दिल्लीराज्य

रूम नंबर 13 का रहस्य: अल फलाह यूनिवर्सिटी की गुप्त प्लानिंग और फंडिंग का कनेक्शन

नई दिल्ली 
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार (10 नवंबर) की शाम लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार धमाका मामले की जाँच कर रही एजेंसियों ने अल फलाह यूनिवर्सिटी स्थित डॉ. उमर नबी और डॉ. मुजम्मिल के कमरों से उनकी डायरियाँ बरामद की हैं। फरीदाबाद में करीब 70 एकड़ में फैला यह यूनिवर्सिटी अब आतंकी धमाके का केंद्र बनकर उभरा है, जहां आतंकियों ने न केवल प्लानिंग की बल्कि आतंक को अंजाम देने के लिए कई गुप्त बैठकें की औंर फंड की व्यवस्था की।
एक पुलिस सूत्र ने बताया, "ये डायरियाँ मंगलवार और बुधवार को अल फलाह यूनिवर्सिटी कैम्पस के अंदर से बरामद की गईं। इनमें से एक डॉ. उमर के कमरा नंबर चार से और दूसरी डॉ. मुजम्मिल के कमरा नंबर 13 से बरामद की गईं हैं। डॉ. मुज़म्मिल का कमरा नंबर 13 अब सील कर दिया गया है, जहाँ से कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और पेन ड्राइव भी बरामद किए गए हैं। इसके अलावा, पुलिस ने डॉ. मुजम्मिल द्वारा इस्तेमाल किए गए एक अन्य कमरे से भी एक डायरी ज़ब्त की हैं। यह वही जगह है जहाँ से पहले 360 किलोग्राम विस्फोटक ज़ब्त किया गया था। यह कमरा यूनिवर्सिटी से लगभग 300 मीटर की दूरी पर स्थित है।

रूम नंबर 13 का रहस्य
पुलिस सूत्रों ने बताया, "बरामद डायरियों और नोटबुक्स में कोड शब्द हैं, जिनमें 8 नवंबर से 12 नवंबर के बीच की तारीखों का ज़िक्र है। डायरियों में 'ऑपरेशन' शब्द कई बार लिखा गया है।" पुलिस सूत्रों ने बताया कि डॉ. उमर और उनके साथी अल फलाह यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नंबर 17 में गुप्त रूप से मिलते थे। इसी बिल्डिंग का कमरा नंबर 13 डॉ. मुज़म्मिल का था, जहाँ आतंकवादी अक्सर मिलते थे। पुलिस को शक है कि इसी कमरे में उन्होंने दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में विस्फोट करने की योजना बनाई थी।

यूनिवर्सिटी की लैब से जुटाए केमिकल
सूत्रों के मुताबिक, आतंकियों ने सबसे पहले यूनिवर्सिटी की लैबोरेटरी से बम बनाने के लिए रसायनों की तस्करी करने की योजना बनाई थी। यह लैब मुज़म्मिल के कमरे से कुछ ही मीटर की दूरी पर है। विश्वविद्यालय के दोनों फैकल्टी मेंबर डॉ. उमर और डॉ. शाहीन, रसायनों का प्रबंध करने में कामयाब रहे। फिर उन्हें फरीदाबाद के धौज और तागा गाँवों में किराए के मकानों में रखा गया।

26 लाख रुपये से ज्यादा की रकम जुटाई
सूत्रों ने यह भी बताया है कि ‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’ के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए डॉक्टरों ने लाल किले के पास विस्फोट में इस्तेमाल की गई सामग्री खरीदने के लिए 26 लाख रुपये से ज्यादा की रकम जुटाई थी। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि चार संदिग्धों – डॉ मुजम्मिल गनई, डॉ अदील अहमद राथर, डॉ शाहीन सईद और डॉ उमर नबी ने मिलकर नकद राशि जमा की थी, जिसे सुरक्षित रखने और आगे इस्तेमाल के लिए डॉ उमर को सौंप दिया गया था।

डॉ. उमर चला रहा था आई20 कार
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा निवासी और और अल फलाह में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत डॉ. उमर सोमवार की शाम को लाल किले के व्यस्त इलाके में हुए विस्फोट में इस्तेमाल हुंडई आई20 कार चला रहा था। जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि यह धनराशि एक बड़ी आतंकी साजिश के लिए थी। जमा की गई इस राशि से आतंकियों ने कथित तौर पर गुरुग्राम, नूंह और आसपास के शहरों से लगभग 3 लाख रुपये मूल्य का लगभग 26 क्विंटल एनपीके खाद खरीदा था।

आतंकियों के बीच धन के लेन-देन को लेकर थे मतभेद
अधिकारियों ने बताया कि अन्य रसायनों के साथ मिश्रित इस उर्वरक का इस्तेमाल आमतौर पर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) बनाने में किया जाता है। सूत्रों ने पहले बताया था कि दिल्ली विस्फोट में अमोनियम नाइट्रेट और ईंधन तेल युक्त विस्फोटक यौगिक एएनएफओ की एक अनिर्दिष्ट मात्रा का इस्तेमाल किया गया था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि समूह द्वारा इतनी बड़ी मात्रा में खाद की खरीद, जांच में एक अहम सुराग बन गई है। उन्होंने बताया कि वित्तीय लेन-देन और आपूर्ति रिकॉर्ड की जांच की जा रही है। सूत्रों ने यह भी बताया कि विस्फोट से पहले के दिनों में उमर और मुजम्मिल के बीच धन के लेन-देन को लेकर मतभेद था। जांचकर्ता इस बात की पड़ताल कर रहे हैं कि क्या इस विवाद की वजह से इस समूह की योजनाओं या हमले के समय पर असर पड़ा?

 

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