भोपालमध्य प्रदेश

नई पीढ़ी को नेतृत्व की कमान, गड़बड़ाए मंत्रिमंडल में स्थान मिलने के अनुमान

भोपाल

मोहन यादव के मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद अब मंत्रिमंडल को लेकर बड़े-बड़े दावेदारों की धड़कनें बढ़ गई है। मंत्रिमंडल में भी दिल्ली के दखल होने की संभावना को देखते हुए, यह माना जा रहा है कि इस बार अप्रत्याशित नाम मंत्रिमंडल के लिए सामने आ सकते हैं। इसके चलते कई ऐसे विधायकों को मंत्री पद मिल सकता है, जिन्हें फिलहाल मंत्री बनने की उम्मीद नहीं हैं, वहीं कुछ ऐसे विधायक और पूर्व मंत्री जिन्हें मंत्री बनने की पहले तक उम्मीद थी, लेकिन सोमवार को विधायक दल के नेता का चयन के बाद इन्हें भी मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर संशय बना हुआ है।

मुख्यमंत्री के लिए चौंकाने वाला नाम आने के बाद अब मध्य प्रदेश में लगातार मंत्री रहने वाले विधायकों की धड़कने बढ़ गई है। ऐसी संभावना है कि मध्यप्रदेश के मंत्रिमंडल में भी चौंकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं। सुगबुगाहट यह है कि लंबे वक्त से भाजपा सरकार में मंत्री रहने वालों की इस बार छुट्टी कर दी जाएगी। सीनियर विधायकों को भी मौका मिलने के आसार कम हैं। उनकी जगह पर नए और युवा चेहरों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया जा सकता है। यह भी माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल गठन में भी दिल्ली का सीधा दखल हो सकता है।

सूत्रों की मानी जाए तो जिस तरह से मुख्यमंत्री का नाम सामने आया है, वैसा ही मंत्रिमंडल को लेकर देखने मिल सकता है। यहां पर पुराने चेहरों को सत्ता से दूर रखा जा सकता है और युवा एवं नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है। हालांकि इसमें कुछ पुराने मंत्री फिर से मंत्री बन सकते हैं।

दो बार और ज्यादा के विधायक भी कतार में
प्रदेश में यदि गुजरात फार्मूला लागू हुआ तो पुराने सभी मंत्रियों को ड्राप किया जा सकता है। ऐसे में इनमें से कुछ चेहरों को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है। ये सभी विधयाक दो से चार बार तक निर्वाचित हो चुके हैं, लेकिन मंत्रिमंडल से अब तक दूर रहे हैं। जिन नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है उनमें  नरेंद्र सिंह कुशवाह, पन्ना लाल शाक्य, प्रदीप लारिया,  शैलेंद्र जैन, हरिशंकर खटीक, उमादेवी खटीक, रीति पाठक, कुंवर सिंह टेकाम अजजा, मनीषा सिंह अजजा, जयसिंह मरावी अजजा, अशोक रोहाणी,  संपतिया उईके अजजा, उदय प्रताप सिंह, डॉ. योगेश पंडाग्रे, हेमंत खंडेलवाल, विजय पाल सिंह, ठाकुर दास नागवंशी, विष्णु खत्री, रामेश्वर शर्मा, कृष्णा गौर, मोहन शर्मा, हजारीलाल दांगी, अरुण भीमावत, राजेश सोनकर, आशीष शर्मा, मंजू दादू, रमेश मेंदोला, निर्मला भूरिया, नीना वर्मा,  चिंतामणि मालवीय, दिलीप सिंह परिहार के नाम बताए जा रहे हैं।

मंत्री पद के दावेदार ये सुपर सीनियर विधायक
गोपाल भार्गव वर्ष 2003 में मंत्री बने थे, उसके बाद से वे लगातार भाजपा सरकार में मंत्री रहे। वे इस सदन में सबसे ज्यादा बार विधायक रहे हैं। वे 1985 से लगातार विधायक हैं।
बिसाहूलाल सिंह पिछली सरकार में मंत्री थे, वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। वे पहली बार 1980 में विधायक बने थे। उन्हें लेकर भी इस बार संशय की स्थिति बनी हुई है।
विजय शाह वर्ष 2003 में मंत्री बने थे। उसके बाद से वे लगातार भाजपा सरकार में मंत्री रहे। वे 1990 से विधायक हैं। इस बार वे आठवीं बार विधानसभा का चुनाव जीते हैं।
तुलसी सिलावट पहला चुनाव 1985 में कांग्रेस के टिकट पर जीते थे। भाजपा में शामिल होने के बाद वे पिछली सरकार में मंत्री थे।
जयंत मलैया पिछला भी वर्ष 2003 से 2018 तक लगातार मंत्री रहे। इसके बाद वे वर्ष 2018 में चुनाव हार गए थे। वे 1990 से लेकर 2013 तक लगातार चुनाव जीते थे।

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