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सोने की कीमत में बड़ी गिरावट के आसार, ये 4 फैक्टर बन सकते हैं कारण; चांदी भी गिरेगी

मुंबई 

सोने को हमेशा से सुरक्षित निवेश माना जाता है. जब दुनिया में तनाव या युद्ध का माहौल होता है, तब निवेशक सोने की ओर भागते हैं, क्योंकि बाकी बाजारों में अनिश्चितता बढ़ जाती है. लेकिन जब दुनिया में शांति का माहौल होता है, तो सोने की कीमतें गिरने लगती हैं. इस समय कई ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं, जिससे संभावना है कि आने वाले महीनों में सोना 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे लुढ़क सकता है. आइए जानते हैं वे चार बड़े कारण, जो इस गिरावट की वजह बन सकते हैं. खास बात ये है कि इन चारों के लिए सूत्रधार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ही हैं.

दरअसल, पिछले कुछ महीनों में मंदी, युद्ध की आहट और टैरिफ टेंशन की वजह से सोने-चांदी की कीमतें आसमान पर पहुंच गई हैं. लेकिन अब दुनिया में सबकुछ ठीक होने लगे हैं, जिसके संकेत मिल रहे हैं, देशों के बीच रिश्ते सुधरने लगे हैं. जिससे निवेशकों का शेयर बाजार पर भरोसा लौटने लगा है, यही कारण है कि सोना-चांदी की चमक फीकी पड़ सकती है. 

जानकारों का कहना है कि अगर कुछ बड़े भू-राजनीतिक घटनाक्रमों में सकारात्मक मोड़ आते हैं, तो सोने की कीमतें 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे लुढ़क सकती हैं. 

आइए जानते हैं वो चार कारण, जिन वजहों से टूट सकती हैं सोने-चांदी की कीमतें….

1. अमेरिका और चीन में ट्रेड डील 
अमेरिका और चीन, दुनिया के दो ताकतवर देश हैं, इन दोनों के बीच कुछ सालों से ट्रेड वॉर, टैरिफ और सप्लाई चेन की खींचतान ने ग्लोबल बाजारों को अस्थिर कर रखा था. लेकिन खबर है कि दोनों ट्रेड डील के करीब हैं. दुनिया राहत की सांस लेने वाली है, खुद चीन अमेरिका से मुकाबले के लिए सोने का भंडार बढ़ा रहा था. जिससे कीमतें बढ़ने लगी थीं. 

लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. दोनों देशों के बीच लगातार सकारात्मक बातचीत चल रही है, और एक बड़ा व्यापार समझौता जल्द होने वाला है. अगर ऐसा होता है, तो निवेशकों का भरोसा शेयर बाजार और उद्योगों में लौटेगा. अमेरिका-चीन ट्रेड डील सोने के लिए एक बड़ा नकारात्मक ट्रिगर साबित हो सकती है, और भाव टूट सकता है.

2. भारत-अमेरिका ट्रेड समझौता 

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोना उपभोक्ता देश है. ऐसे में अगर भारत और अमेरिका के बीच मजबूत व्यापारिक रिश्ते बनते हैं, तो इसका सीधा असर सोने की कीमतों पर पड़ेगा. एक नए ट्रेड पैक्ट से भारत को विदेशी निवेश मिलेगा, रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत होगा, और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी. जब रुपया मजबूत होता है, तो भारत में सोना खरीदना सस्ता पड़ता है, क्योंकि हमें कम रुपये में ही समान मात्रा का सोना मिल जाता है.

इसका असर यह होगा कि घरेलू बाजार में सोने की कीमतें गिर सकती हैं, भले ही अंतरराष्ट्रीय दरें स्थिर रहें, यानी जो निवेशक सोने में पैसा लगाने की सोच रहे हैं, उन्हें आने वाले महीनों में राहत मिल सकती है. यह दूसरा बड़ा कारण होगा जो सोने को 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे धकेल सकता है.

3. इजरायल-हमास संघर्ष विराम 

मध्य पूर्व की धरती हमेशा से दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर डालती आई है. इजरायल और हमास के बीच लंबे समय से चल रहे संघर्ष ने न केवल मानवीय संकट बढ़ाया, बल्कि ग्लोबल बाजार में भी डर का माहौल बनाया. तेल महंगा हुआ, सप्लाई चेन पर असर पड़ा, और निवेशकों ने सुरक्षित ठिकाने की तलाश में सोना खरीदा है.

लेकिन अब खबर है कि दोनों पक्षों में संघर्ष विराम की बातचीत आगे बढ़ रही है. खुद ट्रंप इसकी अगुवाई कर रहे हैं. अगर यह सच्चाई में बदलता है, तो बाजारों में स्थिरता आएगी. इस वजह से भी सोने की चमक भी मंद पड़ जाती है. निवेशक अपना पैसा शेयर, बॉन्ड और रियल एस्टेट जैसे प्रॉफिट वाले सेक्टरों में लगाने लगते हैं. इससे सोने की कीमतें स्वाभाविक रूप से गिरने लगती हैं.

4. पाकिस्तान-अफगानिस्तान में सीजफायर

दक्षिण एशिया में अस्थिरता की वजह से अंतरराष्ट्रीय निवेशक अक्सर सतर्क रहते हैं. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच अगर स्थायी सीजफायर हो जाता है, तो इस क्षेत्र में भी आर्थिक स्थिरता और भरोसा बढ़ेगा. हालांकि इन दोनों देशों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कोई बड़ा योगदान नहीं है. लेकिन शांति का माहौल व्यापार, निवेश और क्षेत्रीय विकास के लिए दरवाजे खोल देगा. 

निवेशक ऐसे माहौल में जोखिम लेने को तैयार होते हैं और जब निवेशक शेयर बाजारों की ओर लौटते हैं, तो सोने की मांग घट जाती है. यानी दक्षिण एशिया में अगर बंदूकें खामोश होती हैं, तो सोने की कीमतें भी शांत हो जाएंगी. 

हालांकि इन चार घटनाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका की भूमिका है, ऐसे में अगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन चारों पहलुओं को अपने हिसाब से डील कराने में सक्षम रहते हैं, तो सोने का ग्राफ नीचे आना तय है. 

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