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छोटे कारोबारियों को नई ताकत देगी विश्वकर्मा योजना, 13 से 15 हजार करोड़ रुपये होंगे खर्च

नई दिल्ली
लाल किले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी वर्ष विश्वकर्मा जयंती के मौके पर विश्वकर्मा योजना शुरू करने की घोषणा की। यह योजना छोटे कारोबारियों को नई ताकत देगी और उनके लिए आजीविका के अवसर बढ़ाएगी। यह ऐसा समूह है जिनका राजनीतिक हस्तक्षेप भी होता है।

विकास नीति को लेकर क्या बोले पीएम?
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में सरकार की विकास नीतियों के कारण 13.5 करोड़ लोग गरीबी की जंजीर तोड़कर नए मध्यम वर्ग में शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि विश्वकर्मा योजना से गांवों-कस्बों एवं छोटे शहरों में औजार एवं हाथ से काम करने वाले लोहार, सुनार, सुतार, बढ़ई, नाई, राजमिस्त्री एवं कपड़े धोने वाले समूह को नई ताकत मिलेगी। इनमें से ज्यादातर कामगार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आते हैं।

विश्वकर्मा योजना पर कितनी आएगी लागत?
बता दें कि देश में कई राजनीतिक दल जाति जनगणना का नारा देकर चुनावी रणनीति साधने की कोशिश कर रहे हैं। विश्वकर्मा योजना के जरिये सरकार उन्हें रोजगार का सीधा माध्यम देकर अपनी पैठ बनाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस योजना पर 13 से 15 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी।

इसके पहले भी आवास एवं पीएम स्वनिधि जैसी विभिन्न योजनाओं ने उन्हें मदद दी है। रेहड़ी-पटरी वालों तक 50 हजार करोड़ रुपये पहुंचाए गए हैं। उन्होंने कहा कि गरीबी कम होने पर मध्यम वर्ग की ताकत बढ़ जाती है। उनकी क्रय एवं व्यापार की शक्ति बढ़ जाती है। इससे आर्थिक व्यवस्था में तेजी आती है।
पीएम ने किया किसान सम्मान निधि का उल्लेख

इसी संदर्भ में उन्होंने पीएम किसान सम्मान निधि का उल्लेख किया और कहा कि इस योजना के तहत ढाई लाख करोड़ रुपये सीधे किसानों के खाते में जमा किए गए हैं। जल जीवन मिशन के तहत हर घर में शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए दो लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। गरीबों के इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना के तहत 70 हजार करोड़ रुपये लगाए गए हैं।

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