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विदेशों में संपत्ति खरीदने वालों की संख्या में लगातार इजाफा, विदेशी संपत्ति की घोषणा करने वालों की बढ़ी है संख्या

नई दिल्ली
विदेशों में संपत्ति रखने वाले या खरीदने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के आंकड़े बताते हैं कि 30,000 से ज़्यादा टैक्सपेयर्स ने 29,000 करोड़ रुपये की विदेशी संपत्ति घोषित की है। CBDT के एक अभियान के बाद यह खुलासा हुआ है।
हजारों भारतीय एनआरआई बने

इस अभियान में करदाताओं को अपनी विदेशी संपत्ति की जानकारी देने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। साथ ही, 6,734 करदाताओं ने अपनी स्थिति 'निवासी' से 'अनिवासी' में बदल दी है। इन लोगों ने 1,090 करोड़ रुपये की अतिरिक्त विदेशी आय की घोषणा की है। इस दौरान औसतन हर करदाता ने लगभग 1 करोड़ रुपये की विदेशी संपत्ति घोषित की है। गौरतलब है कि आयकर विभाग ने 19,000 से ज़्यादा करदाताओं को नोटिस भेजा था।

125 देशों के बीच इंर्फोमेशन शेयरिंग एग्रगीमेंट

लगभग 125 देशों के बीच सूचना साझा करने की व्यवस्था है। भारत 2018 से ही इस व्यवस्था का हिस्सा है। इसके तहत भारत को विदेशी बैंक खातों, उनमें जमा राशि, लाभांश, ब्याज और कुल भुगतान की जानकारी मिलती रहती है। लेकिन, कर अधिकारियों ने पाया कि सभी लोग ज़रूरी जानकारी नहीं दे रहे थे। इसलिए CBDT ने पिछले नवंबर में एक अभियान शुरू किया। इस अभियान में करदाताओं से अपनी विदेशी संपत्ति और आय की घोषणा करने का आग्रह किया गया। उन्हें अपडेटेड टैक्स रिटर्न के ज़रिए यह जानकारी देनी थी।

टैक्सपेयर्स को भेजे जा रहे हैं ईमेल

इस अभियान के दौरान आयकर विभाग ने 19,500 करदाताओं को ईमेल और टेक्स्ट मैसेज भेजे। इन करदाताओं के पास काफ़ी विदेशी संपत्ति और बैंक खातों में बड़ी रकम थी। विभाग ने लगभग 8,500 लोगों के साथ बैठकें भी कीं। हमारे सहयोगी ईटी को एक सूत्र ने बताया कि लगभग 62% करदाताओं ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपनी ITR में संशोधन करके अपनी विदेशी संपत्ति और आय की घोषणा की।

विदेशी संपत्ति की घोषणा करने वालों की बढ़ी है संख्या

पिछले कुछ सालों में, अपनी विदेशी संपत्ति और आय की स्वेच्छा से घोषणा करने वाले करदाताओं की संख्या बढ़ी है। वित्त वर्ष 2020-21 में यह संख्या 60,000 थी, जो वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 2.3 लाख हो गई। इस साल जागरूकता अभियान और व्यापक प्रयासों के कारण, स्वैच्छिक घोषणाओं में वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में 45% की वृद्धि हुई है।

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