भोपालमध्य प्रदेश

प्रदेश के 12 हजार से अधिक स्कूलों की तस्वीर चिंताजनक: 322 के पास भवन नहीं, 5600 जर्जर भवन में संचालित

भोपाल 

मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की स्थिति का अंदाज इसी से बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में 12000 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक ही शिक्षक पदस्थ है, इन स्कूलों में पर्याप्त शिक्षकों की कमी साफ नजर आती है. जबकि कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का आभाव भी साफ नजर आता है. कही बिजली नहीं है तो कही के भवन ठीक नहीं हैं. शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाली यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफ्रोमेशन की हालिया रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है. जिसमें यह बताया गया है कि मध्य प्रदेश अभी भी नेशनल पॉलिसी यानि एनईपी के लक्ष्यों प्राप्त करने से फिलहाल बहुत दूर नजर आता है. 

प्रदेश के 1,22,20 स्कूलों में से 322 के पास भवन नहीं है, जबकि 5,600 स्कूल जर्जर भवन में संचालित हो रहे हैं। इसी तरह करीब चार हजार से अधिक स्कूलों में बालिका व बालिकाओं के लिए शौचालय नहीं है तो करीब डेढ़ हजार से अधिक स्कूलों में प्रयोगशाला नहीं है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की यूडाइस यानी स्कूल शिक्षा पर एकीकृत जिला सूचना रिपोर्ट सत्र 2024-25 में यह बात सामने आई है।

करीब 200 करोड़ रुपये स्वीकृत
इसे देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने प्र
देश के आठ हजार हाई व हायर सेकंडरी स्कूलों में से करीब 200 ऐसे स्कूलों को चिह्नित किया है, जिनमें अतिरिक्त कक्ष, शौचालय व प्रयोगशाला, बाउंड्रीवाल नहीं हैं। इन स्कूलों के लिए विभाग ने करीब 200 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। 

 इसमें से 66 प्रतिशत राशि वित्त विभाग की ओर से जारी कर दी गई है। प्रत्येक स्कूलों को करीब 22 से 30 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। विभाग ने स्कूलों को जल्द से जल्द निर्माण कार्य पूरा कर फोटो भेजने के लिए कहा है, ताकि इन स्कूलों में पढ़ाई व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो सके।

4,072 स्कूलों में बालिका शौचालय नहीं
जानकारी के मुताबिक, प्रदेश के 4,072 स्कूलों में बालिका शौचालय और 4,926 स्कूलों में बालकों के लिए शौचालय नहीं है। वहीं 564 में पेयजल सुविधा नहीं है तो 39,500 में बाउंड्रीवाल और करीब छह हजार में खेल मैदान नहीं है।

नया भवन एक ही इकाई में होना चाहिए
जिन स्कूलों की भवन संरचनाएं अत्यंत जर्जर व जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। उन सभी भवनों को ध्वस्त कर उसी स्थान पर नए भवन का निर्माण कराने के निर्देश दिए गए हैं। नवीन भवन का निर्माण इस प्रकार कराया जाएगा, ताकि वर्तमान भवन के साथ समाहित हो। पूरा भवन एक ही इकाई के रूप में उपयोग किया जा सकेगा।

एक शिक्षक वाले स्कूल 

मध्य प्रदेश के 12 हजार सिंगल शिक्षकों वाले स्कूलों में 9620 स्कूल प्राइमरी हैं, यानि यहां पांचवीं तक के बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी केवल एक ही शिक्षक की है, जबकि अपर प्राइमरी की स्कूलों की स्थिति 2590 है, वहीं छात्र शिक्षक अनुपात की बात की जाए तो 26 प्रतिशत प्राईमरी और 45.8 प्रतिशत अपर प्राइमरी स्कूल हैं. वहीं 23087 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां 30 छात्र भी नहीं हैं. वहीं 451 बस्तियों में प्राइमरी स्कूल भी नहीं हैं. जिससे मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की स्थिति का फिलहाल पता लगाया जा सकता है. यह आंकड़े यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफ्रोमेशन की रिपोर्ट के अनुसार ही सामने आए हैं. 

वहीं इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है कि राज्य के सभी स्कूलों में व्यवस्थाएं ठीक करने की पूरी कोशिश की जा रही है. शौचालय, पेयजल और मरम्मत के कामों में तेजी लाई जा रही है. जबकि स्कूलों की व्यवस्थाओं को बेहतर भी किया जा रहा है. लेकिन यह रिपोर्ट एमपी में चर्चा में जरूर बनी हुई है.

प्रदेश के आंकड़े

    1,22,20 प्रदेश में स्कूलों की संख्या
    10,800 बिजली आपूर्ति नहीं
    14,916 लाइब्रेरी नहीं है
    2,301 डिजिटल लाइब्रेरी नहीं
    1,19,412 खेल का मैदान नहीं
    6,213 पीने का पानी उपलब्ध नहीं
    564 पीने के पानी की सुविधा नहीं
    1,365 बालिकाओं के लिए शौचालय नहीं

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button