भोपालमध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश उत्सव का दूसरा दिन : ड्राइंग प्रतियोगिता का आयोजन

भोपाल 
मध्यप्रदेश उत्सव के दूसरे दिन ड्राइंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें 12 वर्ष तक की आयु के बच्चों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की। आयु वर्ग के अनुसार बच्चों को अलग-अलग विषय दिए गए थे। प्रतियोगिता में कुल 37 बच्चों ने भाग लिया जिसमें 6 वर्ष की से काम की आयु के आठ बच्चे और 6 से 12 वर्ष की आयु के 29 बच्चों ने भाग लिया। 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों को मुक्त विषय पर चित्रांकन करने का अवसर दिया गया, जबकि 6 से 12 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को "नेचर एंड एनवायरनमेंट" विषय पर चित्र बनाने का कार्य सौंपा गया।

मध्यप्रदेश उत्सव: क्विज प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
क्विज प्रतियोगिता में कुल पाँच टीमों ने भाग लिया। प्रत्येक टीम में पाँच सदस्य शामिल थे। प्रतियोगिता के सभी प्रश्न मध्यप्रदेश से संबंधित रहे, जिससे प्रतिभागियों को राज्य के इतिहास, संस्कृति एवं सामान्य ज्ञान के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिला।

प्रतियोगिता के दौरान माहौल अत्यंत रोमांचकारी एवं उत्साहपूर्ण बना रहा। प्रश्नोत्तर को तीन भागों में विभाजित किया गया। पहले भाग में सभी टीमों को समान अवसर प्रदान किया गया। दूसरे भाग में टीमवार प्रश्न पूछे गए, जबकि तीसरे भाग में चित्र आधारित प्रश्न पूछे गए, जिसमें यह पहचानने को कहा गया कि प्रदर्शित चित्र किससे संबंधित है। प्रतिभागियों ने पूरे उत्साह के साथ प्रतियोगिता में भाग लिया और दर्शकों ने भी प्रश्नों का आनंद उठाया। प्रतियोगिता ने न केवल ज्ञानवर्धन किया, बल्कि मध्यप्रदेश के प्रति रुचि और जागरूकता भी बढ़ाई।

इस अवसर डिंडोरी की सुश्री हर्ष मरावी द्वारा करमा सैला नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी गई।   इस नृत्य के माध्यम से समाज की एकता एवं समरसता का सजीव चित्रण किया गया। ढोल, मंजीरा एवं शहनाई जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मनमोहक धुनों पर प्रस्तुत यह नृत्य दर्शकों को आदिवासी जीवन की आत्मा से जोड़ता नजर आया। प्रस्तुति ने दर्शकों में विशेष उत्साह एवं आनंद का संचार किया।

गणगौर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति
इसके बाद बड़वाह के श्री संजय महाजन और समूह द्वारा निमाड़ अंचल के सुप्रसिद्ध लोकनृत्य गणगौर की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। उल्लेखनीय है कि बड़वाह के नटेश्वर नृत्य संस्थान के निदेशक श्री संजय महाजन पिछले 18 वर्षों से कथक और लोकनृत्य का प्रशिक्षण दे रहे हैं। उन्होंने 'मैं हूं बड़वाह', 'कृष्णलीला' और 'जय जय मध्य प्रदेश' जैसे मशहूर डांस-ड्रामा डायरेक्ट किए हैं, और पारंपरिक गणगौर नृत्य को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाई है। 

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