खेल

मैं पिता जैसा सख्त नहीं, मेरा तरीका अलग है: युवराज सिंह

नई दिल्ली 
भारत के पूर्व ऑलराउंडर युवराज सिंह ने कहा कि उनकी कोचिंग स्टाइल उनके पिता योगराज सिंह से बिल्कुल अलग है। उन्होंने कहा कि वह किसी खिलाड़ी पर अपने विचार थोपने में विश्वास नहीं रखते, बल्कि उसकी सोच और परिस्थितियों को समझना ज़रूरी मानते हैं। 

“जब मैं 19 साल का था, किसी ने मेरी चुनौतियां नहीं समझीं”
युवराज ने कहा कि जब वह खुद 19 साल के थे, तब उन्हें मानसिक रूप से कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि आज जब वह 19 या 20 साल के खिलाड़ियों जैसे शुभमन गिल और अभिषेक शर्मा के साथ काम करते हैं, तो उन्हें अपनी पुरानी यादें याद आती हैं। वह कहते हैं, 'मैं जानता हूं कि इस उम्र में खिलाड़ी के दिमाग में क्या चलता है — इसलिए पहले सुनो, फिर सिखाओ।'

कोच नहीं, मेंटर बनने में विश्वास रखते हैं युवराज
युवराज ने कहा कि कोच का काम सिर्फ तकनीक सिखाना नहीं है, बल्कि खिलाड़ी के आत्मविश्वास को मजबूत करना भी है। उन्होंने बताया कि क्रिकेट मानसिक मजबूती का खेल है, इसलिए वह कोशिश करते हैं कि हर खिलाड़ी मैदान में सहज और आत्मविश्वासी महसूस करे। युवराज ने कहा कि असली कोचिंग तब होती है जब खिलाड़ी खुद अपनी गलतियों को पहचानना सीख जाए।

योगराज की सख्ती, युवराज की सहानुभूति
युवराज ने स्वीकार किया कि उनके पिता योगराज सिंह बेहद सख्त कोच रहे हैं। उन्होंने कभी हार या ढिलाई को बर्दाश्त नहीं किया। लेकिन युवराज ने कहा कि उन्होंने अपने पिता से अनुशासन तो सीखा, मगर अपने तरीके में भावनात्मक जुड़ाव और सहजता जोड़ी। 'मैं पिता जैसा नहीं हूं। मैं चाहता हूं कि खिलाड़ी खेल का मज़ा लें और खुद सोचें' उन्होंने कहा।

वर्ल्ड कप हीरो अब युवाओं के ‘मेंटॉर’
युवराज सिंह ने अपने करियर में कई ऐतिहासिक पल दिए, 2000 में अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा बने, 2007 टी20 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ छह छक्के जड़े, और 2011 वर्ल्ड कप में ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज़’ बने। कैंसर जैसी बीमारी से लड़कर वापसी करने वाले युवराज अब अगली पीढ़ी के खिलाड़ियों को सिखा रहे हैं कि जीत का रास्ता 'समझ और संयम' से होकर गुजरता है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button