
नई दिल्ली
दिल्ली में यमुना किनारे 53 किलोमीटर लंबे साइकिल कॉरिडोर के निर्माण की तैयारियां तेज हो गई हैं. वजीराबाद बैराज से लेकर एनएच-24 और आगे कालिंदी कुंज यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क तक प्रस्तावित यह कॉरिडोर राजधानी में ग्रीन मोबिलिटी को नई दिशा देगा. तीन चरणों में बनने वाली इस परियोजना को अगले तीन वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
साइकिल ट्रैक निर्माण के लिए सभी विभागों से लगभग स्वीकृतियां मिल चुकी हैं, लेकिन रेलवे से NOC अभी भी लंबित है. पुराने यमुना रेल पुल के पास ट्रैक बनाने के लिए रेल मंत्रालय की अनुमति अनिवार्य है. बुधवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली सचिवालय में आयोजित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों से इस परियोजना की प्रगति की जानकारी ली. अधिकारियों ने बैठक में सीएम को बताया कि रेलवे से संबंधित स्वीकृति अंतिम चरण में है और जल्द ही इस पर सकारात्मक निर्णय मिलने की उम्मीद है. बाकी विभाग पीडब्ल्यूडी, डीडीए, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली जल बोर्ड, ऊर्जा विभाग और एनएचएआई पहले ही अपनी मंजूरी दे चुके हैं.
यमुना के दोनों किनारों पर बनेगा ट्रैक
परियोजना के तहत यमुना नदी के दोनों तरफ अलग-अलग हिस्सों में साइकिल कॉरिडोर बनाया जाएगा. अधिकारियों ने विस्तृत प्रस्तुति देते हुए बताया कि इस ट्रैक को कई जगह नदी पार करते हुए जोड़ा जाएगा, जिससे यह 53 किलोमीटर का पूरा नेटवर्क एक-दूसरे से सुचारू रूप से जुड़ सके. यह दिल्ली में साइक्लिंग को एक बड़े स्तर पर प्रोत्साहित करने वाली पहली संगठित परियोजना मानी जा रही है.
तीन चरणों में होगा विकास
साइकिल कॉरिडोर का विकास तीन चरणों में होगा. पहले चरण में पुराने यमुना रेल पुल से एनएच-24 तक ट्रैक बनाया जाएगा, दूसरे चरण में एनएच-24 से कालिंदी कुंज यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क तक मार्ग तैयार किया जाएगा और तीसरे चरण में वजीराबाद यमुना बैराज से पुराने यमुना रेल पुल तक ट्रैक का निर्माण किया जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि परियोजना से जुड़ा टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारियां अंतिम दौर में हैं और रेलवे से NOC मिलते ही पहला चरण शुरू कर दिया जाएगा, जिसे एक वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
पर्यावरण संरक्षण में बड़ी पहल
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि परियोजना की गुणवत्ता, सुरक्षा और पर्यावरणीय मानकों से किसी भी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके विकसित होने के बाद यमुना किनारे ईको-टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा और लोगों को नेचर फ्रेंडली स्पेस में घूमने, साइकिल चलाने और समय बिताने का नया विकल्प मिलेगा.



