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बैतूल की बेटी दुर्गा येवले ने ब्लाइंड वर्ल्ड कप में कोलंबो में जीत दिलाई, मध्य प्रदेश का नाम रोशन

बैतूल 

 आज किसी भी क्षेत्र में लड़कियां खुद को साबित करने में पीछे नहीं हैं. जिसके उदाहरण हर एक सुबह के साथ आपको पढ़ने या सुनने मिल ही जाते हैं. वहीं ताजा उदाहरण की बात करें तो हाल ही में महिला क्रिकेट टीम ने आईसीसी विश्व कप जीत कर इतिहास रचा. वहीं पहले T20 ब्लाइंड महिला वर्ल्ड कप में भारत ने नेपाल को हराकर खिताब अपने नाम किया. ये खबर तो आप सभी ने पढ़ ही ली होगी, लेकिन हम आपको एक ऐसी महिला क्रिकेटर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो मध्य प्रदेश के बैतूल की रहने वाली है.

गरीबी और सामाजिक चुनौतियों के साथ उसने अपनी शारीरिक कमजोरी को हथियार बनाया और अपने घर-गांव प्रदेश का नाम रोशन किया. क्रांति गौड़ के बाद एक और महिला क्रिकेटर ने मध्य प्रदेश का नाम चमकाया है.

चुनौतियों को हरा दुर्गा ने गाड़ा जीत का झंडा

कहते हैं कि व्यक्ति के नाम का उसके जीवन पर गहरा असर पड़ता है. ये बात बैतूल की इस लड़की ने साबित कर दिखाया है. दुर्गा येवले (यादव) ने पहले टी-20 ब्लाइंड महिला वर्ल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन करते हुए टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई. इस जीत में बैतूल की दुर्गा येवले विश्व विजेता बनकर उभरी हैं. अपने नाम की तरह ही दुर्गा ने सारी चुनौतियों को पार कर श्रीलंका के कोलंबो के मैदान में सफलता के झंडे गाड़े. कोलंबो में आयोजित भारत और नेपाल के बीच हुए मुकाबले में भारत ने 7 विकेट से नेपाल को हराकर वर्ल्ड कप अपने नाम किया.

ब्लाइंड क्रिकेट टूर्नामेंट में भारत ने नेपाल को हराया

ब्लाइंड वर्ल्ड कप के इस सफर में दुर्गा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है. टीम इंडिया ने नेपाल की टीम को 5 विकेट पर 114 रन के स्कोर पर ही रोक दिया. इसके बाद भारत ने लक्ष्य का पीछा करते हुए 12 ओवर में ही 117 रन बनाकर मुकाबला अपने नाम कर लिया. देश के साथ मध्य प्रदेश, बैतूल और इंदौर स्थित महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ में खासी खुशियां मनाई जा रही हैं. सरसरी तौर आप जान गए होंगे कि दोनों टीम के बीच कैसा मुकाबला रहा.

बैतूल के छोटे से गांव की रहने वाली है दुर्गा

अब खास बात यह है कि आखिर दुर्गा येवले कौन है. बैतूल की भैंसेदही तहसील के एक छोटे से गांव राक्सी के गौलीढाना गांव में 1 फरवारी 2003 को दुर्गा का जन्म हुआ था. उनके पिता खेती करते हैं. दुर्गा दो बहन और एक भाई में छोटी है. दुर्गा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल से की. बताया जा रहा है कि पिता झब्बू येवले और टीचर नत्थू वडुकले का दुर्गा के जीवन में बहुत योगदान है. उनके सहयोग से वह बैतूल छात्रावास पहुंची. फिर पाढर ब्लाइंडर स्कूल से 9वीं और 10वीं कक्षा पूरी की. इसके बाद इंदौर के महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ छात्रावास में एडमिशन लिया.

