भारी ब्रेस्ट के कारण बढ़ता पीठ दर्द, एम्स में साल भर में 246 महिलाओं ने कराई रिडक्शन सर्जरी

नई दिल्ली
कई लोगों को अपने जीवन में कभी न कभी पीठ दर्द का अनुभव होता है। कुछ लोगों के लिए, यह तनाव, गलत मुद्रा, अत्यधिक परिश्रम, अधिक वजन और कई अन्य कारकों के कारण हो सकता है। कई महिलाओं में पीठ दर्द का एक प्रमुख कारण बड़े स्तन हैं।
बड़े स्तन पीठ दर्द का कारण कैसे बनते हैं?
डी-कप स्तनों का वज़न 16 से 24 पाउंड के बीच हो सकता है। इस आकार के स्तन छाती पर अनावश्यक दबाव डाल सकते हैं, जिसके लिए गर्दन, कंधों और पीठ पर संतुलन बनाए रखना ज़रूरी होता है। इन सभी कारणों से मांसपेशियों में खिंचाव और लगातार दर्द हो सकता है। अतिरिक्त वज़न मुद्रा संबंधी समस्याओं को भी जन्म दे सकता है, क्योंकि मांसपेशियां सीधी रहने के लिए संघर्ष करते-करते थकने लगती हैं और पीठ का ऊपरी हिस्सा आगे की ओर झुकने लगता है।
पीठ और गर्दन का दर्द, बार-बार थकान और भारीपन का एहसास को कई महिलाएं सामान्य समझकर सालों तक नजरअंदाज करती हैं। लेकिन अब डॉक्टर बता रहे हैं कि इसके पीछे की वजह ब्रेस्ट हाइपर ट्रॉफी यानी ब्रेस्ट का असामान्य रूप से बड़ा होना भी है।
एम्स भोपाल के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग में पिछले एक साल में 246 महिलाओं ने ब्रेस्ट से जुड़ी सर्जरी कराई हैं, जिनमें से 23.5% यानी 57 महिलाओं की ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी हुई। जिसमें सबसे ज्यादा मरीज 20 से 30 साल की युवतियां हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार लगातार बढ़ता हार्मोनल इम्बैलेंस, बदलती जीवनशैली और तनाव इस समस्या की बड़ी वजह हैं। यही कारण है कि ब्रेस्ट सर्जरी अब सिर्फ कॉस्मेटिक नहीं, बल्कि मेडिकल जरूरत बन गई है।
शरीर को लेकर जागरूक हो रही महिलाएं एम्स भोपाल की रिपोर्ट बताती है कि बीते 4 से 5 सालों में भोपाल समेत मध्यप्रदेश में महिलाएं अपने शरीर को लेकर अधिक जागरूक हुई हैं। दर्द झेलने या पेनकिलर लेने की बजाय अब वे स्थायी समाधान चुन रही हैं। साल 2019 में एम्स भोपाल में 100 के करीब ही ब्रेस्ट से जुड़ी सर्जरी हुई थीं, जो अब बढ़कर 250 के करीब पहुंच गई हैं।
ब्रेस्ट हाइपर ट्रॉफी एक गंभीर समस्या
एम्स भोपाल के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. मनाल खान बताते हैं कि ब्रेस्ट का असामान्य रूप से बड़ा होना ब्रेस्ट हाइपर-ट्रॉफी कहलाता है। यह स्थिति न केवल शारीरिक असहजता पैदा करती है, बल्कि आत्मविश्वास को भी प्रभावित करती है।
इन मरीजों को अक्सर कंधे और गर्दन में दर्द, थकान और स्किन इन्फेक्शन होता है। ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी से हम उनका साइज बॉडी स्ट्रक्चर के अनुसार करते हैं, जिससे उनकी जीवनशैली सहज हो जाती है।
