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Chandrayaan-3 चांद पर उतरने के बाद क्या-क्या करेगा, समझे

नईदिल्ली

अगर सब कुछ भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के हिसाब रहा तो चंद्रयान-3 बुधवार की शाम लगभग छह बजे चांद की सतह पर उतर सकता है.रिपोर्ट में लिखा है कि चंद्रयान-3 जब चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा, उसके बाद से वैज्ञानिकों का असली काम शुरू करेगा. चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने के बाद रोवर से जुड़े कामों को शुरू किया जाएगा.

चांद का एक लूनर डे यानी चांद पर एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है. वैज्ञानिकों की कोशिश होगी कि वो रोवर के ज़रिए चांद से भारी संख्या में भेजे जा रहे डेटा को देखें.

चांद पर उतरते ही…

चांद की सतह पर उतरते ही विक्रम लैंडर का एक साइड पैनल मुड़ जाएगा, जिससे प्रज्ञान रोवर के लिए रैंप यानी उतरने के लिए रास्ता खुल जाएगा.

विक्रम को चंद्रमा पर सॉफ़्ट लैंडिंग के हिसाब से बनाया गया है ताकि रोवर को नुक़सान ना पहुँचे.

रोवर का नाम प्रज्ञान है. ये छह पहियों वाला रोबोटिक व्हीकल है, जो चंद्रमा पर चलेगा और तस्वीरें लेगा.

प्रज्ञान में इसरो का लोगो और तिरंगा बना हुआ है. चांद की सतह पर उतरने के चार घंटे बाद प्रज्ञान लैंडर से बाहर निकलेगा.

प्रज्ञान एक सेंटिमीटर प्रति सेकेंड की रफ़्तार से चांद की सतह पर चलेगा. इस दौरान कैमरों की मदद से प्रज्ञान चांद पर मौजूद चीज़ों की स्कैनिंग करेगा.प्रज्ञान चांद के मौसम का हाल पता करेगा. इसमें ऐसे पेलोड लगाए गए हैं, जो चांद की सतह के बारे में बेहतर जानकारी मिल सकेगी. ये इयॉन्स और इलैक्ट्रॉन्स की मात्रा को भी पता लगाएगा.

जैसे-जैसे प्रज्ञान आगे बढ़ेगा, चांद की सतह पर भारतीय तिरंगा और इसरो लोगो बनता चला जाएगा.प्रज्ञान को ऐसे बनाया गया है कि वो चांद की सतह की जानकारी जुटा सके. प्रज्ञान इन जानकारियों को जुटाकर लैंडर तक पहुंचाएगा.

चांद की सतह का अध्ययन करने के लिए लैंडर के पास दो हफ़्तों को समय होगा.प्रज्ञान सिर्फ़ लैंडर से संवाद कर सकता है और ये लैंडर ही होगा, जो धरती पर डाटा भेज रहा होगा.

 

इसरो ने क्या कहा?

इसरो का कहना है कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर का भी कम्युनिकेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. सोमवार को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने लैंडर से सफलतापूर्वक संवाद किया था.इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा- धरती के 14 दिनों में प्रज्ञान कितनी दूरी तय करेगा, इस बारे में अभी अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि ये कई चीज़ों के आधार पर किया जाएगा.

विक्रम और प्रज्ञान को एक चंद्र दिवस यानी धरती के 14 दिनों तक काम करना है. अगर इससे ज़्यादा की अवधि तक चंद्रयान-3 को टिकना है तो उसे चांद की ठंडी रात यानी माइनस 238 डिग्री सेल्सियस के साथ सुरक्षित रहना होगा.

इसरो प्रमुख ने कहा है कि ऐसी संभावनाएं हैं कि विक्रम और लैंडर दोनों के पास एक अतिरिक्त लूनर डे होगा.

सोमवार को इसरो प्रमुख ने चंद्रयान-3 से जुड़ी अपडेट्स केंद्र सरकार को दी. इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 का अब तक का सफर सफल रहा है.

अगले दो दिनों तक चंद्रयान-3 के हाल पर लगातार नज़र रखी जाएगी.

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रमिशन के तीन चरण हैं. पहला- चांद की सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग. दूसरा- रोवर प्रज्ञान को चांद की ज़मीन पर उतारना. तीसरा- डाटा जुटाना और भेजना.

चंद्रयान-3 अगर सफलतापूर्वक लैंडिंग करता है तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश होगा.

भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन ये उपलब्धि हासिल कर चुके हैं. हालांकि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश भारत होगा.

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, ''हम दक्षिणी ध्रुव पर इसलिए उतरना चाहते हैं कि क्योंकि हम उन चीज़ों को खोजना चाहते हैं जो अब तक नहीं खोजी गईं. हमें डार्क क्रेटर्स की जो तस्वीरें मिली हैं, उससे ये लगता है कि वहां पानी है. अगर चंद्रयान-3 को चांद पर पानी होने के और साक्ष्य मिले, तब वैज्ञानिक दृष्टि से नए रास्ते खुल सकते हैं.''

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