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कैबिनेट का फैसला : हर मंडल में दिव्यांग पुनर्वास केंद्र, योगी सरकार का बड़ा फैसला

  • कैबिनेट का फैसला : हर मंडल में दिव्यांग पुनर्वास केंद्र, योगी सरकार का बड़ा फैसला
  • कैबिनेट का फैसला :अयोध्या में अब 52 एकड़ में बनेगा वर्ल्ड-क्लास मंदिर संग्रहालय, टाटा ग्रुप करेगा निर्माण और संचालन
  • कैबिनेट का फैसला : राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेने वाले यूपी के नियुक्त खिलाड़ियों को बड़ी राहत, योगी सरकार ने ‘ड्यूटी’ मानने का नियम साफ किया
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  • कैबिनेट का फैसला :अमृत 2.0 के तहत बरेली और कानपुर में 580 करोड़ से ज्यादा की दो बड़ी पेयजल परियोजनाओं को मंजूरी, लाखों लोगों को मिलेगा फायदा

लखनऊ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में दिव्यांगजनों के लिए एक अहम निर्णय लिया गया। सरकार ने राज्य के सभी 18 मंडलों में नए जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र (डीडीआरसी) खोलने को मंजूरी दे दी है। वर्तमान में प्रदेश के 38 जिलों में ऐसे केंद्र चल रहे हैं, लेकिन कतिपय समस्याओं के कारण कई जगह संचालन प्रभावित हो रहा था। अब सरकार पूरे ढांचे को नए सिरे से संसाधनों से लैस करते हुए संचालित करने जा रही है, ताकि दिव्यांगजनों को मिलने वाली सेवाओं में कोई बाधा न आए।

कैबिनेट के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि नए डीडीआरसी खुलने से प्रदेश में दिव्यांगजनों को एक ही जगह पर सर्वे, पहचान, शिविर, सहायक उपकरण, कृत्रिम अंग फिटमेंट और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध होंगी। इसके साथ ही फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी जैसी नैदानिक सेवाएं भी इन केंद्रों पर दी जाएंगी। यूडीआईडी कार्ड और दिव्यांग प्रमाणपत्र जैसे जरूरी दस्तावेज बनवाने में भी अब लोगों को ज्यादा चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। सरकार का मानना है कि इस फैसले से दिव्यांगजनों को योजनाओं का लाभ समय पर और सुगमता से मिल सकेगा तथा उनके पुनर्वास की पूरी प्रक्रिया मजबूत होगी।

अयोध्या में अब 52 एकड़ में बनेगा वर्ल्ड-क्लास मंदिर संग्रहालय, टाटा ग्रुप करेगा निर्माण और संचालन

योगी सरकार ने अयोध्या को विश्व स्तर पर एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गंतव्य के रूप में विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। कैबिनेट ने टाटा सन्स के सहयोग से अयोध्या में प्रस्तावित विश्व स्तरीय ‘मंदिर संग्रहालय’ का दायरा और बड़ा कर दिया है। 

कैबिनेट में हुई चर्चा और उसके आधार पर लिए गये निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि टाटा सन्स ने अपने सीएसआर फंड से एक अत्याधुनिक मंदिर संग्रहालय विकसित करने और उसका संचालन करने की इच्छा व्यक्त की है। इसके लिए कम्पनी एक्ट 2013 की धारा 8 के तहत एक गैर-लाभकारी एसपीवी बनाया जाएगा, जिसमें भारत सरकार और राज्य सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। परियोजना हेतु भूमि आवंटन के लिए भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और टाटा सन्स के बीच त्रिपक्षीय एम्ओयू बीते 3 सितंबर 2024 को हस्ताक्षरित हो चुका है।

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि पूर्व में प्रदेश सरकार ने अयोध्या के मांझा जमथरा गांव में 25 एकड़ नजूल भूमि टाटा सन्स को 90 वर्षों के लिए उपलब्ध कराने की अनुमति दी थी, लेकिन टाटा संस ने संग्रहालय की भव्यता के दृष्टिगत अधिक भूमि की अपेक्षा की थी। ऐसे में अब इस भूमि के अतिरिक्त 27.102 एकड़ और मिलाकर कुल 52.102 एकड़ भूमि का निःशुल्क हस्तांतरण आवास एवं शहरी नियोजन विभाग से पर्यटन विभाग के पक्ष में किया जाएगा, ताकि परियोजना का दायरा और बड़ा किया जा सके।

वर्ल्ड-क्लास मंदिर संग्रहालय तैयार होने के बाद अयोध्या को न सिर्फ एक नया सांस्कृतिक पहचान चिन्ह मिलेगा, बल्कि बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा होंगे। साथ ही, बढ़ते पर्यटन से सरकार को राजस्व में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी भी होगी। बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा और अब ध्वजारोहण समारोह के बाद अयोध्या में पर्यटकों का प्रवाह कई गुना बढ़ चुका हैअब रोजाना लगभग 2 से 4 लाख पर्यटक अयोध्याधाम पहुंच रहे हैं। युवा पीढ़ी, विदेशी सैलानियों और भारतीय संस्कृति में रुचि रखने वाले आगंतुकों को ध्यान में रखते हुए अयोध्या में सांस्कृतिक आकर्षणों को बढाने की दिशा में यह संग्रहालय महत्वपूर्ण होगा।

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेने वाले यूपी के नियुक्त खिलाड़ियों को बड़ी राहत, योगी सरकार ने ‘ड्यूटी’ मानने का नियम साफ किया

