
रायपुर
उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन कराने छत्तीसगढ़ प्रदेश स्पेशल एजुकेटर संघ ने डिप्टी सीएम अरुण साव एवं शिक्षा सचिव से मुलाकात की। शासन के रवैये से नाराज होकर BRP विशेष शिक्षक संघ ने संविलियन करने की मांग की है। साथ ही तत्काल भर्ती प्रकिया पर रोक लगाते हुए 20 वर्षों से कार्यरत संविदा विशेष शिक्षकों के पक्ष में निर्णय लेने की बात कही।
संघ के सदस्य सुदीप जांगड़े ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश का सही तरीके से पालन नहीं किया गया, जिससे छत्तीसगढ़ में BRP को संविलियन का लाभ नहीं मिला। ना ही इनके लिए कोई विचार किया गया है। इस सबंध में अपनी मांग रखा है। इस दौरान प्रमुख रुप से संदीप जांगडे (संरक्षक), श्याम नारायण पाण्डेय, पूर्णिमा खोब्रागडे, कमलेश खोब्रागडे, प्रवीण चौधरी, प्रिया यादव आदि सदस्य उपस्थित रहे।
संघ ने कहा, दिव्यांग बच्चों की शिक्षा एक कानूनी अधिकार है। जो भारत सरकार के संविधान और विभिन्न कानूनों द्वारा संरक्षित है। शिक्षा को अनुच्छेद 21ए के तहत मौलिक अधिकार (शिक्षा का अधिकार (RTE) एवं अधिनियम 2009 के तहत भी सभी विकलांग बच्चे जो 6 से 18 वर्ष की आयु तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने प्रावधानित किया गया है। इसे पूरे देश में पालन कराने भारत सरकार ने समावेशी शिक्षा नीतियां तैयार कर सभी राज्यों में भारतीय पुनर्वास परिषद एक्ट 1992 द्वारा पंजीकृत विशेष शिक्षकों की भर्ती की गई है।
संघ ने बताया, छत्तीसगढ़ राज्य में भी इसी नीति का पालन करते हुए शासकीय विद्यालय में अध्ययनरत कक्षा पहली से 12वीं तक के लगभग 78410 दिव्यांग बच्चों के शिक्षण प्रशिक्षण एवं बाधारहित वातावरण प्रदान करने 162 विशेष शिक्षक पद नाम (BRP) की संविदा नियुक्ति कर विगत 20 वर्षों से छत्तीसगढ़ शसन सेवा ले रही है। संविदा पर कार्यरत विशेष शिक्षकों के विनियमितिकरण / समान्य शिक्षकों के सामान वेतनमान अनुमनय कराये जाने के संबंध में रजनीश कुमार पाण्डेय व अन्य बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया व अन्य उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका को उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि प्रदेश में कार्यरत संविदा विशेष शिक्षकों की स्क्रीनिंग कमेटी बनाकर पद समायोजन करे एवं नए पदों की भर्ती समय सीमा में करते हुए उक्त कार्यवाही का हलफनामा प्रस्तुत करे। इसका पालन महाराष्ट्र, मणिपुर, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार आन्ध्र प्रदेश ने किया, परंतु छत्तीसगढ़ सरकार ने उक्त आदेश का पालन न करते हुए उच्च्तम न्यायालय को श्रृटिपूर्ण हलफनाम देकर प्रदेश में विशेष शिक्षकों का संविलियन नहीं किया एवं विशेष शिक्षकों की 848 पद सृजित कर 100 पदों की भर्ती विज्ञापन जारी किया है।
 



