राफेल और Su-57 की जोड़ी से बढ़ेगी इंडियन एयरफोर्स की ताकत, रूस से फाइटर जेट पर डील संभव

नई दिल्ली
भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए एक ऐतिहासिक मौका आ गया है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 4-5 दिसंबर के भारत दौरे के दौरान Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट्स की डील हो सकती है. दुबई एयरशो 2025 में रूस ने भारत को पूरी तकनीक ट्रांसफर का वादा किया है, जिसमें इंजन, सेंसर और स्टील्थ मटेरियल सब शामिल हैं.
यह डील न सिर्फ वायुसेना को 5वीं पीढ़ी के जेट देगी, बल्कि फ्रांस के राफेल जेट्स के साथ इसकी जोड़ी (जुगलबंदी) भारत को एशिया का हवाई सुपरपावर बना देगी. इससे आईएएफ की ताकत 50-60% बढ़ जाएगी, खासकर ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) जैसे संघर्षों में.
डील का लेटेस्ट स्टेटस: पुतिन दौरे पर सबकी नजरें
पुतिन का यह दौरा महज औपचारिक नहीं, बल्कि रक्षा समझौतों का बड़ा मंच बनेगा. क्रेमलिन स्पोक्सपर्सन दिमित्री पेस्कोव ने कन्फर्म किया कि Su-57 और अतिरिक्त S-400 एयर डिफेंस सिस्टम्स पर बात होगी. रूस की रोस्टेक कंपनी के सीईओ सर्गेई चेमेज़ोव ने दुबई एयरशो में कहा कि भारत को जो चाहिए, हम देंगे—चाहे Su-57 हो या S-400.
Su-57 का प्लान: शुरुआत में 50-60 रेडीमेड जेट्स रूस से आएंगे, फिर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के नासिक प्लांट पर 120-140 जेट्स लोकल प्रोडक्शन होगा. कीमत प्रति जेट 670-800 करोड़ रुपये, जो F-35 ($110 मिलियन) से सस्ता है. फुल टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (टीओटी) से भारत अपना वर्जन बना सकेगा, जिसमें ब्रह्मोस मिसाइल इंटीग्रेशन होगा.
राफेल का एक्सपैंशन: पहले से 36 राफेल हैं, अब 114 और F-4/F-5 वर्जन की डील पर फोकस. नेवी के लिए 26 राफेल-M भी आ रहे हैं. कुल लागत: 1 लाख करोड़ से ज्यादा, लेकिन मेक इन इंडिया से 60% पार्ट्स लोकल.
बैकग्राउंड: ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान ने राफेल को चुनौती दी, जहां चीनी J-10सी ने लंबी रेंज मिसाइल यूज की. इससे IAF के 31 स्क्वाड्रन (अधिकृत 42) का संकट सामने आया. S-500 मिसाइल शील्ड भी डिस्कस होगा, जो हाई-एल्टीट्यूड थ्रेट्स को हैंडल करेगा.
2028 तक 20 जेट्स प्रति साल प्रोडक्शन शुरू होगा, जो भारत को एक्सपोर्ट हब बना सकती है.
राफेल: बहुमुखी योद्धा, जो युद्ध के हर मोर्चे पर राज करे
राफेल फ्रांस का 4.5 जेनरेशन मल्टी-रोल फाइटर है, जो 2016 से भारतीय वायुसेना में तैनात है. ऑपरेशन सिंदूर में इसने पाकिस्तानी एयरबेस पर ब्रह्मोस स्ट्राइक्स किए. इसके विस्तृत फायदे…
उन्नत सेंसर और रडार: थेल्स आरबीई2 एईएसए रडार 200+ किमी दूर दुश्मन को डिटेक्ट करता है.सेंसर फ्यूजन से पायलट को 360° व्यू मिलता है, जो नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर में कमाल करता है.
मिसाइल पावर: मेटियोर बीवीआर मिसाइल (150-200 किमी रेंज) दुश्मन को दूर से नेस्तनाबूद करता है. एससीएएलपी क्रूज मिसाइल गहरे हमलों के लिए, जबकि माइका शॉर्ट-रेंज डॉगफाइट में बेस्ट. भारत के अस्त्र और रुद्रम मिसाइल्स भी इंटीग्रेट हो सकते हैं.
लंबी रेंज और एंड्योरेंस: 3700 किमी रेंज, एयर रिफ्यूलिंग से 9000 किमी तक. हिमालय जैसे हाई-एल्टीट्यूड एरिया में परफेक्ट.
इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू): स्पेक्ट्रा सिस्टम दुश्मन रडार को जाम कर देता है, स्टील्थ जैसी सिक्योरिटी देता है.
भारत-स्पेसिफिक फायदे: मेक इन इंडिया से 60% लोकलाइजेशन, जॉब्स क्रिएशन. नेवी-एयरफोर्स इंटीग्रेशन से एकरूपता. ट्रेनिंग आसान, क्योंकि पहले से 36 जेट्स हैं. कीमत: 1,000 करोड़ प्रति यूनिट, लेकिन मेंटेनेंस कम.
राफेल की स्ट्रेंथ: तुरंत उपलब्धता और कॉम्बैट-प्रूवन परफॉर्मेंस.
