दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला: सिर्फ अटेंडेंस की कमी से लॉ छात्रों को परीक्षा से न रोका जाए

नई दिल्ली
सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने लॉ की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को निर्देश दिया है कि वह तीन वर्षीय और पांच वर्षीय लॉ कोर्स के लिए अनिवार्य उपस्थिति के नियमों की समीक्षा करे और उन्हें संशोधित करे। कोर्ट ने साफ कहा है कि अटेंडेंस की कमी के आधार पर छात्रों को परीक्षा में बैठने से नहीं रोका जाना चाहिए।
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की बेंच ने यह आदेश एक ऐसे मामले की सुनवाई के दौरान दिया जो 2016 में एक छात्र की कथित आत्महत्या से जुड़ा था। छात्र को कम अटेंडेंस के कारण परीक्षा देने से रोक दिया गया था।
हाई कोर्ट ने कहा कि लीगल एजुकेशन केवल रटने या क्लासरूम तक सीमित नहीं है। इसमें कानून को समझना, व्यवहार में लागू करना और प्रभावी ढंग से उसका इस्तेमाल करना शामिल है। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ क्लासरूम में शारीरिक उपस्थिति समग्र शिक्षा के लिए पर्याप्त नहीं है और यह छात्रों की क्रिएटिव फ्रीडम को भी सीमित करती है।
इन गतिविधियों को भी मिले क्रेडिट
हाई कोर्ट ने BCI से कहा है कि वह अपने नियमों में बदलाव करे और छात्रों की भागीदारी को भी अकैडमिक जुड़ाव का हिस्सा माने।
BCI को यह निर्देश दिया गया है कि छात्रों द्वारा निम्नलिखित गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी उन्हें क्रेडिट दिया जाए:
मूट कोर्ट
सेमिनार
मॉक पार्लियामेंट
वाद-विवाद (डिबेट)
कोर्ट विजिट
कोर्ट ने कहा कि ये बदलाव नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 और यूजीसी (UGC) के 2023 के नियमों के अनुरूप होने चाहिए।
छात्रों की सुरक्षा के लिए तत्काल निर्देश-
छात्रों के जीवन और मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, हाई कोर्ट ने देश भर के सभी लॉ कॉलेजों और यूनिवर्सिटी को अंतरिम निर्देश भी जारी किए हैं। किसी भी छात्र को सिर्फ उपस्थिति की कमी के आधार पर परीक्षा देने या आगे करियर बनाने से नहीं रोका जाएगा। कोई भी लॉ कॉलेज या इंस्टीट्यूट BCI द्वारा निर्धारित न्यूनतम प्रतिशत से अधिक अटेंडेंस की शर्त नहीं लगाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने सभी यूनिवर्सिटी को शिकायत निवारण समितियां स्थापित करने और यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है कि इन समितियों में छात्रों की भागीदारी 50% हो ताकि छात्रों की समस्याओं का उचित समाधान हो सके।



