दिल्लीराज्य

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में दवा संकट! मरीजों के परिजन मुफ्त दवाओं के लिए भटकते नजर आए

नई दिल्ली 
आम आदमी पार्टी के नेताओं ने रियलिटी चेक कर दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया कि दिल्ली में भाजपा सरकार आने के बाद सरकारी अस्पतालों की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। मुफ्त दवा, टेस्ट और सर्जरी जैसी मूलभूत सुविधाएं अब केवल नाम मात्र की रह गई हैं। 'आप' दिल्ली प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज ने बीते गुरुवार को राजीव गांधी अस्पताल का निरीक्षण किया था, वहीं शुक्रवार को कोंडली के विधायक कुलदीप कुमार ने लाल बहादुर शास्त्री (एलबीएस) अस्पताल का दौरा किया। उन्होंने दावा किया कि यहां मरीजों को निर्धारित दवाइयों का आधा हिस्सा भी अस्पताल से नहीं मिल रहा है और ज्यादातर महंगी दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं। कुलदीप कुमार ने बताया कि डॉक्टरों द्वारा मरीजों को 8 से 10 दवाइयां लिखी जा रही हैं, लेकिन अस्पताल से केवल 1 या 2 सस्ती दवाइयां ही दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि यह स्थिति भाजपा सरकार की नाकामी को उजागर करती है। केजरीवाल सरकार के समय में महंगी से महंगी दवाइयां, टेस्ट और सर्जरी पूरी तरह मुफ्त हुआ करती थीं।
आम आदमी पार्टी के नेताओं का आरोप है कि निरीक्षण के दौरान कई मरीजों ने अपनी शिकायतें बताईं। एक बुजुर्ग मरीज ने कहा कि उन्हें केवल दो दवाइयां दी गईं, जबकि बाकी पर ‘कट’ लगाकर बाहर से लाने को कहा गया। एक अन्य मरीज ने शिकायत की कि सात दवाइयों में से केवल एक मिली, बाकी छह बाहर से खरीदनी पड़ीं। कुछ मरीजों ने यह भी बताया कि पहले सभी दवाइयां अस्पताल में मिल जाती थीं, पर अब 'बाहर से लो' कहकर भेज दिया जाता है।
कुलदीप कुमार ने कहा कि इमरजेंसी में भी दवाइयों की भारी कमी है और मरीजों को जन औषधि केंद्र की ओर भेजा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने इन दुकानों को अस्पतालों के बाहर जानबूझकर खुलवाया है ताकि गरीब मरीजों से पैसे वसूले जा सकें। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा राज में सरकारी अस्पताल खुद बीमार हो गए हैं। प्रदूषण से बढ़ती बीमारियों और अस्पतालों में दवाइयां नहीं मिलने से दिल्लीवासियों पर दोहरी मार पड़ रही है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार में मरीजों को दवा, टेस्ट और सर्जरी सब कुछ मुफ्त मिलता था, जबकि अब वर्तमान सरकार ने गरीबों की जेब पर बोझ बढ़ा दिया है।
विधायक कुलदीप कुमार ने कहा कि जमीनी सच्चाई यह है कि मरीजों को न दवाइयां मिल रही हैं, न टेस्ट फ्री हो रहे हैं। गरीब लोग सुबह से लाइन में लगते हैं और दोपहर तक दवा के लिए भटकते रहते हैं। 

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