देश

राफेल और तेजस नहीं, अब अदृश्य ‘अभिमन्यु’ देगा दुश्मनों को चुनौती, S-400 और THAAD भी रह जाएंगे असहाय

नई दिल्ली

भारतीय नौसेना अपनी कैरियर एयर विंग्स में अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स को इंटीग्रेट करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. बेंगलुरु स्थित न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज (एनआरटी) द्वारा विकसित ‘अभिमन्यु’ ड्रोन इस पहल की अगुवाई कर रहा है. यह ड्रोन नेवल कोलैबोरेटिव कॉम्बैट एयर व्हिकल (एन-सीसीएवी) प्रोग्राम का आधार बन रहा है, जो भारत को वैश्विक ‘लॉयल विंगमैन’ ड्रोन्स की तर्ज पर क्रूड फाइटर एयरक्राफ्ट के साथ तैनाती करने वाला देश बनाने की दिशा में ले जा रहा है. साल 2026 तक उड़ान भरने की योजना वाले इस जेट-पावर्ड स्टील्थ ड्रोन में एआई-ड्रिवन क्षमताएं, मैन्‍ड-अनमैन्ड टीमिंग (एमयूएम-टी) और एयर-टू-एयर किल क्षमता शामिल होगी, जो नौसेना की स्ट्राइक ग्रुप्स को नई ताकत प्रदान करेगी. स्‍टील्‍थ होने की वजह से रडार और एयर डिफेंस सिस्‍टम के लिए इसे कैच कर पाना काफी मुश्किल होगा. दिलचस्‍प बात यह है कि ‘अर्जुन’ नाम से टैंक पहले से ही इंडियन आर्मी में अपनी सेवाएं दे रहा है. अब अभिमन्‍यु की बारी की बारी है.

अभिमन्यु एक जेट-पावर्ड, लो रडार क्रॉस-सेक्शन (आरसीएस) ड्रोन है, जो विशेष रूप से भारतीय नौसेना के मौजूदा और भविष्य के कैरियर-बेस्ड फाइटर्स जैसे मिग-29K और आने वाले राफेल-M के साथ लॉयल विंगमैन के रूप में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसका डिजाइन स्वेप्ट विंग्स, हॉरिजॉन्टल स्टेबलाइजर्स, सिंगल वर्टिकल टेल और रियर फ्यूजलाज के दोनों तरफ ट्विन नैरो एयर इंटेक्स से युक्त है. एक खास फीचर है फ्यूजलाज के चारों ओर लपेटी गई कंटीन्यूअस चाइन-लाइन, जो रडार रिफ्लेक्शन्स को कम करके कंटेस्टेड एनवायरनमेंट्स में सर्वाइवेबिलिटी बढ़ाती है. हालांकि, अभिमन्यु में कई स्टील्थ-इंस्पायर्ड फीचर्स हैं, लेकिन यह पूरी तरह लो-ऑब्जर्वेबल प्लेटफॉर्म नहीं है. इसका कॉन्फिगरेशन रडार सिग्नेचर को कम करने और कॉस्ट-इफेक्टिवनेस के बीच संतुलन बनाता है. महंगे इंटरनेशनल समकक्षों की तुलना में यह रैपिड प्रोडक्शन और एक्सपेंडेबिलिटी पर फोकस करता है. एआई-ड्रिवन सिस्टम्स इसे ऑटोनॉमस ऑपरेशन्स के लिए सक्षम बनाते हैं, जबकि एयर-टू-एयर किल क्षमता इसे दुश्मन एयरक्राफ्ट को न्यूट्रलाइज करने में सक्षम बनाएगी. एमयूएम-टी कॉन्फिगरेशन में यह क्रूड पायलट्स के साथ टीम बनाकर काम करेगा, सेंसर रीच बढ़ाएगा और सिचुएशनल अवेयरनेस प्रदान करेगा.

