छत्तीसगढ़राज्य

छत्तीसगढ़ के 13 हजार से अधिक स्कूलों में स्मार्ट क्लास शुरू, बच्चों को ऑडियो-वीडियो कंटेंट से पढ़ाई

रायपुर
 प्रदेश के 13 हजार से अधिक माध्यमिक और हाई स्कूलों में अब स्मार्ट क्लास और कंप्यूटर लैब की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। शिक्षा विभाग ने इस व्यवस्था को आने वाले शैक्षणिक सत्र से ही लागू करने की तैयारी तेज कर दी है। इसके बाद बच्चों को पढ़ाई के लिए डिजिटल माध्यम, ऑडियो-वीडियो कंटेंट और ऑनलाइन शिक्षण का लाभ पहले से कहीं अधिक सुगमता से मिलेगा।

प्रदेश में फिलहाल 1,388 स्कूलों में कंप्यूटर लैब और 5,857 स्कूलों में स्मार्ट क्लास संचालित हैं। स्कूलों की संख्या को देखते हुए यह सुविधा अभी भी सीमित दायरे में थी। अब शिक्षा विभाग ने स्मार्ट क्लास और आईसीटी लैब के दायरे को बढ़ाकर हर जिले, हर विकासखंड और हर ब्लाक के स्कूलों तक पहुंचाने की योजना बनाई है। संबंधित जिलों के अधिकारियों को स्कूलों की भौगोलिक स्थिति और छात्र संख्या के आधार पर प्राथमिकता तय करने के निर्देश भी भेज दिए गए हैं।

दो मॉडल पर काम

केंद्र प्रायोजित आइसीटी (इन्फार्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलाजी) योजना के तहत दो मॉडल पर काम चल रहा है। पहला मॉडल आइसीटी लैब का है, जिसमें कंप्यूटर सिस्टम स्थापित किए जाते हैं। यह लैब शिक्षक और विद्यार्थियों दोनों के उपयोग के लिए होती है। इसका उद्देश्य छात्रों को टेक्नोलाजी के माध्यम से पढ़ाई, ऑनलाइन अध्ययन, डिजिटल सामग्री, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और अन्य शिक्षण गतिविधियों से जोड़ना है। एआई आधारित लर्निंग, भाषा सुधारक टूल, वीडियो लेक्चर और वर्चुअल कान्सेप्ट क्लास जैसे साधनों का भी उपयोग किया जाएगा।

योजना का दूसरा हिस्सा स्मार्ट क्लासरूम है। इसमें बड़ी स्क्रीन, प्रोजेक्टर, ऑडियो सिस्टम और डिजिटल माड्यूल के माध्यम से स्कूलों में पढ़ाई कराई जाएगी। एक-एक स्कूल में बच्चों की संख्या के आधार पर एक से चार तक स्मार्ट क्लासरूम तैयार किए जाएंगे। शिक्षा विभाग का मानना है कि इससे पढ़ाई अधिक रोचक होने के साथ-साथ कठिन विषयों को भी बच्चों को सरलता से समझाया जा सकेगा, जिससे सीखने की गति और परिणाम दोनों में सुधार आएगा।

ग्रामीण और शहरी स्कूलों के बीच कम होगा अंतर

प्रदेश में वर्तमान में कुल 56,895 स्कूल हैं। शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, स्मार्ट क्लास प्रणाली से ग्रामीण और शहरी स्कूलों के बीच शिक्षा के स्तर का अंतर कम होगा। साथ ही दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण और आधुनिक शिक्षा की वही सुविधाएं मिलेंगी जो बड़े शहरों में उपलब्ध हैं।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि जल्द ही शिक्षकों के लिए तकनीकी प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी, ताकि वे डिजिटल संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर सकें। इस दिशा में चरणबद्ध तरीके से कार्य किया जाएगा और हर जिले में मानिटरिंग सेल भी बनाई जाएगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button