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भारत-कनाडा गठजोड़: एआई से लेकर साइबर सुरक्षा तक, नई साझेदारी पर लगी मुहर

नई दिल्ली
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनकी कनाडाई समकक्ष अनीता आनंद ने सोमवार को नई दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक की। भारत-कनाडा की साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए दोनों नेताओं ने आवश्यक तंत्रों को 'पुनर्स्थापित और पुनर्जीवित' करने पर चर्चा की। इसके साथ ही एक महत्वाकांक्षी सहयोग रोडमैप पर सहमति जताई। भारत-कनाडा की ओर से जारी किए गए संयुक्त बयान में, विदेश मंत्री एस जयशंकर और अनीता आनंद ने सहयोग करने, सूचना और विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करने और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी-अपनी जलवायु महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करने पर सहमति जताई। इसके तहत नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, भारी उद्योगों का कार्बन-मुक्तिकरण, प्लास्टिक प्रदूषण में कमी, रसायनों के सुदृढ़ प्रबंधन का समर्थन और सतत उपभोग सुनिश्चित करना शामिल है।
इसके अलावा, दोनों देशों ने एआई और डिजिटल अवसंरचना सहित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में नए आयाम खोलने के लिए सहयोग बढ़ाने पर हामी भरी है।
संयुक्त बयान में कहा गया है, "लोगों के बीच संबंध, आपसी समझ को बढ़ावा देने और दीर्घकालिक सहयोग के निर्माण के लिए, दोनों पक्ष शिक्षा, पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और व्यावसायिक गतिशीलता में सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हुए। उभरती प्रौद्योगिकियों (जैसे एआई, साइबर सुरक्षा और फिनटेक) में अनुसंधान साझेदारी पर जोर दिया जाएगा और विदेशी परिसरों के माध्यम से भारत में कनाडाई शैक्षणिक उपस्थिति का विस्तार किया जाएगा। इसमें कनाडा-भारत शैक्षणिक नेटवर्क और संस्थागत संबंधों को विस्तारित करने के लिए उच्च शिक्षा पर संयुक्त कार्य समूह को पुनर्जीवित करना भी शामिल है।"
दोनों नेताओं ने वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया, जिसके तहत अधिक प्रभावी और समावेशी बहुपक्षीय संस्थाओं को सुनिश्चित करने के लिए काम किया जाएगा। दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद, जयशंकर ने कहा कि उन्होंने और अनीता आनंद ने वैश्विक घटनाक्रमों और साझा चुनौतियों के प्रति अपनी प्रतिक्रियाओं पर चर्चा की।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, "आज नई दिल्ली में कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हुई। हमारी साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक तंत्रों को पुनर्स्थापित और पुनर्जीवित करने हेतु रचनात्मक चर्चा हुई। वैश्विक घटनाक्रमों और साझा चुनौतियों के प्रति हमारी प्रतिक्रियाओं पर भी विचारों का आदान-प्रदान हुआ। हम एक महत्वाकांक्षी सहयोग रोडमैप पर भी सहमत हुए और अपने सहयोग के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया का नेतृत्व करने पर सहमत हुए ताकि यह हमारे नेताओं की अपेक्षाओं और हमारे लोगों के हितों को पूरा कर सके।"

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