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नहाय-खाय से शुरू हुआ छठ महापर्व, अगस्त का फूल पहुंचा 1000 रुपये किलो!

पटना 
लोक आस्था का महापर्व छठ आज से नहाए खाए के साथ शुरू हो गया। श्रद्धालु छठ महापर्व में सूर्य देव को अर्घ्य देकर मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं। चार दिवसीय इस त्योहार में सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है। इनकी उपासना करना बहुत कठिन माना जाता है। क्योंकि इस व्रत को कठोर नियमों के साथ साथ इसमें 36 घंटे तक निर्जला रहा जाता है। छठी मैया की भक्ति में समर्पण, पवित्रता और अनुशासन का विशेष महत्व होता है। पटना समेत बिहार के सभी जिलों में छठ को लेकर प्रशासन की ओर से सारी तैयारी पूरी हो चुकी है। छठ को लेकर बाजार भी पूरी तरह से सज गया है।

नहाय-खाय के साथ बाजार में रौनक
नहाय-खाय के साथ पूरा शहर छठ की भक्ति डूब चुका है। सुबह से ही पटना की सड़कों पर कद्दू, ओल और सुथनी की खरीदारी शुरू हो गई है। पटना के सब्जी बाजारों—बाजार समिति, कदमकुआं, राजेंद्रनगर, बोरिंग रोड और कंकड़बाग में इसकी खरीददारी करने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी है। कद्दू, जो सामान्य दिनों में 25-30 रुपये किलो बिकता था वो आज 50 से 70 रुपये किलो बिक रहा है। ओल की कीमत 80 से 90 रुपये किलो, जबकि सुथनी 120 से 130 रुपये किलो बिक रहा है। व्रतियों का कहना है कि नहाय-खाय में इन्हीं तीन फलों—कद्दू, ओल और सुथनी—का धार्मिक महत्व है। इनके बिना छठ की शुरुआत अधूरी मानी जाती है।

फलों की खुशबू से सजा पटना
फल को लेकर भी बाजार पूरी तरह से सज गया है। पटना फ्रूट एंड वेजिटेबल एसोसिएशन के अध्यक्ष शशिकांत प्रसाद का कहना है कि इस बार छठ से पहले ही कश्मीर और हिमाचल से सेब, नागपुर से संतरा, पंजाब से नाशपाती, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से केला, जबकि हाजीपुर से भी बड़ी खेप आ चुकी है। इसकी वजह से छठ को लेकर लोगों के जेब पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ने वाला है। बाजार में सेब 80 से 120 रुपये किलो, संतरा 40 से 60 रुपये, नाशपाती 100 से 120 रुपये किलो, अनार 110 से 220 रुपये किलो, जबकि पानी वाला नारियल 45-50 रुपये प्रति पीस बिक रहा है। केला 450 से 700 रुपये प्रति धौद है। पटना में सिर्फ छठ में फलों का करीब 10 से 50 करोड़ रुपये तक होता है। इस बार यह और बढ़ने की उम्मीद है।

कपड़ा, पूजन सामग्री और सजावट में उमड़ा उत्साह
छठ पर फल-सब्जियों के साथ साथ कपड़े, पूजा सामग्री की दुकानों में भी भीड़ उमड़ पड़ी है। व्रतियों के परिवार नए कपड़े, साड़ी, थाली, सूप, डलिया और प्रसाद की टोकरी जैसी चीजें खरीदते दिखे। इसकी वजह से ही दिवाली के बाद भी बोरिंग रोड, कदमकुआं और कंकड़बाग इलाकों में बाजारों की रौनक बरकरार है।

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