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भावनगर की लीलाबेन ने बताया- जब वह भाग रही थीं तब देखा कि एक आतंकवादी ने स्मित की छाती में गोली मार दी

भावनगर
कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में जान बचाकर भागे लोगों की दास्तां सुनकर रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं। हमले से बच निकलीं गुजरात के भावनगर की लीलाबेन ने बताया कि जब वह भाग रही थीं तब देखा कि एक आतंकवादी ने स्मित की छाती में गोली मार दी। वह दृश्य असहनीय था। इस आतंकी हमले में लीलाबेन के पति के भी हाथ में गोली लगी है।

पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में घायल हुए गुजरात के भावनगर निवासी विनुभाई डाभी और उनकी पत्नी लीलाबेन ने इस वीभत्स हमले के उस दर्दनाक क्षण को शुक्रवार को याद किया। उन्होंने 20 साल के एक युवक को आतंकवादियों की गोलियों का शिकार होते हुए काफी नजदीक से देखा था।

विनुभाई डाभी और उनकी पत्नी उन 20 लोगों में शामिल थे, जो 16 अप्रैल को श्रीनगर में प्रवचनकर्ता मोरारी बापू का प्रवचन सुनने के लिए जम्मू-कश्मीर गए थे। डाभी ने बृहस्पतिवार रात को भावनगर पहुंचने के बाद अपने आवास पर मौजूद पत्रकारों से कहा, ‘‘जब हमें गोलीबारी के बारे में पता चला तो सभी अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे। मैं अपनी पत्नी से अलग हो गया था। जो लोग पीछे रह गए, आतंकवादियों ने उन्हें मार डाला। जब मैं भाग रहा था तो एक गोली मेरे दाहिने हाथ में लगी, जबकि दूसरी मेरे बाएं कंधे को छूती हुई निकल गई।’’

उन्होंने बताया, ‘‘जब मैं आखिरकार अपनी पत्नी से मिला तो वह मेरी खून से सनी शर्ट और गोली के घाव को देखकर तीन बार बेहोश होकर गिर पड़ी थी। हम किसी तरह बचकर पहाड़ी की तलहटी पर पहुंचे, जहां सेना के जवान मुझे अस्पताल ले गए। मैं तीन दिन तक अस्पताल में भर्ती रहा था।’’

विनुभाई डाभी की पत्नी लीलाबेन ने नम आंखों से बताया कि इस हमले के दौरान वह अपने पति से अलग हो गई थीं। उन्होंने देखा कि एक आतंकवादी ने किस तरह से 20 साल के स्मित परमार की गोली मारकर हत्या कर दी। लीलाबेन ने कहा, ‘‘जब मैं भाग रही थी तब मैंने देखा कि एक आतंकवादी ने स्मित की छाती में गोली मार दी। वह बेचारा तुरंत जमीन पर गिर पड़ा। वह दृश्य असहनीय था। मुझे बाद में पता चला कि उसके पिता की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

पहलगाम की ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कही जाने वाली बैसरन घाटी पर मंगलवार को हुए आतंकवादी हमले में 20 साल के स्मित और उनके पिता यश परमार सहित 26 लोगों की जान चली गई। दोनों बाप-बेटे उन 20 लोगों के समूह में शामिल थे, जो भावनगर से श्रीनगर गए थे। लीलाबेन ने बताया कि जब उन्होंने अपने पति के हाथ पर खून देखा तो वह भगवान शिव की प्रार्थना करने लगीं। उन्होंने बताया कि जवानों ने इस हमले में किसी तरह बचे लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने में मदद की और उनके रहने की व्यवस्था भी की।

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