भोपालमध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में 2 बच्चे का कानून खतरे में? RSS चीफ के बयान से हो सकता है बड़ा बदलाव

भोपाल 
बच्चे तीन भी अच्छे… राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत का यह बयान मध्यप्रदेश के 400 से अधिक सरकारी सेवकों के लिए संजीवनी लेकर आने वाला है। ये वे शासकीय सेवक हैं, जिनके घरों में कई कारणों से तीन संतानें पैदा हुईं। तब से उन्हें नौकरी जाने का खतरा सता रहा है। कई की तो विभाीय जांच भी चल रही है। कुछ को बड़े अफसर या विरोधी बार-बार धमका रहे हैं।

संघ प्रमुख के बयान के बाद अफसर-कर्मचारी दो बच्चों(Two child law) से ज्यादा पैदा नहीं करने वाली सरकारी बंदिश हटाने की गुहार लगा रहे हैं। सरकार ने इस आधार पर प्रस्ताव तैयार किया है। एक दौर की चर्चा के बाद ये बंदिश हटाई जा सकती है। इसके बाद इन 400 से अधिक शासकीय सेवकों की नौकरी से संकट टल जाएगा। राज्य के 12 लाख शासकीय, संविदाकर्मी और विभिन्न सेवाओं के शासकीय सेवक बड़ा परिवार करना चाहेगा, वे भी कानूनी पेंच से बच जाएंगे।

 मोहन भागवत का बयान

देश की जनसंख्या नीति 2:1 बच्चों की है। एक परिवार में 3 बच्चे होने चाहिए। हर नागरिक को सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके परिवार में 3 बच्चे हों। (संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 28 अगस्त को आरएसएस के शताब्दी समारोह में कहा था।)

दिग्विजय सरकार में लागू हुआ था दो बच्चों वाला नियम

24 साल पहले जनसंख्या नियंत्रण की चुनौतियां देख कांग्रेस की तत्कालीन दिग्विजय सिंह की सरकार ने 2001 में मप्र सेवा भर्ती सामान्य शर्ते नियम 1961 के नियम में बदलाव किया था। इसके तहत शासकीय सेवकों के लिए दो(Two child law) से ज्यादा बच्चों पर बंदिशें लगा दी थी।

नियमों के बाद भी इसलिए हुए 3 बच्चे

एक शासकीय सेवक ने बताया, वह 2005 में सेवा में आया। उन्हें 2001 के नियम की जानकारी नहीं थी। जब तक पता चला, ३ बच्चों के पिता बन गए। बाद में कुछ विरोधियों ने शिकायतें कीं।
शासकीय सेवक, इसलिए भी पशोपेश में

    कुछ कर्मचारी दंपती की दो संतानें थीं। दोनों रिकॉर्ड में आ गए, लेकिन बाद में इनमें से एक की मौत हो गई। वे दूसरी संतान चाहते हैं, पर नियम नियम आड़े आ रहा है।

    कोरोनाकाल में ऐसे कई प्रकरण हुए हैं, लेकिन ऐसे मामलों में किसी तरह की कोई छूट नहीं है।

खतरे की घंटी… विदेशों की तरह मप्र में एक संतान का चलन बढ़ रहा

विदेशों की तरह मध्यप्रदेश के शहरी क्षेत्रों में भी एक संतान का चलन जोर पकड़ने लगा है। कई परिवार ऐसे हैं, जो एक ही संतान पैदा कर रहे हैं। ऐसे ही दंपत्ति ने पत्रिका को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पहले की तुलना में चुनौतियां बहुत बढ़ गई हैं, इसलिए एक ही बच्चे को जन्म दिया है। उसकी बेहतर परवरिश करने का प्रयास कर रहे हैं। विदेश से जुड़े मामलों के जानकार एवं पूर्व वन अधिकारी आरके दीक्षित का कहना है कि कई देशों में भी यह चलन तेजी से बढ़ा है, वहां भी सरकारों को जनसंख्या बढ़ोतरी के लिए प्रोत्साहन तक देना पड़ रहा है। विशेष कर इटली और जापान की आबादी बड़ी तेजी से घट रही है। यहां भी इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है।

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