दुर्गा के क्रिकेट सफर पर एक नजर, 50 फीसदी ब्लाइंडनेस

इसके बाद दुर्गा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. नवंबर 2022 में ब्लाइंड क्रिकेट प्रतियोगिता आयोजित हुई थी. जहां कैंप में क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन एमपी के अध्यक्ष सोनू गोलकर ने दुर्गा की प्रतिभा को पहचाना. उसे जिला स्तरीय टीम में मौका दिया, उसके अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए प्रदेश स्तरीय टीम में चयन हुआ. इसके बाद 2023 में बेंगलुरु, 2024 में हुबली और 2025 में केरल में राष्ट्रीय स्तर पर दुर्गा के शानदार प्रदर्शन ने उसे भारतीय टीम का हिस्सा बनाया और टी-20 ब्लाइंड वर्ल्ड कप के लिए सिलेक्ट हुई. जानकारी के लिए बताते चलें दुर्गा को 50 प्रतिशत ब्लाइंडनेस है. जिसके चलते वह बी 3 केटेगरी में खेलती हैं.

टी-20 ब्लाइंड वर्ल्ड कप 11 नवंबर से 25 नवंबर तक खेला गया. जिसमें भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, इंग्लैंड, अमेरिका और श्रीलंका सहित 7 टीमों ने हिस्सा लिया था. भारत और श्रीलंका ने मिलकर इस टूर्नामेंट की सह मेजबानी की थी.

हौसला और मेहनत इंसान का सबसे बड़ा हथियार

दुर्गा की इस उपलब्धि पर परिवार और गांव वाले खासा उत्साहित हैं. दुर्गा के कोच ने बताया कि वह हमेशा अपने क्रिकेट पर फोकस करती है. क्रिकेट बॉल में लगे घुंघुरू की आवाज सुनकर उसे बाउंड्री के पार पहुंचाने की कोशिश करती है. परिजनों और ग्रामीणों का कहना है कि मेहनत और हौसला इंसान को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता है. वहीं अपनी इस कामयाबी पर दुर्गा का कहना है कि क्रिकेट उनका शौक है. गांव में सुविधाओं की कमी से उतना मौका नहीं मिल पाता था, लेकिन इंदौर छात्रावास और क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड की मदद से उन्हें अपने सपने को पूरा करने का मौका मिल रहा है.

इंदौर से क्रिकेट के शौक को मिली हवा

संस्था की प्रशासनिक अधिकारी डॉ डॉली जोशी ने बताया "महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ की प्रतिभाशाली बालिका दुर्गा येवले ने प्रथम टी-20 महिला वर्ल्ड कप 2025 में टीम इंडिया का हिस्सा रही. दुर्गा ने पूरे वर्ल्ड कप मैच के दौरान अपने शानदार प्रदर्शन से भारत को विश्व चैंपियन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने बताया मूल रूप से दुर्गा बैतूल की रहने वाली है, जो इंदौर स्थित संस्था में रहकर पीजी कोर्स कर रही है. उन्होंने कहा कि दुर्गा के अलावा बड़ी संख्या में संस्था की अन्य छात्राओं ने भी दृष्टिहीन खिलाड़ियों के लिए आयोजित विभिन्न क्रिकेट स्पर्धा में अपना नाम रोशन किया है.

इसके लिए संस्था में होनहार छात्राओं को विभिन्न खेलों का विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. जिसे अब दुर्गा येवले ने प्रमाणित किया है. उन्होंने बताया फिलहाल दुर्गा कोलंबो से अपनी टीम के साथ भारत पहुंच गई है. जो जल्द ही इंदौर पहुंचेगी. दुर्गा की इस उपलब्धि पर संस्था में होनहार छात्रा का सम्मान भी किया जाएगा.

कैसे खेलते हैं ब्लाइंड पर्सन क्रिकेट

आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि ब्लाइंड पर्सन कैसे क्रिकेट खेल सकते हैं. इसमें एक सफेद प्लास्टिक की गेंद का यूज होता है. जिसके अंदर बॉल बेयरिंग भरे होते हैं. जब गेंद फेंकी जाती है, तो उसमें से आवाज आवाज आती है, जिसे खिलाड़ी सुन पाते हैं. हालांकि बॉलिंग से पहले बॉलर को पूछना होता है कि बल्लेबाज तैयार है. इसके बाद गेंद फेंकते समय प्ले चिल्लाना होता है. नॉर्मल क्रिकेट की तरह इसमें भी 11 खिलाड़ी होते हैं. जिसमें कम से कम 4 खिलाड़ी पूरी तरह से ब्लाइंड होते हैं.

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