छत्तीसगढ़राज्य

वर्तमान में युवाओं का मन विशाल बने और उसमें गहराई हो: गुरुदेव श्री श्री रविशंकर

रायपुर
आज युवाओं को अपनी संस्कृति, परंपराओं और मूल्य प्रणालियों को समझने के लिए अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाने और अपनी जड़ों को गहरा करने की आवश्यकता है। जब आप अपनी जड़ें गहरी करते हैं, तो यह आपको जिम्मेदारी और आत्मीयता  की भावना से भर देता है, और एक व्यापक दृष्टिकोण मन को विश्रामपूर्ण  बनाता है। विशाल नज़रिये और  जड़ें गहरी होने का अर्थ वास्तव में सहजता, शांति और समता के साथ जिम्मेदारी उठाना है।

युवा अक्सर इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं, विद्यालय में उनके अंक, उनका प्रदर्शन और उन्हें कैसा माना जाता है, इसके सत्यापन की खोज में वे बहुत समय और प्रयास लगाते हैं । लेकिन सच तो यह है कि किसी के पास हमारे बारे में सोचने का समय नहीं है। सभी लोग अपनी-अपनी समस्याएँ सुलझाने में व्यस्त हैं। दूसरी प्रवृत्ति जिस पर हमें काम करने की आवश्यकता है वह है मन की सकारात्मक की बजाय नकारात्मक से अधिक चिपके रहने की प्रवृत्ति, यह उनके स्वयं के और समाज के भीतर अधिक तनाव उत्पन्न करती है। ऐसा मन कैसे विकसित करें जो सकारात्मक और प्रसन्न हो?

भोजन, जल और अन्य आवश्यकताओं से परे, आपको आध्यात्मिक शक्ति की भी आवश्यकता है। आध्यात्मिक शक्ति एक ऐसी चीज़ है जो आपको किसी भी विपरीत परिस्थिति से बाहर निकाल सकती है और आपकी ख़ुशी को अटूट बना सकती है। यह आध्यात्मिकता ही है जो आपके जीवन में छायी रिक्तता को भरती है।

दुर्भाग्य से आध्यात्मिकता को कुछ गंभीर या उबाऊ चीज़ के रूप में देखा जाता है। लेकिन सच तो यह है कि प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में सत्य व प्रेम की लालसा होती है, और आध्यात्मिकता किसी व्यक्ति में यह बात उजागर करने में सक्षम है जो वर्षों तक छिपी हुई रह सकती है। इससे व्यक्ति को सांत्वना, शक्ति और प्रभावी ढंग से परिणाम प्राप्त करने की क्षमता मिलती है। इससे सामुदायिक भावना का विकास होता है, जहां हर कोई एक-दूसरे की परवाह करता है और आपस में कुछ न कुछ साझा करता है। मानसिक बीमारियों, अकेलेपन और व्यसनों के खतरे का मुकाबला करने के लिए आज हमें इसकी आवश्यकता है।वास्तव में इसी कारण आर्ट ऑफ लिविंग आंदोलन युवाओं के बीच इतना लोकप्रिय हो गया है क्योंकि उन्होंने यहां आत्मिक प्रसन्नता और शांति का अनुभव किया है।

आपको जीवन को एक बड़े संदर्भ से देखने की ज़रूरत है, न कि केवल यह देखने की, कि आप अल्पावधि में क्या हासिल कर सकते हैं।  "मुझे क्या मिल सकता है?" से "मैं क्या दे सकता हूँ?" इससे यह बदलाव आएगा,  युवा मन प्रतिस्पर्धा से योगदान की ओर बढ़ेगा। हम युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए सेवा करने के मूल्य को पर्याप्त महत्व नहीं देते हैं। जीवन में संतुष्टि पाने के लिए आपको कुछ न कुछ सेवा करने की आवश्यकता है; और सेवा गतिविधियों को बनाए रखने के लिए आपको आध्यात्मिक अभ्यास की आवश्यकता है; अन्यथा, आप थकान का अनुभव करेंगे। ऐसा तब हो सकता है, जब आप ऊर्जा के चार स्रोतों पर ध्यान देते हैं – उचित भोजन, उचित विश्राम, श्वास पर थोड़ा ध्यान और शांत, एकाग्र और चिंता मुक्त मन के लिए प्रतिदिन कुछ मिनट का ध्यान।

युवाओं में अक्सर दोहराई जाने वाली एक और शिकायत एकाग्रता की कमी है। आपको  ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता कब होती है? जब आपको सम्मुख विषय पसंद हो तो क्या आपको ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत है? आपको उस चीज़ के लिए एकाग्रता की आवश्यकता होती है जिसे आप करना पसंद नहीं करते। तो बस आप जो कुछ भी करते हैं उन सभी को पसंद करना सीखें! केवल उसी समय जब हम विचारशील मन से परे जाते हैं, स्थिर होते हैं और कुछ मिनटों के लिए मन को शांत करते हैं, हम उस समृद्ध अवस्था तक पहुंच पाते हैं जो वास्तव में हम हैं ! तब हम जो कुछ भी करते हैं उससे प्रेम करने में सक्षम हो जाते हैं। युवाओं को यह महसूस करने की जरूरत है कि वे जो चाहते हैं उसे हासिल करने के लिए उनके अंदर कितनी बड़ी क्षमता और ताकत है। यह तभी संभव है, जब उनके पास हर दिन अपने लिए कुछ शांत पल हों।

युवा हमेशा सफलता की तलाश में रहते हैं – लेकिन सफलता के पैमाने बदल रहे हैं ! मेरे अनुसार, सफलता की निशानी एक स्थायी मुस्कान, जीवन में आत्मविश्वास और आसपास के सभी लोगों के साथ अपनेपन की भावना है। हमारे युवाओं को अपने जीवन में यही विकसित करने का लक्ष्य रखना चाहिए कि वे अपने आप में कितना सुरक्षित महसूस करते हैं। आपको जिम्मेदारी लेने से कौन रोकता है ? यह या तो आलस्य है या भय, यह सही है या गलत, आप इसे पूरा कर पाएंगे या नहीं, ये सवाल मन में आते हैं। आप असफलता से डरते हैं. भले ही असफलता न हो, असफलता का एक संकेत ही आपको परेशान कर देता है। यदि आप इसके प्रति जागरूक हो सकें, तो यह आपके लिए बहुत उपयोगी होगा।
साथ ही, सफल होने के लिए आलोचना सहने के लिए तैयार रहें। जब भी आप समाज की भलाई का काम करें तो आपको आलोचना सहने के लिए तैयार रहना चाहिए। आध्यात्मिकता आपको आलोचना के बावजूद भी भीतर से दृढ़ बनाती है। आपको आलोचना करने में भी सक्षम होना चाहिए।

भारत में युवा भारतीय संस्कृति और उसकी शिक्षा को समझने से वंचित रह गए हैं। जो भारतीय है  हमें उस पर गर्व करना होगा। देश के बाहर से जो कुछ भी आता है, वह युवाओं को आकर्षित करता हुआ प्रतीत होता है। देश के लिए गौरव एक ऐसी चीज है जिसे विकसित करना होगा।

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