बच्चों का सबसे बड़ा ‘कब्रिस्तान’ बना गाजा ! हर 10 मिनट में जा रही एक बच्चे की जान
गाजा पट्टी
फिलीस्तीन की गाजा पट्टी में हमास और इजरायल के बीच चल रहे जंग का सबसे बुरा असर बच्चों पर हो रहा है। करीब एक महीने से चल रही इस जंग में किस तरह से बच्चे प्रभावित हुए हैं, उसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि हर दस मिनट पर एक बच्चे की मौत यहां हो रही है। साथ ही 10 मिनट में 2 बच्चे जख्मी हो रहे हैं, यानी हर दस मिनट में तीन बच्चे हमले का शिकार हो रहे हैं।
फिलीस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 7 अक्टूबर को जंग शुरू होने के बाद से 5 नवंबर तक की मौतों का आंकड़ा दिया है। मंत्रालय ने कहा है कि फिलीस्तीन के 9,770 लोग इजरायल के हवाई हमलों में मारे गए हैं। इसमें 4,100 यानी करीब आधे बच्चे हैं। गाजा में 8,067 मासूम घायल भी हुए हैं, जिनमें से कई गंभीर हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 1,250 बच्चे लापता हैं। बयान में यह भी कहा गया कि इजरायली हमले में मारे गए लोगों में 70 फीसदी बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग थे।
गाजा में हाल के सालों में किसी भी जंग में सबसे ज्यादा बच्चों की मौत
गाजा में करीब एक महीने की जंग के आंकड़े कहते हैं कि यहां हर दिन औसतन 100 से अधिक बच्चे मारे जा रहे हैं। हाल के सालों में कई देशों में जंग हुए हैं लेकिन इस तरह से बच्चे उसका शिकार नहीं हुए। गाजा में हर दिन बच्चों की मौत का औसत 136 है। हाल के सालों में युद्ध का सामना करने वाले साीरिया में हर रोज बच्चों की मौत का औसत 3, अफगानिस्तान में 2, यमन में 1.5, .यूक्रेन में 0.7 और इराक में 0.6 है।
सीरिये में 2011 से 2022 तक 11 साल में 12 हजार बच्चों की मौत हुई। अफगानिस्तान में 2009 से 2020 तक 12 साल में 8 हजार बच्चों की जान गई। यमन में 2015 से 2022 तक 8 साल में 3700, इराक में 2008 से 2022 तक, 14 साल में 3100 और यूक्रेन में बीते करीब दो साल में 510 बच्चों की मौत हुई है। वहीं गाजा में सिर्फ एक महीने में 4100 बच्चों की जान गई है। जो काफी चिंताजनक आंकड़ा है।
यूएन के भी 89 कर्मचारियों की मौत
संयुक्त राष्ट्र राहत कार्य एजेंसी यानी यूएनआरडब्ल्यूए ने भी अपने एक बयान में गाजा में युद्ध के दौरान औसतन हर 10 मिनट में एक बच्चे की मौत और 2 के घायल होने की बात कही है। यूएनआरडब्ल्यूए की प्रवक्ता तमारा अलरिफा ने कहा कि गाजा के करीब 70 फीसदी लोग विस्थापित हो चुके हैं। ये लोग संयुक्त राष्ट्र के आश्रयों में भयावह परिस्थितियों में रहने को मजबूर हैं। जहां पीने के पानी और स्वच्छता का बुनियादी ढांचा भी नहीं है। जिससे लोग कई तरह की बीमारियों का शिकार भी हो रहे हैं। हमास-इजरायल के बीच हो रहे युद्ध में संयुक्त राष्ट्र के 89 सहायताकर्मी मारे गए हैं। ये इतिहास में किसी संघर्ष में मारे गए यूएन कर्मचारियों की सबसे अधिक संख्या है। फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए यूएन की कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) ने मंगलवार को अपनी ताजा रिपोर्ट में ये जानकारी दी है।