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शेख हसीना के करीबी का बड़ा दावा, बांग्लादेश की पीएम के तौर पर वापस लौटेंगी, भारत को कहा थैंक्यू

कोलकाता
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के करीबी सहयोगी और अमेरिका अवामी लीग के उपाध्यक्ष डॉ. रब्बी आलम ने एक बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि शेख हसीना जल्द ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में वापसी करेंगी। इसके साथ ही, उन्होंने भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शेख हसीना को सुरक्षित ठिकाना और यात्रा मार्ग प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया।

मिडिया को दिए एंक इंटरव्यू में डॉ. रब्बी आलम ने ये बात कही। उन्होंने कहा, "शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में वापस आएंगी। युवा पीढ़ी ने गलती की है, लेकिन यह उनकी गलती नहीं है, उन्हें गुमराह किया गया है।" उन्होंने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताते हुए इसे "हमले के अधीन" बताया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा, "बांग्लादेश पर हमला हो रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। राजनीतिक विद्रोह ठीक है, लेकिन बांग्लादेश में ऐसा नहीं हो रहा है। यह एक आतंकवादी विद्रोह है।"

साथ ही, उन्होंने अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस को पद छोड़ने और "जहां से आए थे, वहीं वापस जाने" के लिए कहा। उन्होंने कहा, "हम बांग्लादेश के सलाहकार से कहना चाहते हैं कि वह पद छोड़ दें और वापस वहीं चले जाएं जहां से आप आए हैं। डॉ. यूनुस, आप बांग्लादेश के नहीं हैं। यह बांग्लादेश के लोगों के लिए संदेश है कि शेख हसीना वापस आ रही हैं, वह प्रधानमंत्री के रूप में वापस आ रही हैं।"

आलम ने भारत के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, "हमारे कई नेता भारत में शरण लिए हुए हैं, और हम भारत सरकार को इसके लिए बहुत आभारी हैं। मैं पीएम नरेंद्र मोदी को भी हमारी प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए सुरक्षित यात्रा मार्ग प्रदान करने के लिए धन्यवाद देता हूं। हम भारत के लोगों के भी आभारी हैं।"

शेख हसीना को पिछले साल अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद सत्ता से बेदखल कर दिया गया था, जिसके बाद वह भारत में निर्वासित जीवन बिता रही हैं। उनकी पार्टी अवामी लीग के समर्थक इसे "आतंकी विद्रोह" करार दे रहे हैं। दूसरी ओर, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हसीना की प्रत्यर्पण की मांग की है और उन पर मानवता के खिलाफ अपराधों सहित कई आरोप लगाए हैं। हालांकि, भारत ने अभी तक इस मांग पर कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया है।

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