माघ गुप्त नवरात्रि कब से शुरू हो रही है? देखें कलश स्थापना मुहूर्त, दुर्गा अष्टमी और व्रत कैलेंडर
हिंदू धर्म में नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रत्येक वर्ष में 2 गुप्त नवरात्र भी आते हैं, एक माघ की गुप्त नवरात्र और दूसरा आषाढ़ के गुप्त नवरात्र। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है गुप्त नवरात्र के दौरान दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना गुप्त तरीके से की जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं गुप्त का महत्व और पूजा विधि।
माघ गुप्त नवरात्र 2024 का शुभारंभ
माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्र की शुरुआत होती है, नवमी तिथि तक मनाई जाती है। ऐसे में पंचांग के अनुसार, साल 2024 में माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 10 फरवरी, शनिवार के दिन से हो रही है। वहीं 18 फरवरी, रविवार के दिन इसका समापन होगा।
घट स्थापना का मुहूर्त
गुप्त नवरात्र में शारदीय या चैत्र माह की नवरात्र की तरह ही घट स्थापना की जाती है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 10 फरवरी 2024 को सुबह 04 बजकर 28 मिनट पर शुरू हो रही है, जो 11 फरवरी रात्रि 12 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में माघ गुप्त नवरात्र के घट स्थापना का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा –
घट स्थापना का मुहूर्त – 10 फरवरी, सुबह 08 बजकर 45 मिनट से सुबह 10 बजकर 10 मिनट तक
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – 10 फरवरी, दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक
माघ गुप्त नवरात्र का महत्व
माघ नवरात्र, जिसे गुप्त नवरात्र भी कहा जाता है, इस दौरान मुख्य रूप से नौ दिनों की अवधि में दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना गुप्त तरीके से की जाती है। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य साधकों या अघोरी द्वारा तंत्र-मंत्र की सिद्धि पाना होता है। माना जाता है कि इस पूजा अनुष्ठान को जिनता गुप्त रखा जाता है, साधक की मनोकामनाएं भी उतनी ही जल्दी पूरी होती हैं।
गुप्त नवरात्रि में इन 10 महाविद्याओं की होती है साधना
मां काली
मां तारा
मां त्रिपुर सुंदरी
मां भुवनेश्वरी
मां छिन्नमस्ता
मां त्रिपुर भैरवी
मां धूमावती
मां बगलामुखी
मां मातंगी
मां कमला
माघ गुप्त नवरात्रि का महत्व
गुप्त नवरात्रि में गुप्त रूप से माता रानी की पूजा की जाती है। इस दौरान तांत्रिक, साधक और अघोरी तंत्र-मंत्र की सिद्धि पाने के लिए गुप्त साधना करते हैं। वहीं सामान्य लोग भी गुप्त रूप से दुर्गा मां की आराधना करके अपने सारे संकटों से मुक्ति को पाते हैं। कहा जाता है कि गुप्त नवरात्रि की पूजा, व्रत और अनुष्ठान को गुप्त रखना चाहिए। इस दौरान की गई पूजा-आराधना को किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए। इस पूजा को जितना अधिक गुप्त रहेगा उतनी ही जल्दी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।