जबलपुरमध्य प्रदेश

फर्जी दस्तावेज से 226 करोड़ का टेंडर, KDBIL के प्रबंध संचालक समेत 3 पर FIR दर्ज

जबलपुर

जबलपुर स्थित एमपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी से ठेका प्राप्त करने के लिए कैलाश देवबिल्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 226 करोड़ रुपये के ठेके हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज पेश किए थे। जांच के बाद EOW ने संचालकों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर मामले को विवेचना में लिया।

EOW से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कैलाश देवबिल्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के संचालकगण द्वारा वर्ष 2016 से 2020 तक फर्जी दस्तावेज़ पेश कर ठेके प्राप्त करने की शिकायत मिली थी। जांच में पाया गया कि एमपी पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड के कुल 20 ठेके प्राप्त किए गए थे, जिनमें से तीन ठेकों के लिए कंपनी ने नोएडा स्थित एक कंपनी के परफॉर्मेंस सर्टिफिकेट पेश किए थे।

फर्जी परफॉर्मेंस सर्टिफिकेट से लिया था 226 करोड़ का काम

जानकारी के मुताबिक हाथीताल निवासी कैलाश देवबिल्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध संचालक कैलाश शुक्ला ने अपने परिवारजनों के साथ मिलकर नोएडा की इनॉक्सविंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस लिमिटेड के नाम से कूटरचित परफॉर्मेंस सर्टिफिकेट तैयार करवाया। इसी फर्जी दस्तावेज के आधार पर कंपनी ने हाईटेंशन लाइनों और 220 केवी सब स्टेशन के निर्माण के लिए मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड से 226 करोड़ रुपए के टेंडर हासिल कर लिए।

EOW की जांच में खुलासा

शिकायत मिलने पर एसपी EOW अनिल विश्वकर्मा के निर्देश पर जब जांच शुरू हुई तो पता चला कि इनॉक्सविंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस लिमिटेड ने ऐसा कोई परफॉर्मेंस सर्टिफिकेट जारी ही नहीं किया था। EOW की टीम फिर नोएडा स्थित कंपनी के कॉर्पोरेट ऑफिस पहुंची, जहां से स्पष्ट रूप से बताया गया कि उनके द्वारा ऐसा कोई दस्तावेज जारी नहीं किया गया है।

इन टेंडरों में किया गया था फर्जीवाड़ा

कंपनी ने 2 मार्च 2017 को कूटरचित सर्टिफिकेट लगाकर पावर ट्रांसमिशन कंपनी से टीआर-36/16, टीआर-13/20 और टीआर-35/20 के टेंडर प्राप्त किए थे। सभी टेंडर उच्च क्षमता के सब स्टेशन और ट्रांसमिशन लाइन निर्माण से जुड़े थे।

कंपनी संचालकों पर FIR दर्ज

जांच में आरोप प्रमाणित पाए जाने पर EOW ने कैलाश कुमार शुक्ला प्रबंध संचालक देवबिल्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, सीमा शुक्ला और भानू शुक्ला डायरेक्टर के खिलाफ धारा 34, 420, 465, 468, 471, 120-बी के तहत अपराध क्रमांक 156/2025 पंजीबद्ध कर जांच शुरू कर दी गई है।

226 करोड़ का घोटाला

यह 226 करोड़ का घोटाला है। EOW आगे वित्तीय लेन-देन एवं फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने की साजिश का भी पता लगा रही है। मामला सामने आने के बाद ऊर्जा व ट्रांसमिशन क्षेत्र में बड़ी हलचल मच गई है।

इनॉक्स विंड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस लिमिटेड, नोएडा ने स्पष्ट किया कि उनके द्वारा देवबिल्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को कोई परफॉर्मेंस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है। कंपनी ने ठेके प्राप्त करने के लिए कूटरचित परफॉर्मेंस सर्टिफिकेट पेश किए थे।

हाईटेंशन लाइन व सब-स्टेशन बनाती है कंपनी
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह कंपनी हाईटेंशन लाइनों और सब-स्टेशनों का निर्माण करती है। फर्जी परफॉर्मेंस सर्टिफिकेट का उपयोग करके कंपनी ने 220 केवी के सब-स्टेशन निर्माण सहित दो अन्य ठेके प्राप्त किए थे। तीनों ठेकों की कुल राशि 226 करोड़ रुपये थी, जो निर्धारित दरों से कम पर हासिल किए गए थे।

EOW ने जांच के बाद कैलाश कुमार शुक्ला (प्रबंध संचालक, कैलाश देवबिल्ड इंडिया प्रा. लि.), सीमा शुक्ला (डायरेक्टर) और भानू शुक्ला (डायरेक्टर), निवासी हाथीताल कॉलोनी, को आरोपी बनाया है। 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button