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ियों को बड़ी राहत देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अब वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं, ट्रेनिंग कैंपों और संबंधित गतिविधियों में शामिल होने की पूरी अवधि, आवागमन के समय सहित ‘ड्यूटी’ मानी जाएगी। योगी कैबिनेट के इस फैसले से खिलाड़ियों को अनुमति लेने में होने वाली मुश्किलें खत्म होंगी।

कैबिनेट की बैठक के बाद वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि अब तक ‘अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता सीधी भर्ती नियमावली-2022’ में ऐसी कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं थी। सेवा नियमावली में अवकाश संबंधी प्रावधान न होने के कारण खिलाड़ियों को प्रतियोगिताओं और प्रशिक्षण शिविरों में भाग लेने के लिए अनुमति प्रक्रिया में दिक्कतें आती थीं। 

उन्होंने कहा कि अब सरकार नई प्रणाली लागू कर रही है, जिसमें साफ व्यवस्था होगी कि नियुक्त खिलाड़ी जब भी किसी राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता, कैंप या प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लें, वह अवधि सेवा अवधि (ड्यूटी) मानी जाएगी। इसमें आने-जाने का पूरा समय भी शामिल होगा। इससे न केवल खिलाड़ियों को अपने खेल करियर में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा, बल्कि राज्य का प्रतिनिधित्व भी और मजबूत होगा, क्योंकि अब उन्हें अनुमति लेने में कोई बाधा नहीं आएगी।

वाराणसी के सम्पूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम का संचालन अब साई को, राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र भी बनेगा

योगी कैबिनेट ने वाराणसी में निर्माणाधीन डॉ. सम्पूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम, सिगरा के संचालन, प्रबंधन और रखरखाव तथा राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए ‘भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के साथ हुए एमओयू को मंजूरी दे दी है। यह वही स्टेडियम है, जहां ‘खेलो इंडिया’ योजना के तहत आधुनिक स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया गया है। एमओयू के तहत स्टेडियम परिसर में मौजूद खेल सुविधाओं; जैसे, भवन, ढांचे, मैदान और अन्य अवसंरचनाओं को साई को सौंपा जाएगा, ताकि यहां नेशनल सेंटर ऑfफ  एक्सीलेंस की स्थापना और संचालन सुचारु रूप से हो सके। 

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र बनने के बाद प्रदेश के उभरते खिलाड़ियों को बड़ा मंच मिलेगा। विभिन्न आयु वर्गों और खेल विधाओं के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान की जाएगी और उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए उच्च स्तरीय प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा। इससे न सिर्फ उत्तर प्रदेश की खेल प्रतिभा को मजबूत प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य का प्रतिनिधित्व भी और सशक्त होगा। सरकार का मानना है कि इस पहल से खिलाड़ियों के सामने भविष्य में रोजगार और खेल करियर दोनों की संभावनाएं बढ़ेंगी, साथ ही वाराणसी देश के प्रमुख खेल केंद्रों में से एक के रूप में उभरकर सामने आएगा।

अमृत 2.0 के तहत बरेली और कानपुर में 580 करोड़ से ज्यादा की दो बड़ी पेयजल परियोजनाओं को मंजूरी, लाखों लोगों को मिलेगा फायदा

 योगी कैबिनेट ने शहरी पेयजल व्यवस्था को मजबूत करने के लिए दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं को हरी झंडी दे दी है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि अटल नवीकरण एवं शहरी रूपांतरण मिशन-अमृत 2.0 के तहत बरेली और कानपुर नगर निगम क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति सुधारने और नेटवर्क विस्तार के लिए कुल ₹582.74 करोड़ की परियोजनाओं को मंजूरी मिली है। दोनों योजनाएं शहरों की बड़ी आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने में मील का पत्थर साबित होंगी।

बरेली: ₹265.95 करोड़ की पेयजल पुनर्गठन परियोजना

बरेली नगर निगम में पेयजल प्रणाली को नए सिरे से विकसित करने के लिए फेज-1 पुनर्गठन परियोजना को व्यय वित्त समिति से ₹26,595.46 लाख की स्वीकृति मिल चुकी है। इसमें भारत सरकार का हिस्सा ₹8,530.96 लाख, राज्य सरकार का ₹14,504.95 लाख और नगर निगम का अंश ₹2,559.55 लाख शामिल है। परियोजना के पूरा होने पर बरेली में लगभग 92% आबादी, यानी करीब 9 लाख लोग, नियमित और सुरक्षित पेयजल आपूर्ति से कवर हो जाएंगे।

कानपुर: ईस्ट और साउथ सर्विस डिस्ट्रिक्ट में 316.78 करोड़ की पाइपलाइन विस्तार योजना

कानपुर नगर निगम क्षेत्र के ईस्ट और साउथ सर्विस डिस्ट्रिक्ट में 100% आबादी तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए पाइपलाइन विस्तार परियोजना को ₹31,678.88 लाख की मंजूरी मिली है। इसमें भारत सरकार का योगदान ₹7,610.32 लाख, राज्य सरकार का ₹18,264.77 लाख और नगर निगम का हिस्सा ₹4,566.19 लाख है। परियोजना से कानपुर शहर के 33 वार्डों को सीधा लाभ मिलेगा और ईस्ट-साउथ जोन की पूरी आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध होगा। जलजनित रोगों में भी कमी आने की उम्मीद है।

दोनों परियोजनाओं से उत्तर प्रदेश के दो बड़े नगरों में पेयजल आपूर्ति व्यवस्था अधिक विश्वसनीय और आधुनिक होगी। सरकार का मानना है कि अमृत 2.0 के तहत ये निवेश शहरी बुनियादी ढांचे को नई मजबूती देंगे और करोड़ों लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाएंगे।

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