलेक्ट्रिक कार बिक्री दर्ज की है. दिलचस्प बात यह है कि 1 करोड़ रुपये से ऊपर की इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ भी अब पहले से कहीं तेज़ी से बिक रही हैं. यानी ऐसे लोग जो वाहन पर ज्यादा पैसा खर्च करने में सक्षम है वो इलेक्ट्रिक कारों को एक बेहतर विकल्प के तौर पर देख रहे हैं.
टॉप 5 लग्ज़री कार ब्रांड्स की सालाना बिक्री (यूनिट में)
क्रम ब्रांड वित्त वर्ष 24 वित्त वर्ष 25
1. मर्सिडीज-बेंज 18,123 18,928
2. बीएमडब्ल्यू 15,420 15,995
3. जगुआर लैंडरोवर 4,436 6,183
4. ऑडी 7,049 5,993
5. वोल्वो 2,150 1,750
इन आंकड़ों से साफ दिखता है कि वित्त वर्ष 25 में मर्सिडीज-बेंज और बीएमडब्ल्यू की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है, जबकि ऑडी और वोल्वो की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है. जगुआर लैंडरोवर ने सबसे अधिक तेजी दिखाई है और FY24 के मुकाबले FY25 में अच्छी ग्रोथ हासिल की है. कुल मिलाकर, मार्केट में जर्मन ब्रांड्स का दबदबा कायम है और Mercedes-Benz अभी भी लग्ज़री सेगमेंट की सबसे अधिक बिकने वाली कार ब्रांड बनी हुई है.
कितनी कारों पर पड़ेगा असर
भारत में पैसेंजर व्हीकल सेग्मेंट में लग्ज़री कारों का मार्केट शेयर बहुत ही कम है. ये देश में बेची वाली कुल कारों का तकरीबन 1% है. जो साल 2030 तक बढ़कर 4-5% पहुंचने की उम्मीद है. लग्ज़री कारों की मार्केट प्रेजेंस का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि, बीते अक्टूबर में टाटा नेक्सन बेस्ट सेलिंग कार बनी और इसके कुल 22,083 यूनिट बेचे गए थे. जो मर्सिडीज-बेंज की सालान बिक्री (18,928) से भी ज्यादा है.
खैर, 37-38.8%. मार्केट शेयर के साथ मर्सिडीज-बेंज लग्ज़री कार सेग्मेंट की लीडर बनी हुई है. दूसरी ओर तकरीबन 32% बाजार पर बीएमडब्ल्यू का कब्ज़ा है. जगुआर और ऑडी के बीच थर्ड पोजिशन को लेकर खींचतान जारी है, जिसमें FY25 में जगुआर आगे है. वाहनों के इस बिक्री के आंकड़ों में इन ब्रांड्स के इलेक्ट्रिक वाहन भी शामिल हैं.
ये कार ब्रांड्स होंगे प्रभावित
अगर यह प्रतिबंध लागू होता है तो इसका सीधा असर उन लग्ज़री कार ब्रांड्स के खरीदारों पर पड़ेगा जो इलेक्ट्रिक विकल्प होने के बावजूद पेट्रोल या डीजल वाली लग्जरी कारें चुनते हैं. भारत में कई लग्जरी ब्रांड अपने इलेक्ट्रिक मॉडल बेच रहे हैं, लेकिन ग्राहकों का बड़ा हिस्सा अब भी पुराने पावरट्रेन को ही तरजीह देता है. ऐसे में यह बदलाव पूरी तरह इलेक्ट्रिक विकल्पों की ओर धकेल सकता है और कंपनियों को अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करने पड़ सकते हैं.
इस सुझाव पर अमल किया जाता है तो, इससे मर्सिडीज-बेंज, बीएमडब्ल्यू, जगुआर लैंडरोवर और ऑडी जैसे ब्रांड्स सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. हालांकि इन ब्रांड्स ने भी इंडियन मार्केट में इलेक्ट्रिक कारों का पोर्टफोलियो बढ़ाना शुरू कर दिया है. लेकिन अभी भी महंगी और लग्ज़री कार खरीदारों के बीच पेट्रोल-डीजल इंजन का क्रेज बरकरार है.
कब लागू होगा यह बैन
सुप्रीम कोर्ट ने अभी किसी अंतिम समयसीमा की घोषणा नहीं की है. इस समय यह विचार-विमर्श के स्तर पर है. अदालत ने केवल यह पूछा है कि मौजूदा नीतियों जैसे नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान की समीक्षा की जरूरत क्यों महसूस नहीं की जा रही. सरकार से दिसंबर तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है, जो आगे की दिशा तय करेगी. फिलहाल, इस बैन के बारे में किसी भी तारीख इत्यादि की घोषणा नहीं की गई है.



