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मोटापा घटाने वाली गोलियां जल्द लॉन्च, जानें इंजेक्शन से कितनी ज्यादा प्रभावी

नई दिल्ली

भारत में फिलहाल वजन कम करने वाली और डायबिटीज को कंट्रोल करने वाली 2 दवाएं औपचारिक रूप से लॉन्च हो चुकी हैं. इनमें अली लिली की मौनजारो और नोवो नॉर्डिस्क की वेगोवी शामिल हैं. दुनिया भर में ओजेम्पिक, मौनजारो और वेगोवी जैसी दवाएं कई देशों में इंजेक्शन के रूप में मौजूद हैं लेकिन अब खबर आई है कि एली लिली और नोवो नॉर्डिस्क कंपनी जल्द ही मोटापे के इलाज की गोलियां भी मार्केट में लॉन्च करने जा रही है. इन वजन कम करने वाली गोलियों की अमेरिका में कीमतें उनके वजन घटाने वाले इंजेक्शनों के बराबर होंगी. हालांकि दोनों ही कंपनियों ने इन दवाओं की कीमतों का अभी तक कोई खुलासा नहीं किया है. उनका कहना है आने वाली दवाओं को मंजूरी मिलने और लॉन्च होने में अभी कुछ महीनों का समय है इसलिए कीमतें बदल सकती हैं.

कब लॉन्च होंगी गोलियां?

डेनमार्क स्थित नोवो को इस साल के अंत में मंजूरी मिलने और उसके तुरंत बाद लॉन्च होने की उम्मीद है जबकि इंडियानापोलिस स्थित लिली को अगस्त 2026 तक लॉन्च होने की उम्मीद है. नोवो की वेगोवी और लिली की जेपबाउंड (टिरजेपेटाइड, टाइप 2 डायबिटीज और वजन घटाने के लिए इस्तेमाल होने वाली एक दवा) जो वीकली इंजेक्शन के रूप में दी जाती हैं. यह GLP-1 हार्मोन को टारगेट करने वाली एकमात्र अत्यधिक प्रभावी वजन घटाने वाली दवाएं हैं और इनका अमेरिका में सबसे बड़ा मार्केट है.

अमेरिका में इनकी कीमत लगभग ₹83,000 से ₹85,000 प्रति माह या उससे अधिक है. दोनों कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस बीमा की जगह नकद भुगतान करने वाले ग्राहकों को ₹41,417 से ₹42,415 मासिक में दवा प्रदान करती है.

अगर भारत की बात करें तो भारत में मौनजारो (Mounjaro) की 1 महीने (4 इंजेक्शन) की खुराक की कीमत लगभग 14,000 रुपये से 17,500 रुपये तक है, जबकि वेगोवी (Wegovy) की 1 महीने की खुराक की कीमत करीब 17,345 रुपये से 26,015 रुपये के बीच है.

इंजेक्शन और गोली में से क्या अधिक इफेक्टिव?

दोनों कंपनियों ने कहा है कि उन्होंने मरीजों की जरूरतों को पूरा करने और बाजार तक पहुंच बढ़ाने के लिए, मुंह से ली जाने वाली वजन घटाने वाली दवाएं विकसित की हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए कि कुछ लोग इंजेक्शन से परहेज करते हैं.

हालांकि, गोलियां इंजेक्शन से अधिक असरदार नहीं हैं. लिली ने इस महीने कहा कि उसकी गोली ऑर्फोर्ग्लिप्रॉन ने एक परीक्षण में 72 हफ्तों के बाद 12.4 प्रतिशत वजन कम किया. वहीं इसकी तुलना नोवो की रोजाना ली जाने वाली सेमाग्लूटाइड से 15 प्रतिशत वजन कम होने से की जा सकती है. दोनों ही लिली के इंजेक्शन से 21 प्रतिशत तक पीछे हैं.

यूबीएस के विश्लेषक ट्रुंग हुइन्ह ने कहा कि कीमत शायद आज की मौजूदा दवाओं के बराबर या थोड़ी कम होंगी. वहीं टीडी कोवेन के विश्लेषक माइकल नेडेलकोविच ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नोवो की गोली वेगोवी की कीमत के आसपास ही शुरू होगी. उन्होंने अपनी डायबिटीज की गोली राइबेलसस की कीमत का उदाहरण देते हुए कहा कि उसकी डायबिटीज की गोली ओजेम्पिक जो वेगोवी का डायबिटिक-ट्रीटमेंट वैरिएंट है, उसके इंजेक्शन के बराबर कीमत रखी गई है. नोवो के अधिकारियों ने इस महीने विश्लेषकों को बताया कि वे नई गोली के लिए रियायती मूल्य निर्धारित करने की जल्दी में नहीं हैं.

विश्लेषकों के अनुसार, ओरल जीएलपी-1 दवाएं इंजेक्शन की जगह लेने के बजाय एक विशिष्ट स्थान भरेंगी. टीडी कोवेन का अनुमान है कि 2030 तक मध्य किशोरावस्था में गोलियां ग्लोबल ओबेसिटी की दवा बाजार में 1 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर लेंगी, जो तब तक करीब 12.45 लाख करोड़ तक पहुंच सकती हैं.

 

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