Su-57: स्टील्थ का राजा, अदृश्य हमलावर जो दुश्मन को सोचने न दे
Su-57 (Felon) रूस का 5वीं जेनरेशन स्टील्थ फाइटर है, जो 2020 से रूसी एयरफोर्स में है. भारत के लिए एक्सपोर्ट वर्जन Su-57E.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह जरूरी हो गया, क्योंकि पाकिस्तान के J-10सी ने लंबी रेंज दिखाई.
स्टील्थ टेक्नोलॉजी: रडार क्रॉस-सेक्शन 0.1 वर्ग मीटर, जो J-20 से बेहतर. इंटरनल वेपन बे से अदृश्य रहते हुए हमला.
सुपर मैन्युवरेबिलिटी: 3डी थ्रस्ट वेक्टरिंग इंजन (एएल-51) से हवा में 180° टर्न, डॉगफाइट में अजेय. सुपरक्रूज (1975 km/hr बिना आफ्टरबर्नर) से तेज पहुंच.
हाइपरसोनिक वेपन्स: आर-37एम मिसाइल (300-400 किमी रेंज) पाक/चीनी जेट्स को दूर से मार गिराएगी. ब्रह्मोस-ए और हाइपरसोनिक मिसाइल्स इंटीग्रेट हो सकती हैं.
एडवांस्ड एवियोनिक्स: एन-036 बेलका एईएसए रडार + आईआरएसटी सेंसर से 400 किमी डिटेक्शन. सेंसर फ्यूजन से एआई-बेस्ड थ्रेट एनालिसिस.
भारत के लिए स्पेशल: Su-30एमकेआई (260 जेट्स) से 70-80% कॉमन पार्ट्स, मेंटेनेंस आसान. फुल सोर्स कोड एक्सेस से अस्त्र, रुद्रम इंटीग्रेशन हो सकता है.
लोकल प्रोडक्शन से एएमसीए प्रोजेक्ट को बूस्ट. कीमत सस्ती, डिलीवरी 2028 तक. Su-57 की ताकत: 5जी टेक और लो कॉस्ट, जो भारत को इंडिपेंडेंट बनाएगा.
जुगलबंदी का कमाल: राफेल-Su-57 से वायुसेना बनेगी अजेय
दोनों जेट्स की जोड़ी भारतीय वायुसेना को लेयर्ड स्ट्रक्चर देगी—राफेल मीडियम-वेट वर्कहॉर्स, Su-57 लॉन्ग-रेंज स्टील्थ स्ट्राइकर.
तकनीकी एकीकरण: Su-30 से मैच, लॉजिस्टिक्स 50% कम. राफेल का ईडब्ल्यू + Su-57 का स्टील्थ से हाइब्रिड फोर्स. मेटियोर (150 किमी) + आर-37एम (300 किमी) से बीवीआर वॉर में डोमिनेंस.
स्क्वाड्रन बूस्ट: 3-5 नए स्क्वाड्रन (36-54 जेट्स) बनेंगे, मिग-21 जैसे पुराने बाहर. टू-फ्रंट वॉर (चीन-पाक) में राफेल क्विक स्ट्राइक, Su-57 डीप पेनेट्रेशन.
इकोनॉमिक गेन: लोकल मैन्युफैक्चरिंग से 1 लाख जॉब्स, एक्सपोर्ट पोटेंशियल. AMCA को टेक बूस्ट मिलेगा.
ऑपरेशनल एज: हिमालय में Su-57 की मैन्युवरेबिलिटी, इंडियन ओशन में राफेल की एंड्योरेंस काम आएगी. कुल ताकत: 50% इजाफा, हवाई वर्चस्व सुनिश्चित होगी.
विशेषज्ञ कहते हैं यह जोड़ी J-20 और J-35 को काउंटर करेगी.
चीन और पाकिस्तान पर डायरेक्ट इम्पैक्ट: बैलेंस ऑफ पावर शिफ्ट
यह डील चीन-पाकिस्तान के लिए रेड अलर्ट है, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद जहां पाक ने चीनी हार्डवेयर यूज किया.
चीन पर असर: चीन के 200+ J-20 स्टील्थ जेट्स हैं, लेकिन Su-57 की थ्रस्ट वेक्टरिंग और 300 किमी मिसाइल से एज मिलेगा. लद्दाख बॉर्डर पर दो-मोर्चा वॉर में भारत मजबूत होगा. इंडियन ओशन में चीनी नेवी को चेक करना आसान होगा, जहां Su-57 पैट्रोलिंग करेगा. अगर चीन J-35 एक्सपोर्ट करता है, तो भारत का काउंटर तैयार. रूस-भारत टाई से चीन की स्ट्रैटेजी कमजोर होगी.
पाकिस्तान पर असर: पाक के JF-17 और J-10सी (PL-15 मिसाइल, 200 किमी) पुराने पड़ जाएंगे. 2025 अंत तक पाक को 40 J-35 मिल सकते हैं, लेकिन Su-57 की 300 किमी रेंज से एयरबेस दूर से नष्ट. ऑपरेशन सिंदूर में पाक को झटका लगा; अब यह डील उसे डराएगी. भारत का हवाई बैलेंस शिफ्ट, पाक-चीन अलायंस को चैलेंज मिलेगा.
कुल मिलाकर, यह भारत को स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी देगा—रूस से टेक, फ्रांस से प्रूवन प्लेटफॉर्म. पुतिन दौरे पर फाइनल डिसीजन लेकिन वायुसेना की ताकत नई ऊंचाइयों पर होगी.



