विदेश

चीन की दिवालिया होती कंपनियां, आसमान छूता कर्ज जाने क्यों डूब रही चाइना की इकॉनमी

नई दिल्ली
चीन (China) लंबे समय से ग्लोबल ग्रोथ का इंजन रहा है। दुनिया की यह सबसे बड़ी इकॉनमी दुनिया की फैक्ट्री के नाम से जानी जाती है। विश्वभर की मल्टीनेशनल कंपनियों ने चीन में अपने प्लांट लगाए हुए हैं। लेकिन हाल के हफ्तों में चीन की इकॉनमी (China economy) में आई सुस्ती ने ग्लोबल लीडर्स और इन्वेस्टर्स को चिंता में डाल दिया है। दशकों बाद पहली बार दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी खुद एक प्रॉब्लम बन गई है। हांगकांग की हैंग सेंग इंडक्स में शुक्रवार को भारी गिरावट दर्ज हुई। यह जनवरी के अपने हालिया उच्च स्तर से 20 फीसदी गिर गया है। पिछले हफ्ते चीनी युआन गिरकर 16 साल के निचले स्तर पर आ गया।

लोगों के पास नहीं हैं नौकरियां

मुद्दा यह है कि कोविड लॉकडाउन हटाने के बाद इस साल की शुरुआत में बिजनस एक्टिविटी में आई तेजी के बावजूद ग्रोथ अब रुक सी गई है। वस्तुओं की कीमतें गिर रही हैं। रियल एस्टेट संकट गहरा रहा है और एक्सपोर्ट्स गिर रहा है। युवाओं के बीच बेरोजगारी की स्थिति तो इतनी खराब हो गई है कि सरकार ने डेटा दिखाना ही बंद कर दिया है। हाल के हफ्तों में चीनी अर्थव्यवस्था के लिए और भी बुरी खबरें आई हैं। एक प्रमुख होमबिल्डर और एक प्रमुख इन्वेस्टमेंट कंपनी अपने निवेशकों को भुगतान नहीं कर पायी। इससे आशंका बढ़ गई है कि हाउसिंग मार्केट के लगातार बिगड़ते हालात वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम को काफी अधिक बढ़ा सकते हैं।

रेटिंग एजेंसियां घटा रहीं पूर्वानुमान

आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए उपायों की कमी ने कई प्रमुख निवेश बैंकों को चीन के आर्थिक विकास के पूर्वानुमान को 5% से नीचे लाने के लिए मजबूर किया है। यूबीएस एनालिस्ट्स ने एक रिसर्च नोट में लिखा, 'हम चीन के वास्तविक जीडीपी के ग्रोथ पूर्वानुमान को घटा रहे हैं। क्योंकि प्रॉपर्टी मार्केट में मंदी गहरा गई है, बाहरी मांग और घट गई है और पॉलिसी सपोर्ट उम्मीद से कम है।' नोमुरा, मॉर्गन स्टेनली और बार्कलेज के रिसर्चर्स पहले ही अपने पूर्वानुमान को कम कर चुके हैं। आइए जानते हैं कि चीनी इकॉनमी में इस समय क्या-क्या बुरा चल रहा है।

प्रॉपर्टी मार्केट में भारी मंदी

चीन की अर्थव्यवस्था अप्रैल से सुस्त हो रही है। लेकिन इस महीने चिंताएं बढ़ गई हैं। देश के सबसे बड़े रियल एस्टेट डेवलपर कंट्री गार्डन और एक प्रमुख ट्रस्ट कंपनी जोंगरॉन्ग ट्रस्ट डिफॉल्ट कर गई है। कंट्री गार्डन द्वारा दो यूएस डॉलर बांड पर ब्याज भुगतान नहीं करना निवेशकों को डरा गया। इसने एवरग्रांडे के 2021 में डिफॉल्ट होने की याद दिला दी, जिसने रियल एस्टेट संकट के शुरुआत का संकेत दिया था। हालांकि, एवरग्रांडे अभी भी एक ऋण पुनर्गठन से गुजर रहा है। लेकिन कंट्री गार्डन की परेशानियों ने चीनी अर्थव्यवस्था के बारे में नई चिंताएं पैदा की हैं। बीजिंग ने रियल एस्टेट बाजार को पुनर्जीवित करने के लिए कई सहायक उपाय किए हैं। लेकिन हालत यह है कि मार्केट के मजबूत खिलाड़ी भी अब डिफॉल्ट के कगार पर हैं। इस बीच, प्रॉपर्टी डेवलपर्स का लोन डिफॉल्ट देश की 2.9 ट्रिलियन डॉलर की इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट इंडस्ट्री में फैलता दिख रहा है। कॉरपोरेट ग्राहकों और धनी व्यक्तियों का 87 बिलियन डॉलर का फंड मैनेज करने वाला झोंगरॉन्ग ट्रस्ट इस महीने की शुरुआत में कम से कम चार कंपनियों को 19 मिलियन डॉलर के निवेश उत्पादों का भुगतान करने में विफल रहा है।

