जानकी जयंती पर व्रत और पूजा से घर परिवार में बनी रहती हैं खुशियां
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हिंदू धर्म में जानकी जयंती का विशेष महत्व है. फाल्गुन महीने की अष्टमी तिथि को जानकी जयंती मनाई जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, फाल्गुन महीने की अष्टमी तिथि को ही राजा जनक को माता सीता मिली थीं और उन्होंने उन्हें पुत्री रूप में स्वीकारा था. जानकी जयंती माता सीता के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है. इस दिन भगवान राम और माता का विधिपूर्वक पूजन और व्रत किया जाता है.
ये हैं मान्यताएं
इस दिन विधि पूर्वक भगवान राम और माता सीता की पूजा और व्रत करने से जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं. साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास बना रहता है. जानकी जंयती का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बहुत विशेष माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजन से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है. जानकी जयंती कल मनाई जाएगी. ऐसे में आइए जानते हैं जानकी जयंती के पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि, मंत्र और महत्व के बारे में.
जानकी जयंती और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत गुरुवार 20 फरवरी यानी आज सुबह 9 बजकर 58 मिनट पर हो चुकी है. वहीं तिथि का समापन 21 जनवरी को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, जानकी जयंती 21 फरवरी यानी कल गुरुवार को मनाई जाएगी. कल ही व्रत रखा जाएगा और विधि पूर्वक भगवान राम और माता सीता का पूजन किया जाएगा.
जानकी जयंती की पूजा विधि
जानकी जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए.
फिर साफ वस्त्र पहनकर माता सीता का ध्यान करना चाहिए. साथ ही व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई कर चौकी पर लांल रंग का कपड़ा बिछाकर प्रभु श्रीराम और माता सीता की मूर्ति या तस्वीर रखनी चाहिए.
फिर विधि-पूर्वक प्रभु श्रीराम और माता सीता की पूजा करनी चाहिए.
पूजा के समय प्रभु श्रीराम और माता सीता को रोली, अक्षत और फूल आदि अर्पित करना चाहिए.
प्रभु श्रीराम और माता सीता को भोग लगाना चाहिए.
पूजा के समय जानकी जंयती की व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए.
माता सीता के मंत्रों का जाप करना चाहिए.
अंत में आरती कर पूजा का समापन करना चाहिए.
माता सीता के मंत्र
श्री सीतायै नम: श्रीरामचन्द्राय नम: श्री रामाय नम: ॐ जानकीवल्लभाय नमः श्रीसीता-रामाय नम:
जानकी जयंती का महत्व
हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि माता सीता मां लक्ष्मी का अवतार हैं. इस दिन व्रत के साथ-साथ भगवान राम और माता सीता की पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. इस दिन व्रत और पूजन करने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है.