धर्म एवं ज्योतिष

Karva Chauth पर MP, दिल्ली और बिहार समेत किन राज्यों में कब दिखेगा चांद?

भोपाल

हिन्दू धर्म में करवा चौथ का व्रत सबसेअधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे जीवन में के लिए निर्जला उपवास रखती है. ये व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किए पति की लंबी आयु के लिए उपवास करती है और रात को चांद देखने के बाद अपना व्रत तोड़ती करती हैं. करवा चौथ का पर्व पूरे उत्तर भारत में मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश में भी इस पर्व की धूम देखने को मिलती है.

देश में हर साल की तरह इस बार भी करवाचौथ का त्योहार आज धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज के दिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. दिन भर निर्जला व्रत रखने के बाद महिलाएं रात को चांद दिखने पर चंद्रमा को अर्ध्य देकर उपवास तोड़ती हैं. 

करवा चौथ व्रत की शुरुआत सुबह सरगी खाने के साथ होती है. सूर्योदय से शुरू हुआ यह व्रत रात में महिलाओं द्वारा चंद्रमा की पूजा और छलनी से चांद को देखने के बाद होती है. इस दौरान महिलाएं अपने पति की आरती भी उतारती हैं. पति अपने हाथों ने पत्नी को पानी पिलाते हैं. 

करवा चौथ का व्रत गणपति जी और करवा माता को समर्पित है. यहां पर आपको ये भी बता दें कि यह व्रत चांद की पूजा के बिना अधूरा माना जाता है.

करवा चौथ 2024 पूजा मुहूर्त 

करवा चौथ पूजा समय- शाम 05.46 – रात 07.09 (अवधि 1 घंटा 16 मिनट)
करवा चौथ व्रत समय – सुबह 06.25 – रात 07.54 (अवधि 13 घंटे 29 मिनट)

हिन्दू धर्म में करवा चौथ को सुहागिन स्त्रियों को सबसे बड़ा माना जाता है. ये व्रत सूर्योदय से लेकर रात में चंद्रोदय तक चलता हैं. महिलाएं इस दिन सोलह श्रृंगार करती है और अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत करती है. महिलाएं पूरा दिन न तो अन्न ग्रहण करती और न ही जल. रात को जब चंद्रोदय होता है तब महिला चांद अर्घ्य देकर पति की लंबी आयु की मंगल कामना करते हुए अपना उपवास पूरा करती है.

करवा चौथ पर चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 46 मिनट से प्रारंभ होगी और 21 अक्टूबर को सुबह 04 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में शाम होने के बाद से ही महिलाओं को चांद के निकलने का इंतजार रहता है. लेकिन, इस बार चांद देखने के लिए महिलाओं को ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा. इस बार रविवार को चंद्रमा का उदय शाम 7 बजकर 40 मिनट पर हो जाएगा. राजधानी दिल्ली-नोएडा से लेकर प्रयागराज और अयोध्या तक तमाम बड़े शहरों में चांद इस समय दिखाई देगा.

किस शहर में कब दिखेगा चांद

शहर का नाम

चांद निकलने का समय

लखनऊ07 बजकर 42 मिनट
कानपुर 07 बजकर 47 मिनट
नोएडा 07 बजकर 52 मिनट
दिल्ली9 बजकर 10 मिनट
प्रयागराज 07 बजकर 42 मिनट
अयोध्या 07 बजकर 38 मिनट
वाराणसी 07 बजकर 32 मिनट
बरेली 07 बजकर 46 मिनट
गाजियाबाद 07 बजकर 52 मिनट
आगरा 07 बजकर 55 मिनट
कोलकाता07 बजकर 46 मिनट
देहरादून07 बजकर 09 मिनट
अमृतसर07 बजकर 54 मिनट
भोपाल08 बजकर 29 मिनट
अहमदाबाद07 बजकर 38 मिनट
चेन्नई08 बजकर 43 मिनट
मुंबई08 बजकर 59 मिनट
कुरुक्षेत्र08 बजे
शिमला07 बजकर 47 मिनट
जम्मू07 बजकर 52 मिनट
पंजाब07 बजकर 48 मिनट
बिहार08 बजकर 29 मिनट
झारखंड 08 बजकर 35 मिनट

कुछ ऐसी है मान्यता

ऐसा माना जाता है कि पूजा के दौरान करवा (मिट्टी का पात्र) का प्रयोग किया जाता है, जिसे पति की प्रतीकात्मक सुरक्षा के रूप में देखा जाता है. महिलाएं करवा को भगवान गणेश और चंद्रमा के सामने रखकर पूजा करती हैं. फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का समापन करती हैं. पति पत्नी को आवश्यक रूप से विशेष उपहार देते हैं, इसमें आभूषण, कपड़े और अन्य उपहार शामिल होते हैं.

करवा चौथ 2024 मून टाइम 

20 अक्टूबर 2024 को रात 7 बजकर 54 मिनट पर चांद निकलेगा. दिल्ली में चांद दिखने का सही समय सात बजकर 53 मिनट है. नोएडा में यह समय 7 बजकर 52 मिनट है. शहर के अनुसार चंद्रोदय समय कुछ मिनट के अंतर से अलग-अलग हो सकता है. 

क्या है करवा चौथ की अहमियत?

दिल्ली सहित पूरे देश में करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के अखंड प्रेम, सम्मान और त्याग की चेतना का प्रतीक है. ये व्रत दांपत्य जीवन में अपार खुशियां लेकर आता है. करवाचौथ की सबसे पहले शुरुआत सावित्री की पतिव्रता धर्म से हुई. महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलती हैं. 

करवा चौथ के पीछे मान्यता यह है कि देवी पार्वती ने भी ये व्रत किया था. दूसरी मान्यता है कि करवा चौथ व्रत महाभारत काल में द्रोपदी ने भी किया था. जब पांडवों पर संकट के बादल मंडराए थे तो श्रीकृष्ण के कहे अनुसार द्रोपदी ने करवा चौथ का व्रत पूजन किया था, जिसके प्रभाव से पांडवों का संकट टल गया था. 

इस त्योहार को लेकर एक मान्यता यह है जो सुहागिन स्त्री इस दिन अन्न-जल का त्याग कर व्रत रखती हैं, उसके सुहाग पर कभी कोई आंच नहीं आती.

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