राजनीतिक

नर्मदापुरम सीट पर 33 साल से दो भाइयों का दबदबा

इटारसी.
नर्मदापुरम संभाग की पहले होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) विधानसभा सीट से दो सगे भाई लगातार एक के बाद एक सात चुनाव लड़े और जीते भी। इस विधानसभा सीट से पांच बार छोटे भाई डॉ. सीतासरन शर्मा चुनाव जीते और दो चुनाव में बड़े भाई गिरिजाशंकर शर्मा ने कांग्रेस के प्रत्याशियों को पराजित कर सीट पर कब्जा बरकरार रखा। रोचक बात यह है कि इस विधानसभा सीट पर 1990 से अभी तक सात बार चुनाव हो चुके हैं और हर बार सीट भाजपा के पाले में गई है।

1957 से अस्तित्व में आई इटारसी विधानसभा से लगातार तीन बार चुनाव जीतने वाले डॉ. सीतासरन शर्मा ने पहला चुनाव 1990 में भाजपा के टिकट पर लड़ा था। उन्होंने कांग्रेस के पूर्व उप गृह मंत्री विजय दुबे काकू भाई को 13 हजार 347 वोट से हराया था। इसके बाद 1993 में दूसरी बार फिर डॉ. सीतासरन शर्मा ने विजय दुबे काकू भाई को हराया। इस बार विजय दुबे मात्र 861 वोट से हार गए थे। भाजपा से लगातार तीसरी बार 1998 में डॉ. सीतासरन शर्मा को टिकट मिला। इस बार उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के मानक अग्रवाल थे। डॉ. शर्मा ने तीसरी बार भी इटारसी विधानसभा सीट से भाजपा को 5 हजार 821 वोटों से जीत दिला दी। भाजपा ने वर्ष 2003 के चुनाव में उनके बड़े भाई गिरिजाशंकर शर्मा को टिकट दिया। गिरिजाशंकर शर्मा ने कांग्रेस के रमेश साहू को 19 हजार 970 वोटों से हराया।

परिसीमन के बाद इटारसी विधानसभा को होशंगाबाद में शामिल कर लिया गया। सोहागपुर नई विधानसभा सीट बनीं। होशंगाबाद से वर्ष 2008 में फिर गिरिजाशंकर शर्मा को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया। गिरिजाशंकर शर्मा ने कांग्रेस के विजय दुबे काकू भाई को इस बार 25 हजार 320 वोटों से हराया। इसके बाद के दो चुनाव वर्ष 2013 और 2018 में पार्टी ने गिरिजाशंकर शर्मा की बजाय डॉ. सीतासरन शर्मा को टिकट दिया। वर्ष 2013 के चुनाव में पूर्व नपा अध्यक्ष रविकिशोर जायसवाल को डॉ. शर्मा ने रिकार्ड 49 हजार 296 वोटों से पराजित किया। इसके बाद डॉ. शर्मा मप्र विधानसभा के अध्यक्ष बनाए गए। 2018 के चुनाव में डॉ. शर्मा के सामने भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व मंत्री सरताज सिंह से मुकाबला था। डॉ. शर्मा ने सरताज को 15217 वोटों से हराकर सीट पर कब्जा बरकरार रखा। अब गिरिजाशंकर शर्मा ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया है।

इटारसी-होशंगाबाद (नर्मदापुरम) से अब तक रहे विधायक

  • वर्ष 1957 : हरिप्रसाद चतुर्वेदी – कांगे्रस
  • वर्ष 1962 : कुंवर सिंह – एसओपी
  • वर्ष 1967 : हरिप्रसाद चतुर्वेदी – कांगे्रस
  • वर्ष 1972 : हरिप्रसाद चतुर्वेदी – कांगे्रस
  • वर्ष 1977 : नर्मदाप्रसाद सोनी – जनता
  • वर्ष 1980 : विजय दुबे – कांग्रेस
  • वर्ष 1985 : विजय दुबे – कांग्रेस
  • वर्ष 1990 : डॉ. सीतासरन शर्मा – भाजपा
  • वर्ष 1993 : डॉ. सीतासरन शर्मा – भाजपा
  • वर्ष 1998 : डॉ. सीतासरन शर्मा – भाजपा
  • वर्ष 2003 : गिरिजाशंकर शर्मा – भाजपा
  • वर्ष 2008 : गिरिजाशंकर शर्मा – भाजपा
  • वर्ष 2013 : डॉ. सीतासरन शर्मा – भाजपा
  • वर्ष 2018: डॉ. सीतासरन शर्मा – भाजपा

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