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नए लेबर कोड लागू, कर्मचारियों के लिए अवसर: एक्सपर्ट ने बताया ₹2.13Cr का संभावित लाभ

 नई दिल्‍ली

भारत में नए कानूनों को लागू कर दिया गया है, जिसके बाद सबसे बड़ी चर्चा सैलरी को लेकर शुरू हुई है. ऐसा माना जा रहा है कि इससे कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी घट जाएगी, लेकिन सोशल सिक्‍योरिटी जैसे- पीएफ, ग्रेच्‍युटी और पेंशन आदि में कंट्रीब्‍यूशन बढ़ जाएगा. 

इसी को लेकर टैक्सबडी डॉट कॉम के संस्थापक सुजीत बांगर ने बताया है कि कैसे आपकी सैलरी प्रभावित हो सकती है और PF में कंट्रीब्‍यूशन बढ़ने से आपका रिटायरमेंट फंड करोड़ों रुपये में बदल जाएगा. लिंक्डइन पर एक पोस्ट में बांगर ने बताया कि किस प्रकार नए लेबर कोड के तहत कर्मचारियों के वेतन संरचना को बदल रहे हैं, जिससे भविष्य निधि (PF) और राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) योगदान के माध्यम से कर्मचारियों को बढ़ावा मिल रहा है.

अपनी पोस्‍ट में एक्‍सपर्ट ने कहा कि पहले बेसिक सैलरी कंपनी की कुल कॉस्‍ट (CTC) का करीब 35 फीसदी होता था, जिससे एक बड़ा हिस्‍स टैक्‍स अनुकूल अलाउंस में जाता था, जबकि पीएफ और एनपीएस कटौती कम रहती थी. बांगर ने कहा कि पुराने इंफ्रा में जानबूझकर पीएफ कम रखा जाता था. 

लेकिन संशोधित नियमों के बाद अब बेसिक सैलरी सीटीसी का कम से कम 50% होना चाहिए, जिससे पीएफ और एनपीएस दोनों का योगदान बढ़ जाएगा, क्योंकि दोनों की गणना बेसिक सैलरी के प्रतिशत के रूप में की जाती है. 

कैसे बन जाएंगे करोड़ों रुपये? 
₹12 लाख सीटीसी वाले 30 वर्षीय कर्मचारी के लिए, मंथली पीएफ कंट्रीब्‍यूशन (नियोक्ता और कर्मचारी दोनों की ओर से) करीब ₹7,200 से बढ़कर ₹12,000 हो जाएगा. यह ₹4,800 मंथली ग्रोथ, 30 साल में चक्रवृद्धि होने पर, ₹1.24 करोड़ की अतिरिक्त पीएफ बचत में बदल जाती है. रिटायरमेंट में कुल पीएफ अमाउंट 3.11 करोड़ रुपये हो जाएगा. 

इसी तरह, एनीपीएस में कंट्रीब्‍यूशन बढ़ेगा यानी 30 साल में ₹1.07 करोड़ और जुड़ेगा . कुल मिलाकर, कुल रिटारमेंट फंड 30 सालों में अनुमानित ₹3.46 करोड़ से बढ़कर ₹5.77 करोड़ हो जाता है.

लॉन्‍गटर्म सेफ्टी देती है ये योजना 
बांगर ने जोर देकर कहा कि रिटायरमेंट फंड का यह चक्रवृद्धि ब्याज ज्‍यादातर बचत योजनाओं से बेहतर है. उन्होंने लिखा कि म्यूचुअल फंड एसआईपी आमतौर पर 3-5 साल में टूट जाते हैं. एफडी का भुगतान हो जाता है, लेकिन पीएफ और एनपीएस, अनिवार्य, कटौती-आधारित हैं और इसीलिए वे जीवन भर की संपत्ति बनाते हैं. हालांकि शॉट टर्म में घर ले जाने वाले वेतन में कमी आ सकती है, लेकिन बांगर का तर्क है कि नई व्यवस्था लागू बचत अनुशासन के माध्यम से दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है.

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