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यहां पूर्व फौजी संभाल रहे स्पेस एजेंसी, कैसे मिलेगी चंद्रयान जैसी सफलता; पाक मीडिया की नसीहत

इस्लामाबाद
भारत के चंद्रयान-3 मिशन की कामयाबी के दुनिया भर में चर्चे हैं। यहां तक कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से भी भारत को बधाई संदेश भेजे गए हैं। यही नहीं पाकिस्तान के मीडिया ने तो भारत की इस उपलब्धि से अपने देश को सीखने की सलाह दी है। पाकिस्तान के शीर्ष अखबार डॉन ने अपने संपादकीय में लिखा है कि भारत की यह कामयाबी ऐतिहासिक है। वह दुनिया का ऐसा पहला देश बना है, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की है। इसके अलावा चांद पर जाने वाले देशों में भी भारत ने चौथा स्थान पा लिया है। उससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ही ऐसा कारनामा कर पाए हैं।

डॉन ने लिखा है कि यह आधुनिका भारत के लिए बड़ी सफलता है, जिसने दुनिया के अमीर देशों के मुकाबले कहीं कम खर्च में यह उपलब्धि पा ली है। एक दशक पहले ही भारतीयों ने मंगलयान मिशन भी लॉन्च किया था और 2019 में चंद्रयान-2 भी भेजा था, जो मामूली अंतर से चूक गया था। अब उन्होंने फिर प्रयास किया तो कामयाबी के झंडे गाड़ दिए। पाकिस्तानी अखबार ने लिखा है कि यह भारत के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की गुणवत्ता को दिखाता है। इसके अलावा सरकार ने भी सपोर्ट किया। यही नहीं अखबार ने भारत की सफलता से पाकिस्तान को सबक लेने की भी नसीहत दी है।

'तीन दशक से हमें कोई सफलता नहीं मिली, भारत से पहले की थी शुरुआत'
अखबार ने लिखा है कि पाकिस्तान के स्पेस प्रोग्राम की शुरुआत भारत से पहले ही हुई थी और कुछ शुरुआती सफलता भी मिली थी। हमने 1960 के शुरुआती दशक में रॉकेट लॉन्च किया था, जिसका श्रेय अब्दुस सलाम को जाता है। हमने 1990 में बद्र-1 सैटेलाइट स्पेस में लॉन्च किया था। इसमें हमें अमेरिका की मदद मिली थी। हालांकि तब से अब तक तीन दशक से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली है। अखबार ने पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी Suparco में भी सुधार की वकालत की और कहा कि इसके बिना कुछ हासिल होना संभव नहीं है।

'जब पूर्व सैनिक स्पेस एजेंसी संभालेंगे तो क्या ही होगा'
संपादकीय में अखबार ने लिखा कि हमारे स्पेस प्रोग्राम जमीन पर ही रह जाने की वजह है कि स्पेस एजेंसी कमान पूर्व सैनिक संभाल रहे हैं। एक्सपर्ट्स के हाथ में यहां कुछ भी नहीं है। इसके अलावा हमारे यहां साइंस की पढ़ाई कमजोर है। प्रतिभाएं तैयार नहीं हो रही हैं और जो तैयार भी होती हैं, वे पलायन कर जाती हैं। दुख की बात है कि साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी के उत्पादक नहीं बल्कि ग्राहक भर बनकर रह गए हैं। हमने अपने सबसे काबिल लोगों को पलायन के जरिए खोया है। इसकी वजह भ्रष्ट नौकरशाही है, जिससे लोगों को अपने ही देश में मौके नहीं मिलते। हमें भारत से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।

 

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