देश

सुप्रीम कोर्ट ने तय की तारीख, आवारा कुत्तों के शिकार लोगों की भी सुनी जाएगी बात

सुप्रीम कोर्ट ने तय की तारीख, आवारा कुत्तों के शिकार लोगों की भी सुनी जाएगी बात

आवारा कुत्तों के हमलों पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, फैसले की तारीख घोषित

सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों के मामलों की सुनवाई, पीड़ितों की सुनाई जाएगी राय

नईदिल्ली 

आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर संबंधित मामले के आदेशों के अनुपालन में चूक होती है तो मुख्य सचिवों को फिर से पेश होना पड़ेगा। कोर्ट ने कहा कि अब मुख्य सचिवों की प्रत्यक्ष उपस्थिति जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह उन लोगों की भी सुनवाई करेगा जिनको कुत्तों ने काटा है और इसके बाद सात नवंबर को आदेश पारित करेगा। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि अधिकतर राज्यों ने अनुपालन हलफनामे दायर कर दिए हैं। कोर्ट ने केरल के मुख्य सचिव द्वारा दायर छूट के अनुरोध वाले आवेदन को अनुमति दे दी है और कहा इस बात को संज्ञान में लिया कि प्रमुख सचिव अदालत में उपस्थित हैं। इसके अलावा भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड को इस मामले में पक्षकार बनाने को कहा गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश स पूछा कि पिछली तारीख पर अनुपान हलफानामा क्यों नहीं दाखिल किया गया? बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को उसके समक्ष उपस्थित रहने का निर्देश दिया था। जस्टिस विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की तीन सदस्यीय विशेष पीठ को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि अधिकतर राज्यों ने अपने अनुपालन हलफनामे दाखिल कर दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने ने 27 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करते हुए पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को तीन नवंबर को उसके समक्ष उपस्थित होकर यह बताने का निर्देश दिया था कि अदालत के 22 अगस्त के आदेश के बावजूद अनुपालन हलफनामे क्यों नहीं दायर किए गए।

पीठ ने अपने आदेश का पालन नहीं करने पर नाराजगी व्यक्त की थी और कहा था कि 27 अक्टूबर तक पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को छोड़कर किसी भी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ने अनुपालन हलफनामे दायर नहीं किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियमों के अनुपालन के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में पूछा था।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button