भोपालमध्य प्रदेश

शङ्करवातरणम् में सांस्कृतिक एकता को प्रतिबिम्बित करेंगी संगीत और नृत्य प्रस्तुतियाँ

एकात्मधाम में होगी भारत की एकात्मकता की दिव्य अनुभूति

भोपाल

आचार्य शंकर के व्यक्तित्व, विचार और अद्वैत वेदान्त दर्शन की उनकी दीक्षा भूमि – कर्मभूमि को ओंकारेश्वर में मध्यप्रदेश सरकार साकार रुप दे रही है। एकात्म धाम में आचार्य शंकर की प्रतिमा के साथ अलौकिक एकात्म धाम भारत की सांस्कृतिक विरासत से साक्षात्कार कर सकेंगे। ओंकारेश्वर में 21 सितम्बर से हो रहे शङ्करवातरणम् कार्यक्रम में भारत की सांस्कृतिक एकता को सांगीतिक प्रस्तुतियों एवं शैव परम्परा पर आधारित नृत्य प्रस्तुतियों के माध्यम से चित्रित किया जाएगा। इन आकर्षक और मनोहारी प्रस्तुतियों को देश भर से आने वाले विख्यात कलाकार प्रस्तुत करेंगे। मध्यप्रदेश की पावन धरती आचार्य शंकर की दीप्ति से पुनर्प्रकाशित होगी और विविधता में एकता की सांस्कृतिक विरासत इन नृत्यों के माध्यम से जीवंत हो उठेगी।  

शिवोऽहम में भगवान शिव के नृत्य की प्रस्तुति के साथ भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों के साथ 25 मिनट की कोरियोग्राफिक नृत्य की प्रस्तुति होगी। भारत के 6 शास्त्रीय नृत्य- भरतनाट्यम, कथक, छाऊ, ओडिसी, मोहिनीअट्टम और मणिपुरी नृत्य से शिव की अभिव्यक्तियों को अपनी अनूठी शैली में प्रस्तुत किया जाएगा। इसकी समग्रता में कोरियोग्राफिक समवेत प्रस्तुति के माध्यम से ‘ऊँ’ में संकल्पित होते हुए दर्शाया जाएगा।

शङ्करवातरणम् के क्रम में ‘शंकर संगीत’ में श्रेष्ठ संगीतकार, हिन्दुस्तानी संगीत एवं कर्नाटक संगीत शैली में आचार्य शंकर विरचित स्त्रोतों का गायन करेंगे। इनमें पण्डित संजीव अभ्यंकर (हिन्दुस्तानी संगीत), पण्डित जयतीर्थ मेवुण्डी (हिन्दुस्तानी संगीत) , सुसुधा रघुरामन (कर्नाटक संगीत) और सुमामलम बहनें (कर्नाटक संगीत) की प्रस्तुतियाँ देंगी।

कार्यक्रम में शैव परम्परा पर आधारित नृत्य प्रस्तुतियों को देश भर से आए कुल 337 कलाकारों द्वारा मंचित किया जाएगा। साथ ही शंख वादन में 80 कलाकार, केरल शैली एवं पंचायतन में कुल 95 कलाकार और 250 बटुक वेदपाठियों द्वारा एकात्मता की प्रस्तुतियाँ दी जाएंगी। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को इन नृत्य प्रस्तुतियों के माध्यम से मंचित किया जाएगा। यह महान क्षण ह्रदय प्रदेश मध्यप्रदेश से प्रसारित होगा और आचार्य शंकर का शाश्वत मन्त्र शिवोऽहम् एकात्मधाम को निरुपित करने वाली शैव परम्परा की इन नृत्य प्रस्तुतियों से एकात्म धाम और शङ्करवातरणम् में पधारे अतिथि रोमांचित हो उठेंगे।

यक्षगान में कर्नाटक के 7 कलाकार , खरसवा छाऊ में झारखण्ड के 13, डेरुजंगम में हरियाणा के 12 , पेरिनी शिवतांडवम् में तेलंगाना के 13 , घण्टा व मृदंगम् में ओडीसा के 13 , ढोलूकुनीता में कर्नाटक के 13 , ओग्गूडोलू में तेलंगाना के 13 , गुरू वायाय्यलू में आन्ध्रप्रदेश के 11 , शिवबारात में उत्तरप्रदेश के 10 , श्मसान होली व अघोरी में उत्तरप्रदेश के 10, डमरू (बड़े) वादन में उत्तरप्रदेश के 20 , पुरलिया छाऊ में पश्चिम बंगाल के 13, छम नृत्य में हिमाचल/लेह लद्दाख के 8 , कथकली में केरल के 10, तैयम में केरल के 10 , हिल जाला में उत्तराखण्ड के 13 , मोनपा नृत्य में अरूणाचल प्रदेश के 10 और सिघी छम में सिक्किम-मानेस्ट्री के 8 कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे। वहीं कथक, भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम ,ओडिसी नृत्य में 20 – 20 कलाकारों की संख्या में नृत्य प्रस्तुतियाँ होंगी। साथ ही समकालीन नृत्य में 50 कलाकार प्रस्तुतियाँ देंगे। शंख वादन की प्रस्तुतियों में असम शंख में 20, भोरताल एवं बड़ी झाँझ – असम में 20, मणिपुरी शंख एवं पुंग में 20 और जोडी शंख – ओडीसा में 20 कलाकारों सहित कुल 80 कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियाँ होंगी।

 

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