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अमित शाह का आश्वासन, मणिपुर में केंद्रीय सुरक्षाबलों की बढ़ेगी तैनाती; जेलों की होगी निगरानी

नई दिल्ली
जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में शांति बहाल करने के प्रयासों के तहत राज्य के आदिवासियों के समूह इंडिजनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आइटीएलएफ) ने बुधवार को यहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। शाह ने उन्हें राज्य में केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ाने और संवेदनशील क्षेत्रों में किसी भी कमी को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया। फोरम ने आदिवासी क्षेत्रों से राज्य पुलिस की वापसी की मांग की थी। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले आइटीएलएफ के सचिव मुआन ने बताया कि गृह मंत्री के अनुरोध पर फोरम जातीय हिंसा के शिकार कुकी-जो समुदाय से संबंधित लोगों के शवों को दफनाने के लिए लोगों से परामर्श करके एक वैकल्पिक स्थान तय करेगा।

गृह मंत्री ने आश्वासन दिया है कि सरकार की ओर से इंफाल में शवों की पहचान और उन्हें मृतकों के गृहनगर तक पहुंचाने के लिए आवश्यक व्यवस्था की जाएगी। आइटीएलएफ नेताओं के अनुरोध पर इंफाल में सरकारी रेशम उत्पादन फार्म में (मणिपुर) उद्योग विभाग की भूमि शवों को दफनाने के लिए आवंटित की जा सकती है। प्रतिनिधिमंडल से अनुरोध किया गया था कि वह उसी स्थान पर शवों को दफनाने पर जोर न दे, जो उसके अंतर्गत आता है।

प्रतिनिधिमंडल मांग कर रहा था कि जो शव इंफाल में पड़े हैं, उन्हें चूड़चंदपुर लाकर दफनाया जाए। सूत्रों ने कहा कि शाह ने मणिपुर में आदिवासियों के लिए एक अलग प्रशासन या अलग राज्य की मांग को खारिज सिरे से खारिज कर दिया। आदिवासी नेता इंफाल की जेलों में बंद कैदियों को दूसरे राज्यों में स्थानांतरित करने की मांग भी कर रहे थे। इस पर शाह ने आश्वासन दिया कि जेलों की नियमित निगरानी की जाएगी। शाह ने आइटीएलएफ के प्रतिनिधिमंडल को नई दिल्ली आने का निमंत्रण दिया था ताकि मणिपुर की स्थिति पर विचार-विमर्श किया जा सके।

बता दें कि मणिपुर में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इंफाल घाटी में रहने वाले मैतेयी समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है जबकि पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी-नगा आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है।

मणिपुर के नगा समुदाय ने निकाली रैलियां
उधर, मणिपुर में नगा समुदाय के हजारों लोगों ने बुधवार को अपने क्षेत्रों में रैलियां निकालीं। इन रैलियों का उद्देश्य मसौदा समझौते के आधार पर केंद्र के साथ जारी शांति वार्ता को पूरा कराने का दबाव बनाना था। कड़ी सुरक्षा के बीच तामेंगलोंग, सेनापति, उखरुल और चन्देल के जिला मुख्यालयों में ये रैलियां निकाली गईं।

नगा जनजातियों की संस्था यूनाइटेड नगा काउंसिल (यूएनसी) ने नगा बाहुल्य इलाकों में इन रैलियों का आह्वान किया था। मणिपुर के भौगोलिक क्षेत्र का 90 प्रतिशत हिस्सा पहाड़ी क्षेत्र है जहां नगा और कुकी-जो जनजातियां रहती हैं। कुकी जनजातियों की संस्था कुकी इंपी मणिपुर (केआइएम) ने भी इन रैलियों को समर्थन दिया।

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