लोकल गवर्नमेंट का कर्ज

चीन के लिए एक और प्रमुख चिंता स्थानीय सरकार का कर्ज है, जो प्रॉपर्टी सेल रेवेन्यू में तेज गिरावट के कारण काफी अधिक बढ़ गया है। साथ ही महामारी के समय लॉकडाउन लगाने की लागत का भी असर है। स्थानीय स्तरों पर देखा गया गंभीर वित्तीय तनाव न केवल चीनी बैंकों के लिए बहुत जोखिम पैदा कर रहा है, बल्कि सरकार की विकास को बढ़ावा देने और सार्वजनिक सेवाओं के विस्तार की क्षमता को भी कम कर रहा है। चीन की लोकल गवर्नमेंट फाइनेंसिंग व्हीकल्स (LGFVs) का कर्ज साल 2017 के बाद से करीब दोगुना हो गया है। चीन की इकॉनमी पर ताजा आईएमएफ रिपोर्ट के अनुसार यह साल 2022 में करीब 7.8 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया था। साल 2014 के आईएमएफ वर्किंग पेपर के अनुसार, LGFVs लोकल गवर्नमेंट्स द्वारा क्रिएट की गई कंपनियां हैं। ये कंपनियां बैंक्स, ट्रस्ट कंपनीज या बॉन्ड मार्केट से उधार लेने के लिए क्रिएट की गई हैं। ये व्हीकल्स कॉरपोरेट कर्ज की कैटेगरी के रूप में इंफ्रास्ट्रक्चर या स्टेट वेलफेयर प्रोजेक्ट्स के लिए फंड्स जुटाते हैं।

लगातार घट रही प्रजनन दर

चीन कुछ लॉन्ग टर्म चैलेंजेज का भी सामना कर रहा है। जैसे कि जनसंख्या संकट और अमेरिका व यूरोप सहित प्रमुख ट्रेडिंग पार्टनर्स के साथ तनाव। चीन की खस्ताहाल इकॉनमी में यह आग में घी की तरह काम कर रहा है। चीन की कुल प्रजनन दर, एक महिला के जीवनकाल में होने वाले औसत बच्चे की संख्या, पिछले साल 1.30 से घटकर रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर 1.09 पर आ गई। इसका मतलब है कि चीन की प्रजनन दर अब जापान से भी कम है। जापान एक ऐसा देश है जो लंबे समय से अपनी बढ़ती उम्र के लोगों के लिए जाना जाता है। इस साल की शुरुआत में चीन ने आंकड़े जारी किए, जिसमें कहा गया कि इसकी जनसंख्या पिछले साल छह दशकों में पहली बार घटने लगी है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस के विश्लेषकों ने पिछले सप्ताह एक शोध रिपोर्ट में कहा, 'चीन की बढ़ती उम्र की जनसांख्यिकी इसकी आर्थिक विकास क्षमता के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश करती है।' लेबर सप्लाई में गिरावट और हेल्थकेयर तथा सोशल स्पेंडिंग में वृद्धि से राजकोषीय घाटे में और इजाफा होगा। कर्ज के बोझ में भी बढ़ोतरी हो सकती है। एक छोटी वर्कफोर्स घरेलू बचत को भी कम कर सकती है, जिससे ब्याज दरें बढ़ेंगी और निवेश घटेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button