भोपालमध्य प्रदेश

नेता प्रतिपक्ष ने सत्र अवधि बढ़ाने के लिए राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष और CM को भेजा पत्र

भोपाल 

मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आगामी 16वीं विधानसभा का शीतकालीन सत्र (दिसंबर 2025) की अवधि बढ़ाने की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि सत्र की समयावधि इतनी सीमित न रखी जाए कि जनहित के मुद्दों पर समुचित चर्चा ही न हो सके।सिंघार ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि विधानसभा सत्र की अधिसूचना के अनुसार यह सत्र 1 दिसंबर से 5 दिसंबर 2025 तक आयोजित किया जाना प्रस्तावित है, जिसमें केवल चार बैठकें होंगी। उन्होंने कहा कि यह अवधि प्रदेश के ज्वलंत, सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए पर्याप्त नहीं है।

प्रदेश इस समय कई गंभीर चुनौतियां
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश इस समय कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। किसानों की समस्याएं, बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई, कानून-व्यवस्था की स्थिति, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र अनेक प्रश्न खड़े कर रहे हैं। इन विषयों पर गहराई से चर्चा के लिए पर्याप्त समय आवश्यक है, ताकि सरकार अपने जवाब दे सके और विपक्ष जनता की आवाज़ प्रभावी ढंग से उठा सके।

जनता की समस्याओं के समाधान का माध्यम
उन्होंने पत्र में लिखा कि विधानसभा लोकतंत्र का सर्वोच्च मंच है। यह केवल कानून बनाने का स्थल नहीं, बल्कि जनता की समस्याओं के समाधान का माध्यम भी है। यदि सत्र की अवधि सीमित रहेगी, तो लोकतांत्रिक परंपराओं और जनप्रतिनिधियों की भूमिका दोनों ही प्रभावित होंगी।”

सत्रों की अवधि लगातार होती जा रही है कम
सिंघार ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में सत्रों की अवधि लगातार कम होती जा रही है, जिससे न केवल विपक्ष की भूमिका सीमित होती है बल्कि जनता के प्रश्न भी अधूरे रह जाते हैं। उन्होंने आग्रह किया कि इस बार सत्र की अवधि बढ़ाकर अधिक दिनों तक चलाया जाए, ताकि प्रदेश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुली और विस्तृत बहस संभव हो सके।

विस्तार सत्ता पक्ष के लिए भी उपयोगी
उन्होंने यह भी कहा कि सत्र का विस्तार न केवल विपक्ष के लिए, बल्कि सत्ता पक्ष के लिए भी उपयोगी रहेगा। इससे सरकार को अपनी नीतियों और योजनाओं पर विस्तार से चर्चा करने तथा जनता के सामने अपनी उपलब्धियाँ रखने का अवसर मिलेगा। पत्र के अंत में नेता प्रतिपक्ष ने राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे इस विषय पर गंभीरता से विचार करें और लोकतांत्रिक परंपराओं को सुदृढ़ करने की दिशा में सकारात्मक निर्णय लें।

 

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