रांची के इस मंदिर में 9 नहीं 16 दिन की होती है नवरात्रि पूजा! रोज लगता है दाल-चावल भोग
अब कुछ दिन में नवरात्र आने वाली है और पूरे देश में नवरात्रि 9 दिन की मनाई जायेगी.लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने वाले हैं जहां 9 दिन का नहीं बल्कि 16 दिन का नवरात्र मनाया जाता है.दरअसल, हम बात कर रहे हैं झारखंड की राजधानी रांची से करीब 70 किलोमीटर दूररांची-चतरा मार्ग पर लातेहार जिले में स्थित मां उग्रतारा मंदिर की. जहां नवरात्र बड़े धूमधाम से व विशेष तरीके से मनाई जाती है.
मंदिर के पुजारी ने बताया यह मंदिर प्राचीन काल से है.इसे बनते हुए किसी ने नहीं देखा है.इसे बनाने के पीछे कई तरह की मान्यता है. यहां के स्थानीय लोग के अलावा अगल-बगल के 6-7 राज्यों से लोग यहां मां दुर्गा के दर्शन के लिए आते हैं.लोगों का इस मन्दिर में काफी अटूट आस्था है.यहां पर 9 दिन नहीं बल्कि 16 दिन का नवरात्र मनाया जाता है.यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.
16 दिन बड़ी धूमधाम से होती है माता रानी की पूजा
पुजारी बताते हैं यहां 16 दिन माता रानी की बड़ी धूमधाम से पूजा होती है माता के नौ रूपों की पूजा 16 दिन तक की जाती है इसके पीछे एक मान्यता यह है कि एक समय यहां एक राजा हुआ करते थे और शिकार खेलने के लिए जंगल में गए. रास्ते में राजा को बड़ी जोरों से प्यास लगी और कारवाँ रोक प्यास बुझाने के लिए तालाब के पास रुके.तालाब में पानी पीने के वक्त उनके हाथ में एक दुर्गा मां की प्रतिमा आ गई.
उन्होंने आगे बताया प्रतिमा हाथ में आने के बाद राजा को कुछ समझ नहीं आया और उन्होंने वापस तालाब में ही प्रतिमा को डाल दिया, पर उसी रात राजा के सपने में मां दुर्गा आई. राजा मां के इशारों को समझ गए और उन्होंने तालाब से प्रतिमा निकाल उस मूर्ति को स्थापित कर एक खूबसूरत मंदिर भी बनवा दिया.कहा जाता है कि राजा ने 16 दिन तक मां की कड़ी आराधना की थी.इसलिए यहां 16 दिन का नवरात्र मनाया जाता है.
पान गिरता है तभी होता है विसर्जन
पुजारी ने बताया यहां की एक और विशेषता है कि जब तक पान नहीं गिरता तब तक विसर्जन नहीं होता है.दरअसल, विजयदशमी पर माता को पान चढ़ाने का यहां परंपरा वर्षो से चली आ रही है.धूमधाम से लोग सबसे पहले माता के आसन पर पान चढ़ाते हैं और फिर लोग इसके गिरने का प्रतीक्षा करते है. कई बार तो ऐसा हुआ है कि 10- 12 घंटे प्रतीक्षा करने के बाद पान गिरती है.पान गिरने के बाद एक विशेष पूजा की जाती है और फिर विसर्जन होता है.अगर पान नहीं गिरा तो विसर्जन नहीं होता है.
365 दिन लगता है मां को चावल-दाल का भोग
उन्होंने आगे बताया यहाँ 365 दिन चावल-दाल का माता रानी को भोग लगता है और भक्तों को भी निशुल्क भोग प्रसाद दिया जाता है. भोग लगने के लिए यहां विशेष परंपरा है.माता की मूर्ति उठाकर सबसे पहले रसोई घर में ले जाकर माता को वही भोग लगाया जाता है और फिर वापस मूर्ति को अपनी जगह स्थापित कर दिया जाता है. तो अगर आप भी इस नवरात्र माता रानी का दर्शन करने यहां आना चाहते हैं तो इस गूगल मैप की मदद से आ सकते हैं.चुकी ये मंदीर जंगलों के बीच में है.इसलिए अकेले आने से बचे.वही शाम होने से पहले कोशिश करें वापस लौट आने की. रांची से मंदीर जाने वाले रास्ते काफी सुनसान है.