डॉ. खान ने बताया कि एम्स एक सेंट्रल गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट है, इसलिए यहां सर्जरी का खर्च बहुत कम है। ओटी चार्ज, बेड चार्ज और सर्जिकल फीस सभी सरकारी दरों पर हैं। यदि मरीज आयुष्मान कार्डधारक नहीं भी है, तब भी उसे न्यूनतम खर्च में इलाज मिल जाता है।
हर सर्जरी से पहले काउंसलिंग अनिवार्य डॉ. खान ने कहा कि हर सर्जरी में कुछ रिस्क होता है, इसलिए मरीज को पहले ही बताया जाता है। हम पहले उसकी मेडिकल कंडीशन, मानसिक स्थिति और फिजिकल पैरामीटर्स का आकलन करते हैं। सर्जरी के बाद रेगुलर फॉलो-अप जरूरी होता है ताकि किसी तरह का इन्फेक्शन या निशान न बने।
सर्जरी के बाद मरीजों को एंटीबायोटिक्स और पेन रिलीफ मेडिसिन दी जाती हैं। इसके अलावा ब्रेस्ट सपोर्ट गारमेंट्स पहनने के निर्देश दिए जाते हैं।
ब्रेस्ट सर्जरी ने ऐसे बदली जिंदगी एम्स में एक सरकारी महिला कर्मचारी का केस डॉक्टरों के लिए यादगार रहा। उन्हें पोलैंड सिंड्रोम नामक स्थिति थी, जिसमें जन्म से एक साइड का ब्रेस्ट विकसित नहीं होता। डॉ. खान बताते हैं कि इस वजह से उन्हें आत्मग्लानि और सामाजिक परेशानी झेलनी पड़ी। हमने उनका ब्रेस्ट इंप्लांट किया, जिससे वे सामान्य जीवन जीने लगीं। हाल ही में उन्होंने शादी की और धन्यवाद देने एम्स लौटीं।
ब्रेस्ट साइज असमानता के मामले बढ़े विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभिनव सिंह के अनुसार, कई महिलाओं में दोनों ब्रेस्ट का आकार एक जैसा नहीं होता। इसे Amastia कहा जाता है। एम्स में ऐसे मरीजों को इंप्लांट या ब्रेस्ट एक्सपैंडर की मदद से दोनों ओर समान आकार दिया जाता है। सर्जरी के बाद नियमित फॉलोअप बेहद जरूरी है। मरीज को एक या दो सप्ताह बाद जांच करानी होती है, फिर दो महीने बाद अंतिम समीक्षा की जाती है।
ब्रेस्ट सर्जरी के बाद यह सावधानी जरूरी
ब्रेस्ट पर अत्यधिक दबाव न डालें
सही फिटिंग वाला सपोर्ट गारमेंट पहनें
धूल, पसीना और संक्रमण से बचें
नई तकनीक- 3डी प्रिंटर से तैयार होगा कैंसर ग्रसित स्तन एम्स में अब 3डी प्रिंटर से कैंसर ग्रसित ब्रेस्ट मॉडल तैयार किया जाएगा, जो हर मरीज की डिटेल के अनुसार बनेगा। डॉक्टर उस पर प्रयोग कर यह जान सकेंगे कि मरीज के लिए सबसे बेहतर उपचार तकनीक क्या होगी, जिससे मरीज को उसके अनुसार सर्वोत्तम इलाज मिल सके।
एम्स में पॉलीजेट डिजिटल एनाटमी प्रिंटर मौजूद है। यह प्रिंटर शरीर के अंग जैसे नकली अंग तैयार करता है, जिनमें नसों, मांसपेशियों और आकार को असली शरीर जैसा बनाया जाता है। शुरुआती चरण में 10 ब्रेस्ट कैंसर पीड़ितों के नकली स्तन तैयार किए जाएंगे, जिन पर अलग-अलग दवाओं का परीक्षण होगा और जो उपचार सबसे बेहतर होगा, वही मरीज को दिया जाएगा।
सबसे ज्यादा मामले ब्रेस्ट कैंसर के इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर के मामले 2.3% बढ़े हैं। महिलाओं में कुल कैंसर मामलों में सबसे अधिक 33.9% ब्रेस्ट कैंसर हैं।इसके बाद 12.1% सर्विक्स कैंसर और 7.9% ओवरी कैंसर के केस दर्ज किए गए हैं।



