फिच ने बढ़ाया भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान, FY26 में 7.4% रहने की उम्मीद

मुंबई
साख निर्धारित करने वाली एजेंसी फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अनुमान को 6.9 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया। मुख्य रूप से उपभोक्ता खर्च में वृद्धि और जीएसटी सुधारों के साथ बेहतर धारणा के कारण वृद्धि अनुमान को बढ़ाया गया है। गुरुवार को फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है. इससे पहले यह अनुमान 6.9 प्रतिशत था. फिच ने अपने आर्थिक विश्लेषण में कहा कि उपभोक्ता खर्च में तेजी, व्यावसायिक माहौल में सुधार और हाल ही में लागू किए गए जीएसटी सुधारों से अर्थव्यवस्था की गति तेज हुई है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही, जो अप्रैल-जून तिमाही में 7.8 प्रतिशत थी. हालांकि, फिच का अनुमान है कि मार्च 2026 के अंत तक वृद्धि दर थोड़ी धीमी रह सकती है. बावजूद इसके, पूरे वर्ष के लिए एजेंसी ने अपनी वृद्धि दर का अनुमान 7.4 प्रतिशत पर रखा है.
फिच ने क्या कहा
फिच ने कहा कि घटती मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को दिसंबर में नीतिगत दरों में एक और कटौती करके इसे 5.25 प्रतिशत पर लाने गुंजाइश देती है। आरबीआई इस साल अब तक मुख्य नीतिगत दर रेपो में एक प्रतिशत की कटौती कर चुका है। उसने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर बढ़कर 8.2 प्रतिशत हो गई जो इससे पिछली अप्रैल-जून तिमाही के 7.8 प्रतिशत थी।
रेटिंग एजेंसी ने दिसंबर के लिए अपनी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2025-26 (मार्च के अंत तक) की शेष अवधि में वृद्धि धीमी रहेगी, लेकिन हमने पूरे वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि अनुमान को सितंबर के 6.9 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है।’’ इस वर्ष वृद्धि को मुख्य रूप से निजी उपभोक्ता खर्च गति दे रहा है। इसका कारण मजबूत वास्तविक आय गतिशीलता, उपभोक्ता धारणा में सुधार और हाल ही में लागू किए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों का प्रभाव है।
क्या है डिटेल
जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाये जाने के तहत लगभग 375 वस्तुओं पर कर की दरें कम की गई है। इससे 99 प्रतिशत से अधिक उपभोग की वस्तुएं सस्ती हुई हैं। जीएसटी में संशोधित दरें 22 सितंबर से प्रभावी हुई हैं। फिच को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026-27 में जीडीपी वृद्धि दर धीमी होकर 6.4 प्रतिशत रहेगी। इसने अनुमान लगाया है कि वित्तीय स्थिति में सुधार के साथ अगले वित्त वर्ष (2026-27) की दूसरी छमाही में निजी निवेश में तेजी आएगी।
खाने-पीने की चीजों की कम कीमतों के कारण अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 0.3 प्रतिशत के अबतक के सबसे निचले स्तर पर आ गई। फिच ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि घटती मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को दिसंबर में नीतिगत दर में एक और कटौती करके इसे 5.25 प्रतिशत करने की गुंजाइश देगी…।’’ आरबीआई शुक्रवार को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगा। फिच के अनुसार, मुख्य मुद्रास्फीति में सुधार और गतिविधियों के मजबूत बने रहने के अनुमान के साथ आरबीआई नीतिगत दर में कटौती के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया है और अगले दो साल तक नीतिगत दर 5.25 प्रतिशत पर बनी रहेगी।
उपभोक्ता खर्च बना मुख्य चालक
फिच के अनुसार, निजी उपभोक्ता खर्च इस वित्त वर्ष की वृद्धि का मुख्य स्तंभ है. इसे मजबूत वास्तविक आय, उपभोक्ता विश्वास में बढ़ोतरी और जीएसटी सुधारों से समर्थन मिला है. अक्तूबर में उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति 0.3 प्रतिशत के सर्वकालिक निम्न स्तर पर आ गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य और पेय पदार्थों की कम कीमतें रही.
वित्त वर्ष 2027 में वृद्धि दर घटने की संभावना
एजेंसी ने वित्त वर्ष 2027 के लिए जीडीपी वृद्धि दर घटकर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. फिच ने कहा कि वित्तीय स्थिति में नरमी आने पर अगले वर्ष की दूसरी छमाही में निजी निवेश में तेजी आ सकती है.
आरबीआई को दरों में कटौती का अवसर
मुद्रास्फीति में कमी के कारण फिच का अनुमान है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) दिसंबर में नीतिगत दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर इसे 5.25 प्रतिशत तक ले जा सकता है. साल 2025 में अब तक कुल 100 आधार अंकों की कटौती हो चुकी है, साथ ही नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में भी कई बार कमी की गई है.
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति शुक्रवार को अपनी नीति समीक्षा की घोषणा करेगी. फिच ने कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति में सुधार और आर्थिक गतिविधियों के मजबूत बने रहने के कारण, केंद्रीय बैंक ने अपने सहजता चक्र के अंत तक पहुंच गया है और अगले दो वर्षों तक ब्याज दरें 5.25 प्रतिशत पर बनी रह सकती हैं.



