इंदौरमध्य प्रदेश

अब पंचकर्म केंद्र सिंगापुर में शुरू होगा, इंदौर के आयुर्वेदाचार्य देंगे प्रशिक्षण

इंदौर
आयुर्वेद की बढ़ती ख्याति से विदेशी भी प्रभावित हैं और अब इस पद्धति से उपचार के लिए कई देश भारत की सहायता लेने लगे हैं। इसी क्रम में सिंगापुर की एक संस्था ने वहां पंचकर्म केंद्र शुरू करने में रुचि दिखाई है।

इंदौर के शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कालेज के आयुर्वेदाचार्य वहां के डॉक्टरों को प्रशिक्षण देंगे। करीब दो वर्ष पहले सिंगापुर की संस्था ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन फॉर पीपुल ऑफ इंडियन ओरिजिन और शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज के बीच आयुर्वेद की सुविधाओं और इसकी शिक्षा के आदान-प्रदान के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे।

50 साल के इंदौर में चल रहा है कॉलेज

प्रवासी भारतीय सम्मेलन-2023 में सिंगापुर से आए प्रतिनिधि मंडल ने कॉलेज का दौरा भी किया था। अधिकारियों ने बताया कि अब जल्द ही इस एमओयू पर अमल होने वाला है। इसके लिए केंद्र सरकार को भी पत्र लिखा गया है।

वहां से अनुमति मिलने के बाद इसे शुरू कर दिया जाएगा। बता दें, इंदौर के शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज में करीब 50 वर्षों से पंचकर्म केंद्र संचालित हो रहा है। इस केंद्र में प्रतिदिन 150 मरीज आ रहे हैं।

ऑनलाइन भी दिया जाएगा प्रशिक्षण

इस एमओयू के तहत कॉलेज के विशेषज्ञ सिंगापुर जाएंगे। वहां संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण देंगे कि पंचकर्म केंद्र कैसे शुरू किया जा सकता है। इसके लिए संसाधनों की आवश्यकता के बारे में भी बताया जाएगा।

कुछ विशेषज्ञ ऑनलाइन माध्यम से भी प्रशिक्षण देंगे। ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पीपुल ऑफ इंडियन ओरिजिन सिंगापुर के मैनेजिंग डायरेक्टर और अध्यक्ष हरिकृष्ण मुथूस्वामी सहित अन्य लोग निरीक्षण के लिए इंदौर आए थे।

यह होता है पंचकर्म

पंचकर्म केंद्र के प्रभारी डॉ. अजित कुमार ओझा ने बताया कि कई लोगों को लगता है कि पंचकर्म का मतलब सिर्फ मालिश होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। पंचकर्म में पांच तरीकों से मरीज का उपचार किया जाता है।

पंचकर्म के पांच प्रमुख कर्म वमन, विरेचन, नस्य, वस्ति और रक्तमोक्षण होते हैं। वमन में शरीर के ऊपरी भाग के दोषों का निवारण किया जाता है। इस प्रक्रिया में मरीज को उल्टियां करवाई जाती हैं।

विरेचन में मल द्वार से शरीर के दोषों को निकाला जाता है। जोड़ों के दर्द से पीड़ित लोगों के लिए यह कारगर चिकित्सा है। नस्य में नाक के मार्ग से औषधि दी जाती है, जिससे सिर से जुड़ी समस्याओं को ठीक किया जाता है।

वस्ति में एनिमा जैसी पद्धति से मरीज का उपचार किया जाता है। वहीं, रक्तमोक्षण में शरीर के दूषित रक्त को साफ किया जाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button