ऑपरेशनल रोल और स्ट्रैटेजिक विजन

एन-सीसीएवी कार्यक्रम के तहत अभिमन्यु ड्रोन्स भारतीय नौसेना के फाइटर्स के साथ एमयूएम-टी में उड़ान भरेंगे. ये ड्रोन्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स की सेंसर रीच बढ़ाएंगे, सिचुएशनल अवेयरनेस को मजबूत करेंगे और कैरियर-बेस्ड तथा ऑनशोर ऑपरेशन्स में टैक्टिकल फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करेंगे. हाई-रिस्क या कॉम्प्लेक्स मिशन्स को संभालकर ये ह्यूमन पायलट्स के एक्सपोजर को कम करेंगे और कैरियर एयर विंग्स की ऑफेंसिव-डिफेंसिव क्षमताओं को बढ़ाएंगे. नौसेना एक फ्लीट ऑफ अभिमन्यु ड्रोन्स को विभिन्न क्षमताओं के साथ तैनात करने की योजना बना रही है, जो इटरेटिव डेवलपमेंट साइकिल्स से हासिल होगी. ‘इंडिया डिफेंस न्‍यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, इससे सर्विलांस, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, स्ट्राइक और स्वार्मिंग मिशन्स के लिए स्पेशलाइज्ड वैरिएंट्स उभर सकते हैं. यह वर्तमान और भविष्य की नौसेना ऑपरेशन्स को सपोर्ट करेगा, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों के मद्देनजर. अभिमन्यु न केवल फोर्स मल्टीप्लायर बनेगा, बल्कि स्वदेशी ड्रोन टेक्नोलॉजी में आगे की नींव रखेगा.
इंडियन नेवी को और मजबूत बनाने की तैयारी है. 

डेवलपमेंट स्टेटस और फंडिंग

अभिमन्यु प्रोजेक्ट को रक्षा मंत्रालय की इनोवेशन्स फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडीईएक्स) पहल से आंशिक फंडिंग मिल रही है. साथ ही एनआरटी से इंटरनल फंडिंग भी की जा रही है. आईडीईएक्स के तहत वर्तमान फंडिंग सीलिंग करीब 2.85 मिलियन डॉलर है, लेकिन ऑपरेशनल स्टेटस और फ्यूचर वैरिएंट्स के लिए काफी अधिक निवेश की जरूरत होगी. भारतीय नौसेना ने एन-सीसीएवी के ऑपरेशनल रेडीनेस पर पहुंचने पर मिनिमम परचेज क्वांटिटी की प्रतिबद्धता जताई है, जो प्रोडक्शन और डिप्लॉयमेंट के लिए बेसलाइन सुनिश्चित करेगी. 2026 तक पहली उड़ान का लक्ष्य रखा गया है, जो प्रोजेक्ट की तेज गति को दर्शाता है. अभिमन्यु भारतीय वायुसेना के कॉम्बैट एयर टीमिंग सिस्टम (सीएटीएस) प्रोग्राम के लिए विकसित एचएएल वॉरियर से काफी छोटा और हल्का है. वॉरियर जहां हाई परफॉर्मेंस और ग्रेटर पेलोड कैपेसिटी पर जोर देता है, वहीं अभिमन्यु की ताकत मॉड्यूलैरिटी, कॉस्ट-इफेक्टिवनेस और लार्ज-स्केल डिप्लॉयमेंट में है. इंटरनेशनल स्तर पर यह चीन के जीजे-11 शार्प स्वॉर्ड या यूएस नेवी के एक्सपेंडेबल कोलैबोरेटिव कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (सीसीए) ड्रोन्स की तुलना में लोअर-एंड सॉल्यूशन है. फिर भी, यह भारत की जरूरतों के अनुरूप प्रैग्मैटिक अप्रोच अपनाता है, जहां अफोर्डेबिलिटी और रैपिड इटरेशन प्राथमिकता हैं.

चुनौतियां भी कम नहीं

मोमेंटम के बावजूद प्रोग्राम कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. कैरियर एविएशन के डिमांडिंग एनवायरनमेंट में रिलायबल ऑटोनॉमस ऑपरेशन हासिल करना प्रमुख है. हाई-स्पीड, हाई-ऑल्टीट्यूड क्रूड फाइटर्स और अभिमन्यु के बीच परफॉर्मेंस गैप को ब्रिज करना भी जरूरी. इसके अलावा, सस्टेन्ड फंडिंग सुनिश्चित करना और भारत की ऐतिहासिक डिफेंस प्रोक्योरमेंट डिले को पार करना चुनौतीपूर्ण रहेगा. फिर भी अभिमन्यु प्रोजेक्ट भारतीय नौसेना एविएशन के लिए पिवोटल स्टेप है. यह अनमैन्ड सिस्टम्स को फ्यूचर कॉम्बैट ऑपरेशन्स में इंटीग्रेट करने की नौसेना की कमिटमेंट को सिग्नल करता है. सफल होने पर एन-सीसीएवी प्रोग्राम नौसेना की ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी, सर्वाइवेबिलिटी और स्ट्राइक कैपेबिलिटी को काफी बढ़ाएगा. साथ ही, यह स्वदेशी ड्रोन टेक्नोलॉजी में आगे की एडवांसमेंट्स की नींव बनेगा.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button