ट्रेनों की देरी से चलने के कारण बढ़ी रेलवे की चिंता, आखिर किस वजह से कम हुई रेलगाड़ियों की रफ्तार
नई दिल्ली
देशभर में हर रोज 600 ट्रेनें गंतव्य तक पहुंच रहीं लेट-ट्रेनों की समयबद्धता को लेकर मंथन, रेल मंत्री भी चिंतितदीपक बहल, अंबाला तमाम प्रयासों के बावजूद ट्रेनों का समय से नहीं चल पाना रेलवे के लिए बड़ी समस्या बना हुआ है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी इसको लेकर चिंतित हैं। बीते दिनों रेलवे के आला अधिकारियों के साथ बैठक में उनकी चिंता सामने आई।
600 ट्रेनें अपने गंतव्य स्थान पर देरी से पहुंच रही
रेलवे सूत्रों के मुताबिक, देश में हर रोज करीब 600 ट्रेनें अपने गंतव्य स्थान पर देरी से पहुंच रही हैं। पिछले दिनों रेल मंत्री के साथ बैठक में भी इसको लेकर चिंता जताई गई। बैठक में प्रस्तुत आंकड़ों में बताया गया कि 2019-20 में 75.69 प्रतिशत ट्रेनें समय पर पहुंच रही थीं, लेकिन 2023-24 में 71.02 प्रतिशत ट्रेनें ही समय पर पहुंच पा रही हैं। चर्चा में सामने आया कि किसी कारणवश कोई ट्रेन विलंब हो गई तो वह और विलंब होती जाती है। इसके कई कारण हैं। चेन पुलिंग भी एक कारण बताया गया। इसके अलावा निर्माण, इंजीनिरिंग कार्य, ब्लॉक, रेलवे इलेक्टि्रकल वर्क्स, इंटरलाकिंग कार्य आदि शामिल हैं।
लेट से पहुंचने वाली ट्रेनों की संख्या बढ़ रही
रेलवे के आकलन के अनुसार, 2019-20 में 1604 मेल व एक्सप्रेस ट्रेनें दौड़ रहीं थीं, जिनमें से 24 प्रतिशत ट्रेनें लेट होती थीं। लेकिन, 2023-24 में ट्रेनों की संख्या बढ़कर 2032 हो गई। वर्तमान में करीब 29 प्रतिशत ट्रेनें समय पर नहीं पहुंच पा रही हैं। अधिकारियों का दावा है कि मालगाड़ियों के लिए अलग से विशेष रेल लाइनें बिछाई जा रही हैं। इनके पूरा होने के बाद ही लेटलतीफी में कमी आएगी।
इंटरलाकिंग कार्य ने भी रोकी रफ्तार
रेलवे के अलग-अलग मंडल में इस समय इंटरलाकिंग और अन्य कार्य चल रहे हैं। इसका असर ट्रेनों के परिचालन पर पड़ता है। आंकड़े बताते हैं कि 2022-23 में 8651 कार्य ऐसे हुए वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 18313 पहुंच गया है।