उत्तर प्रदेशराज्य

तारों को देखने के लिए नवाबों ने यहां बनवाई थी वेधशाला, आज एसबीआई का हिस्सा

 लखनऊ

लखनऊ में एक ऐसी कोठी भी है जहां कभी चांद-सितारों की गणना की जाती थी। आज यह एसबीआई आंचलिक मुख्यालय का हिस्सा है। मुख्य हजरतगंज में केडी सिंह बाबू स्टेडियम के सामने करीब 10 एकड़ में स्थित भारतीय स्टेट बैंक कभी तारेवाली कोठी हुआ करती थी। नवाब नासीरुद्दीन हैदर ने अपने अंग्रेज मित्र की सलाह पर अवध में शाही वेधशाला के निर्माण का काम 1832 में शुरू किया। यह 1841 में बनकर तैयार हुई। करीब 115 वर्षों के अपने सफर में यह तारेवाली कोठी भारतीय स्टेट बैंक में तब्दील हो गई। तब से इसमें भारतीय स्टेट बैंक संचालित हो रहा है। जहां वेधशाला थी वहां सीजीएम का आवास है।  

नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने वेधशाला के निर्माण के लिए कोलकाता से कैप्टन हरबर्ट को लखनऊ बुलाया। हरबर्ट ने वेधशाला के लिए दो मंजिला इमारत बनवाने काम शुरू किया। काम में देरी होते देख नसीरुद्दीन हैदर ने कोलकाता के गवर्नर को पत्र लिखकर लेफ्टिनेंट कर्नल विलकॉक्स बुलाया गया। वह इमारत को पूरा करवा ही रहे थे कि नवाब नसीरुद्दीन हैदर को जहर देकर सन् 1837 में मार दिया गया। इसके बाद नए नवाब मोहम्मद अली शाह ने इसे पूरा करवाया। वेधशाला 1841 में शुरू हुई। इसके निर्माण पर उस वक्त 19 लाख रुपये खर्च हुए थे।  

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